रंगा-बिल्ला की सरकार वाले बयान पर जल्द मांफी मांगेंगे अश्विनी: लालू

पटना: भाजपा सांसद अश्विनी चौबे द्वारा बिहार में रंगा-बिल्ला की सरकार संबंधी बयान पर पलटवार करते हुए राजद प्रमुख लालू प्रसाद यादव ने शुक्रवार को कहा कि बहुत जल्द इतने भद्दे बयान को देने वाले भाजपा के नेता सार्वजनिक तौर पर माफी मांगेंगे. इस कड़ी में उन्होंने बीते लोकसभा चुनाव के दौरान भाजपा नेता गिरिराज […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | June 19, 2015 5:10 PM

पटना: भाजपा सांसद अश्विनी चौबे द्वारा बिहार में रंगा-बिल्ला की सरकार संबंधी बयान पर पलटवार करते हुए राजद प्रमुख लालू प्रसाद यादव ने शुक्रवार को कहा कि बहुत जल्द इतने भद्दे बयान को देने वाले भाजपा के नेता सार्वजनिक तौर पर माफी मांगेंगे. इस कड़ी में उन्होंने बीते लोकसभा चुनाव के दौरान भाजपा नेता गिरिराज सिंह के कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी पर दिए गए बयान के बाद सार्वजनिक तौर पर माफी मांगें जाने की घटना को याद भी दिलाया. साथ ही योग को लेकर भाजपा व संघ पर निशाना साधते हुए लालू प्रसाद ने कहा कि योग की जरूरत अमित शाह एवं संघ के नेताओं को ज्यादा है क्योंकि इन लोगों के शरीर किसानों व मजदूरों की तुलना में सामान्य नहीं है.

बिहार चुनाव के मद्देनजर राज्यभर के जदयू कार्यकर्ताओं के साथ बैठक के बाद लालू प्रसाद ने रंगा-बिल्ला संबंधी अश्विनी चौबे के बयान के संबंध में पूछे गए सवालों का जवाब देते हुए भाजपा पर जमकर निशाना साधा. उन्होंने अश्विनी चौबे का नाम नहीं लेते हुए बोला जिन लोगों ने कांग्रेस अध्यक्ष के संबंध में पूतना शब्द का इस्तेमाल किया है वे उनके चरणों की धूल के बराबर भी नहीं है. उन्होंने कहा कि थोड़े इंतजार के बाद जिन्होंने इस तरह की भाषा का इस्तेमाल किया है वे सार्वजनिक तौर पर माफी मांगेंगे. इस दौरान उन्होंने गिरिराज सिंह के बयान व उसके बाद उनकी माफी का जिक्र भी किया.

चुनाव में राजद-जदयू के जीत का दावा करते हुए लालू ने कहा कि जिस दिन वे भाजपा को बिहार की सत्ता से बेदखल करने में कामयाब हो जाएंगे उस दिन उनको सही मायने में कामयाबी मिलेगी. उन्होंने कहा कि बिहार का सीएम बनना उनका लक्ष्य नहीं है बल्कि भाजपा को सत्ता से बाहर करना ही उनका मुख्य लक्ष्य है. साथ ही उन्होंने योग को लेकर भाजपा व संघ पर निशाना साधते हुए कहा कि अमित शाह व संघ के नेताओं को उनके अच्छे स्वास्थ्य के लिए योग की जरूरत है. सही मायने में मजदूर व किसान वर्ग के लोगों को इसकी जरूरत नहीं है क्योंकि वे शरीर से इतना परिश्रम करते है कि उनका स्वास्थ्य सामान्य तौर बहुत बेहतर रहता है. ऐसे में उन्हें योग करने की जरूरत नहीं है.

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