फास्ट लाइफ से बढ़ रही हैंडीकैप्ड की संख्या

पटना : पीएमसीएच के प्राचार्य डॉ कैप्टन एनपी यादव ने कहा कि आज हमारा देश खतरनाक दौर से गुजर रहा है. बहुत तेजी से हैंडीकैप्ड की संख्या बढ़ रही है. आनेवाले दिनों में हर घर में हैंडीकैप्ड मरीज होंगे. तकनीक, उपकरण, तेज वाहन, फास्ट लाइफ और सड़क दुर्घटना आदि कारणों से हैंडीकैप्ड की संख्या में […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | September 29, 2013 3:41 AM

पटना : पीएमसीएच के प्राचार्य डॉ कैप्टन एनपी यादव ने कहा कि आज हमारा देश खतरनाक दौर से गुजर रहा है. बहुत तेजी से हैंडीकैप्ड की संख्या बढ़ रही है. आनेवाले दिनों में हर घर में हैंडीकैप्ड मरीज होंगे. तकनीक, उपकरण, तेज वाहन, फास्ट लाइफ और सड़क दुर्घटना आदि कारणों से हैंडीकैप्ड की संख्या में बढ़ोतरी हो रही है. पीएमसीएच, डिपार्टमेंट ऑफ फिजिकल मेडिसिन एंड रिहैबलिटेशन (रिहैब) विभाग की ओर से शनिवार को पीएमसीएच सेमिनार हॉल में न्यूरो रिहैब (पुनर्वास) पर सेमिनार का आयोजन किया गया. वक्ताओं ने मस्तिष्क और स्पाइनल कॉड की बीमारियों या चोट लगने से होनेवाली विकलांगता में न्यूरो रिहैब की आवश्यकता के बारे में बताया.

की जाती है पुनर्वास की व्यवस्था :

रिहैब, विभागाध्यक्ष डॉ अजीत कुमार वर्मा ने कहा कि मस्तिष्क और स्पाइनल कॉड में बीमारियों के पूर्ण इलाज के बाद भी रोगी अपनी देखभाल खुद करने में सक्षम नहीं हो पाते हैं. वह दूसरे पर निर्भर होते हैं. फिर से नयी जिंदगी जीने के लिए चिकित्सा पुनर्वास कराना आवश्यक होता है.

वैसे मरीजों को व्हील चेयर, एक्सरसाइज, ऑपरेशन, विकलांगता सर्टिफिकेट, फिजियोथेरेपी करा कर पुनर्वास की व्यवस्था की जा रही है.

पीएमसीएच न्यूरो सजर्री विभाग के अध्यक्ष डॉ अरुण अग्रवाल ने बताया कि मानव का मस्तिष्क सुपर कंप्यूटर की तरह काम करता है. इसका नेटवर्क बहुत बड़ा है. शरीर के हर अंगों के बीच कनेक्शन होता है.

पीएमसीएच के न्यूरोलॉजिस्ट डॉ आरडी सिंह ने न्यूरो बीमारियों जैसे पक्षाघात, पाकींर्नसोनिज्म सेरीब्रल पॉल्सी में रोगियों के जीवन में पुनर्वास के महत्व को बताया. वही कोलकाता से आये रिहैब विशेषज्ञ डॉ अमीद इकबाल ने सेरीब्रल पॉल्सी से ग्रसित बच्चों में आधुनिकतम रिहैब तकनीकों से पुनर्वास की बात कही.

मेडिकल एजुकेशन रिसर्च पर हो काम : पीएमसीएच के अधीक्षक डॉ अमरकांत झा अमर ने कहा कि बिहार में मेडिकल एजुकेशन रिसर्च की सुविधा नहीं है. मेडिकल एजुकेशन रिसर्च निदेशक स्तर और सचिवालय स्तर पर फोकस होना चाहिए.

एम्स पटना के रिहैब विशेषज्ञ डॉ एसके पांडेय ने स्ट्रोक के कारण उत्पन्न विकलांगता में फिजियोथेरेपी, अकुपेशनल थेरेपी, इंजेक्शन तकनीक आधुनिक रिहैब के बारे में बताया. आइजीआइएमएस पटना के रिहैब विशेषज्ञ डॉ रवि नारायण सिन्हा ने पाकींर्नसोनिज्म बीमारी में रोगियों की जीवन शैली में सुधार लाने के लिए रिहैब एक्सरसाइज की आवश्यकता बतायी. गया मेडिकल कॉलेज, गया के डॉ विकास कुमार ने बताया कि बिना पुनर्वास किये चिकित्सा जगत अपूर्ण.

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