स्पीडी ट्रायल पर गवाहों की लेटलतीफी ने लगाया ब्रेक

पटना: गवाह के समय पर उपस्थित नहीं होने के कारण स्पीडी ट्रायल की प्रक्रिया बाधित होती है. कोर्ट की ओर से किसी भी केस में लंबी डेट मिलती है, जिसके कारण भी स्पीडी ट्रायल की प्रक्रिया धीमी है. यह विचार बुधवार को पुलिस व कोर्ट के अधिकारियों की हुई बैठक में सामने आया. इस दौरान […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | June 18, 2015 6:54 AM
पटना: गवाह के समय पर उपस्थित नहीं होने के कारण स्पीडी ट्रायल की प्रक्रिया बाधित होती है. कोर्ट की ओर से किसी भी केस में लंबी डेट मिलती है, जिसके कारण भी स्पीडी ट्रायल की प्रक्रिया धीमी है. यह विचार बुधवार को पुलिस व कोर्ट के अधिकारियों की हुई बैठक में सामने आया. इस दौरान एसएसपी जितेंद्र राणा, सिटी एसपी पूर्वी सुधीर कुमार पोरिका, सिटी एसपी मध्य चंदन कुमार कुशवाहा, सिटी एसपी पश्चिमी राजीव मिश्र, जिला अभियोजन पदाधिकारी, सहायक जिला अभियोजन पदाधिकारी उपस्थित थे.

न्यायालय पक्ष ने जहां गवाह के समय पर उपस्थित न होने की जानकारी दी और आग्रह किया कि पुलिस समय पर गवाह को उपस्थित करना सुनिश्चित करें, तो पुलिस की तरफ से भी लंबी डेट मिलने की समस्या बतायी गयी. इसके साथ ही अभियुक्त की गिरफ्तारी वारंट, कुर्की-जब्ती की प्रक्रिया में भी देरी होने की बात कही गयी. काफी देर तक विचार-विमर्श के बाद यह निर्णय लिया गया कि पुलिस व न्यायालय आपस में समन्वय बना कर स्पीडी ट्रायल की गति को तेज करें.

इसके साथ ही वैसे मामले, जिसमें गवाही हो चुकी है और केवल बहस के लिए फैसला नहीं हो रहा है, उन मामलों को प्राथमिकता के आधार पर निष्पादित करने का भी निर्णय लिया गया. पुलिस की ओर से 274 आर्म्स एक्ट से जुड़े मामले स्पीडी ट्रायल में लंबित हैं और उन मामलों की सारी प्रक्रिया हो चुकी है और लेकिन छोटे-छोटे कारणों से निष्पादन नहीं हो रहा है. इन सभी केसों को जल्द-से-जल्द निष्पादन कर अपराधियों को सजा दिलाने का काम करने का पुलिस की ओर से आग्रह किया गया.
हर कोर्ट में पीटीसी के एक सिपाही की तैनाती
स्पीडी ट्रायल की प्रक्रिया को गति देने व उससे जुड़े कागजात को थाना पहुंचाने या फिर न्यायालय लाने के लिए पीटीसी के एक सिपाही को हर कोर्ट में तैनात करने का निर्णय लिया गया. चर्चा में यह बात सामने आयी कि कागजात सही समय और सही जगह पर नहीं पहुंचते हैं. इसके साथ ही तमाम थानाध्यक्षों को न्यायालय के एपीओ से हमेशा संपर्क में रहने का भी निर्देश दिया गया. खास बात यह है कि कांड दैनिकी में गवाहों के बयान व फोन नंबर के साथ ही अनुसंधानकर्ता के नाम व मोबाइल नंबर भी अंकित होने का निर्देश दिया गया.

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