जाति-धर्म का बंधन जोड़ता नहीं, तोड़ता है

– ‘लेखकों की भूमिका’ विषय पर संगोष्ठी का हुआ आयोजनलाइफ रिपोर्टर @ पटनानवगठित साहित्यिक सांस्कृतिक संस्था भारतीय जन लेखक संघ (बिहार इकाई) के तत्वावधान में ‘वर्तमान परिवेश में लेखकों की भूमिका’ विषय पर संगोष्ठी का आयोजन हुआ, जिसकी अध्यक्षता रामयतन यादव ने की तथा उद्घाटन प्रतिष्ठित रचनाकार तथा ‘नयी धारा’ के संपादक डॉ शिवनारायण ने […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | June 28, 2015 9:05 PM

– ‘लेखकों की भूमिका’ विषय पर संगोष्ठी का हुआ आयोजनलाइफ रिपोर्टर @ पटनानवगठित साहित्यिक सांस्कृतिक संस्था भारतीय जन लेखक संघ (बिहार इकाई) के तत्वावधान में ‘वर्तमान परिवेश में लेखकों की भूमिका’ विषय पर संगोष्ठी का आयोजन हुआ, जिसकी अध्यक्षता रामयतन यादव ने की तथा उद्घाटन प्रतिष्ठित रचनाकार तथा ‘नयी धारा’ के संपादक डॉ शिवनारायण ने किया. उन्होंने कहा कि आज की सबसे बड़ी जरूरत इस बात की है कि लेखक अपने समय के सवालों को गहराई तक जाकर समझें और उन्हें बीच-बहस लाने का प्रयास करें.बुद्धशरण हंस ने कहा कि साहित्य केवल विचार नहीं है, बल्कि करुणा और संवेदना का सामंजस्य है. अवधेश अमन ने कहा कि लेखकों को निष्पक्ष भाव से सोचना चाहिए. जाति-धर्म का बंधन हमें जोड़ता नहीं, तोड़ता है. डॉ सेराज खान बातिश (पश्चिम बंगाल) ने कहा कि हमें बाजारवाद के खिलाफ संगठित होकर काम करना चाहिए. जनता के बीच हमारी विश्वसनीयता बनी रहनी चाहिए. गोपाल चंद्र घोष ने संस्कृति पर बाजार के हमले को खतरनाक बताया. राजीव कुमार सिंह ने कहा कि साहित्य में प्रतिरोध की ताकत होनी चाहिए. डॉ सुरेेंद्र नारायण यादव (कटिहार) ने कहा कि साहित्य को एक स्वस्थ दृष्टि से देखने की जरूरत है.’आपका आईना’ के संपादक रामआशीष यादव ने कहा कि हमें साहित्य के सरोकारों को बढ़ाना चाहिए.इनके अतिरिक्त सुरेंद्र साहनी (सुपौल), उमेश पंडित (कटिहार), डॉ समरेंद्र नारायण आर्य (पटना), वीरचंद दास (वैशाली), भगवती प्रसाद, डॉ सीता प्रसाद आदि ने भी निर्धारित विषय पर अपने विचार व्यक्त किये. इस मौके पर महेंद्र नारायण पंकज के कथा संग्रह ‘युद्ध के अलावा ‘जन-तरंग’ (पत्रिका) एवं गोपाल चंद्रघोष की काव्यकृति ‘अंतरा बोल उठा’ का विमोचन क्रमश: डॉ शिवनारायण, रामआशीष यादव, सेराज खान बातिश ने किया.

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