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बिहार विस चुनाव से पहले एनडीए में किचकिच, सीएम पद व सीटों को लेकर घटक दलों में टकराव

पटना: बिहार विधानसभा चुनाव से पहले एनडीए के घटक दलों में सीएम पद व सीटों को लेकर किचकिच शुरू हो गया है. रविवार को एनडीए के घटक दल रालोसपा, लोजपा व हम इन मुद्दे पर भिड़ते दिखाई दिए. एक ओर जहां रालोसपा ने केंद्रीय मंत्री उपेंद्र कुशवाहा को बिहार में मुख्यमंत्री पद के लिए एनडीए […]

पटना: बिहार विधानसभा चुनाव से पहले एनडीए के घटक दलों में सीएम पद व सीटों को लेकर किचकिच शुरू हो गया है. रविवार को एनडीए के घटक दल रालोसपा, लोजपा व हम इन मुद्दे पर भिड़ते दिखाई दिए. एक ओर जहां रालोसपा ने केंद्रीय मंत्री उपेंद्र कुशवाहा को बिहार में मुख्यमंत्री पद के लिए एनडीए का उम्मीदवार बनाये जाने की मांग की. वहीं, दूसरी ओर लोजपा ने कहा है कि वह पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी के हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा (धर्मनिरपेक्ष) के पांच वर्तमान व पूर्व विधायकों का विरोध करेगी.

बिहार में भाजपा की सहयोगी राष्ट्रीय लोक समता पार्टी ने आज एक प्रस्ताव पारित किया. जिसमें यह मांग की गई कि रालोसपा अध्यक्ष व केंद्रीय मंत्री उपेंद्र कुशवाहा को राज्य में एनडीए की ओर से मुख्यमंत्री पद का उम्मीदवार बनाया जाए. पार्टी के मुख्य प्रवक्ता शिवराज सिंह ने बताया कि बिहार के वैशाली में पार्टी कार्यकारिणी की दो दिवसीय बैठक में यह प्रस्ताव पारित किया गया. उन्होंने बताया कि बैठक में विधानसभा चुनाव में 67 सीटों पर लड़ने के प्रस्ताव का भी समर्थन किया गया. इस बैठक में उपेंद्र कुशवाहा भी मौजूद थे.

गौर हो कि बिहार विधानसभा चुनाव के मद्देनजर भाजपा ने अपने सहयोगी दलों के साथ सीटों के तालमेल को अभी अंतिम रुप नहीं दिया है. रालोसपा की मांग पर भाजपा के सहमत होने की संभावना कम ही है. लेकिन क्षेत्रीय दल के इस कदम को चुनाव के पहले मोलजोल की क्षमता बढ़ाने के प्रयास के तौर पर देखा जा रहा है. वहीं, पार्टी एनडीए की ओर से कुशवाहा को मुख्यमंत्री का उम्मीदवार बनाए जाने पर जोर देती रही है. रालोसपा का दावा है कि वह पिछडी जातियों में नीतीश-लालू गठबंधन के असर का प्रभावी तरीके से मुकाबला कर सकते हैं क्योंकि वह राजनीतिक रुप से महत्वपूर्ण कुशवाहा समुदाय से आते हैं और ओबीसी सशक्तिकरण के लिए संघर्ष का उनका रिकार्ड रहा है.

जबकि, भाजपा के अन्य सहयोगियों दल लोजपा के प्रमुख व केंद्रीय मंत्री रामविलास पासवान और पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी के हिन्दुस्तानी अवाम मोर्चा ने पहले ही घोषणा की है कि वह गठबंधन की ओर से मुख्यमंत्री के उम्मीदवार के रुप में भाजपा के किसी भी नाम का समर्थन करेंगे. उन्होंने कहा है कि भाजपा को मुख्यमंत्री पद का उम्मीदवार चुनने का अधिकार है क्योंकि वह गठबंधन में सबसे बड़ी पार्टी है. वहीं, भाजपा ने किसी को मुख्यमंत्री का उम्मीदवार बनाए जाने के बारे में अभी तक फैसला नहीं किया है. कई पार्टी नेताओं का मानना है कि सामूहिक नेतृत्व में चुनाव लड़ना बेहतर रहेगा.

उधर, लोजपा ने आज कहा है कि वह मांझी के हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा के पांच वर्तमान व पूर्व विधायकों का विरोध करेगी. लोजपा का यह विरोध एनडीए खेमे में दरार की ओर इंगित करता है. लोजपा के प्रदेश अध्यक्ष पशुपति कुमार पारस ने कहा कि हम जदयू के बागी विधायक और पूर्व कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह के दो पुत्रों अजय प्रताप (जमुई) और सुमित कुमार सिंह (चकाई), जदयू से निष्कासित विधायक राजू सिंह (साहेबगंज) और अजित कुमार (कांटी) के अलावा टेकारी से जदयू विधायक अनिल कुमार का विरोध करेंगे. उन्होंने कहा कि उनकी पार्टी ने इस बारे में लोजपा के निर्णय से भाजपा के वरिष्ठ नेता सुशील कुमार मोदी को अवगत करा दिया है.

पारस ने कहा कि जदयू के पूर्व और वर्तमान इन पांच विधायकों जिनमें से कुछ ने पूर्व में लोजपा छोड़ दिया था, हम इनके खिलाफ अपना उम्मीदवार खड़ा करेंगे. वर्ष 2005 में लोजपा को तोड़कर एक दर्जन से अधिक विधायकों के साथ समता पार्टी में शामिल होने वाले नरेंद्र सिंह के बारे में पूछे पर लोजपा सुप्रीमो ने कहा कि इसको लेकर पारस ने जो कुछ कहा है उसमें उनके लिए कहने की गुंजाइश नहीं है. उल्लेखनीय है कि लोजपा ने बिहार विधानसभा चुनाव में जदयू नीत धर्मनिरपेक्ष गठबंधन को पराजित करने व एनडीए की जीत की संभावना को बढ़ाने के उद्देश्य से पूर्व में मांझी के मोर्चे हम के गठबंधन में शामिल होने की प्रशंसा की थी.

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