एक माह में कम से कम तीन केसों का निष्पादन करेंगे अनुसंधानकर्ता

– थानाध्यक्षों को एक माह में पांच वारंट, पांच गिरफ्तारी व तीन कुर्की-जब्ती के मामलों का निष्पादन का निर्देश – डीएसपी को भी नियमित इंस्पेक्शन, सुपरविजन करने का निर्देश – डीआइजी सेंट्रल ने तमाम डीएसपी व थानाध्यक्षों के साथ की बैठक, दिये निर्देश संवाददाता, पटना डीआइजी सेंट्रल शालीन ने शुक्रवार को शहरी क्षेत्र के तमाम […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | June 26, 2015 11:06 PM

– थानाध्यक्षों को एक माह में पांच वारंट, पांच गिरफ्तारी व तीन कुर्की-जब्ती के मामलों का निष्पादन का निर्देश – डीएसपी को भी नियमित इंस्पेक्शन, सुपरविजन करने का निर्देश – डीआइजी सेंट्रल ने तमाम डीएसपी व थानाध्यक्षों के साथ की बैठक, दिये निर्देश संवाददाता, पटना डीआइजी सेंट्रल शालीन ने शुक्रवार को शहरी क्षेत्र के तमाम डीएसपी व थानाध्यक्षों के साथ बैठक की और सबको अलग-अलग टास्क दिये. इसके साथ ही उन टास्क को पूरा नहीं करने पर कड़ी से कड़ी कार्रवाई करने की भी चेतावनी दी है. उन्होंने डीएसपी, थानाध्यक्षों व अनुसंधानकर्ताओं को निर्देश दिया है कि अपराध नियंत्रण के साथ ही केस निष्पादन में भी गति लायें. उन्होंने अनुसंधानकर्ताओं को एक माह में कम से कम तीन केस के निष्पादन का टास्क दिया. बड़े थाना के थानाध्यक्षों को उन्होंने एक माह में कम से कम पांच वारंट, पांच अभियुक्तों की गिरफ्तारी व तीन कुर्की-जब्ती के मामलों का निष्पादन करने की जिम्मेवारी दी. जबकि छोटे-छोटे थानों के थानाध्यक्षों को कम से कम दो वारंट, दो गिरफ्तारी व एक कुर्की-जब्ती को निबटाने का आदेश दिया. इसके साथ ही उन्होंने डीएसपी को भी इशारा किया कि वे भी सहीं से इंस्पेक्शन करें और केस का सुपरविजन सही समय से करें. नहीं तो उनके खिलाफ भी विभागीय कार्रवाई की अनुशंसा की जायेगी. डीआइजी शालीन ने बताया कि डीएसपी, थानाध्यक्ष व अनुसंधानकर्ताओं को उनकी जिम्मेवारी बता दी गयी है, अगर समीक्षा के दौरान किसी प्रकार की लापरवाही सामने आती है तो कड़ी से कड़ी कार्रवाई की जायेगी.

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