अल्ट्रासाउंड कराना है, तो बाहर जाएं

गर्भवती महिलाओं को हो रही परेशानी, भटक रहे मरीज व परिजन गार्डिनर रोड व गर्दनीबाग हॉस्पिटल में नहीं मिलती अल्ट्रासाउंड की सुविधा 10 दिनों से बंद हैं अल्ट्रासाउंड मशीनें आनंद तिवारी पटना : मुफ्त में इलाज होने का दावा राजधानी के सरकारी अस्पतालों में नहीं मिल पा रही है. किसी-न-किसी कारण के चलते मरीजों को […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | June 22, 2015 6:23 AM
गर्भवती महिलाओं को हो रही परेशानी, भटक रहे मरीज व परिजन
गार्डिनर रोड व गर्दनीबाग हॉस्पिटल में नहीं मिलती अल्ट्रासाउंड की सुविधा
10 दिनों से बंद हैं अल्ट्रासाउंड मशीनें
आनंद तिवारी
पटना : मुफ्त में इलाज होने का दावा राजधानी के सरकारी अस्पतालों में नहीं मिल पा रही है. किसी-न-किसी कारण के चलते मरीजों को बाहर की दुकानों का सहारा लेना पड़ रहा है. स्थिति यह है कि आयकर विभाग चौराहे स्थित गार्डिनर रोड हॉस्पिटल व गर्दनीबाग के सदर अस्पताल में मरीजों को अल्ट्रासाउंड की सुविधा नहीं मिल पा रही है. इससे परेशान होकर मरीज बाहर से महंगी दर पर अल्ट्रासाउंड कराने को विवश हैं.
गार्डिनर रोड हॉस्पिटल में जहां 10 दिनों, तो सदर अस्पताल में तीन दिनों से मशीन खराब है. इससे मरीज अल्ट्रासाउंड की सुविधा से वंचित हैं. दोनों अस्पतालों में रोजाना 400 से 500 मरीज आते हैं. वहीं अस्पताल अधिकारियों का कहना है कि मशीन में तकनीकी खराबी आ जाने के कारण यह समस्या हो रही है, जिसे बहुत जल्द ठीक कर लिया जायेगा.
रोजाना 48,000 का होता है अल्ट्रासाउंड
अल्ट्रासाउंड मशीनों के खराब होने से गरीब मरीजों की जेब पर भारी बोझ पड़ रहा है. अस्पताल सूत्रों की मानें तो गार्डिनर अस्पताल में रोजाना 25 और गर्दनीबाग स्थित सदर अस्पताल में करीब 15 अल्ट्रासाउंड होते है. ऐसे में एक मरीज बाहर से 1200 रुपये यानी दोनों अस्पताल के 40 मरीज मिला कर रोजाना 48000 रुपये का अल्ट्रासाउंड किया जा रहा है.
गार्डिनर रोड में अब तक तीन लाख रुपये तो गर्दनीबाग अस्पताल में तीन दिन में 36 हजार रुपये खर्च कर मरीज अपना अल्ट्रासाउंड करा चुके हैं. दोनों को मिला दिया जाये, तो यह आंकड़ा 3.36 लाख के करीब पहुंच जाता है. बावजूद अस्पताल के जिम्मेदार अधिकारियों की ओर से कार्रवाई के नाम पर आंखें बंद हैं.
फ्री के नाम पर लग रहे 1200 रुपये
अल्ट्रासाउंड मशीन बंद होने से खास कर गरीब मरीजों को खासा परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. मरीज जब भी अस्पताल में जाते हैं, वहां खराब मशीन का हवाला दे दिया जाता है. कोई विकल्प नहीं होने के चलते मरीज बाहर अल्ट्रासाउंड करा कर ला रहे हैं.
मरीज के परिजनों की मानें तो एक अल्ट्रासाउंड पर 1200 रुपये देने होते हैं. मरीज का कहना है कि वह इस शिकायत को लेकर वहां के अधिकारियों से मिला, लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई. मशीन खराब होने से खासकर गर्भवती महिलाओं को परेशानी हो रही है.

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