कौशिक रंजन,
पटना: राज्य में अब सभी अपराधियों की संपत्ति जब्त की जायेगी. पुलिस मुख्यालय ने इसकी पहल शुरू कर दी है. इसके लिए सभी अपराधियों की संपत्ति का ब्योरा जटाने का निर्देश जिलों को भेज दिया गया है. जिन अपराधियों ने आपराधिक या अन्य अवैध गतिविधियों की बदौलत धन अजर्न किया है, उनकी संपत्ति का विस्तृत ब्योरा लिया जायेगा. इसमें यह देखा जायेगा कि संबंधित अपराधी ने जो संपत्ति बनायी है, उनकी आय या संपत्ति का स्नेत क्या है. इसके तहत फिलहाल संबंधित जिलों में जो लिस्टेड या नामजद अपराधी हैं, उन पर शिकंजा कसा जायेगा. बाद में इस जांच का दायरा बढ़ेगा. इस ऑपरेशन को निर्धारित समयसीमा एक महीने के अंदर अंजाम देने के लिए डीजीपी पीके ठाकुर ने सभी एसपी को सख्त निर्देश दिया है.
इसकी मॉनीटरिंग का जिम्मा आर्थिक अपराध इकाई (इओयू) के आइजी जितेंद्र सिंह गंगवार को सौंपा गया है. इओयू ने इसके लिए प्लान तैयार करके भी सभी जिलों को भेज दिया है.सभी एसपी को निर्देश दिया गया है कि अपराधियों (चाहे बेल पर बाहर या जेल में हो) की संपत्ति का ब्योरा तैयार करें. इसके बाद इसके स्नेत का पता करें. यह देखा जायेगा कि आपराधिक कार्यो के जरिये कितने की संपत्ति जमा की गयी है. संबंधित अपराधी के आय का स्नेत क्या है, अगर संपत्ति किसी दूसरे के नाम पर है, तो संबंधित व्यक्ति के आय का स्नेत क्या है, किसी रिश्तेदार के नाम पर भी संपत्ति होने पर उसके आय के स्नेत की जांच की जायेगी, आय के अनुपात में संपत्ति के ब्योरा का मिलान होगा, संपत्ति कब और कैसे खरीदी गयी है. ऐसे तमाम पहलुओं पर जांच करके तीन धाराओं के तहत मामला दर्ज कर संपत्ति जब्त करने की कार्रवाई की जायेगी.
इसमें सबसे हालिया मामला विधायक अनंत कुमार सिंह का है. इससे पहले नौ अभियुक्तों की 15.10 करोड़ संपत्ति जब्त की जा चुकी है. इडी के स्तर से मामले पर कार्रवाई में देरी होने का प्रमुख कारण ज्वाइंट डायरेक्टर (जेडी) स्तर के अधिकारी का पद कई महीनों से खाली पड़ा होना भी है. पटना, लखनऊ, कोलकाता और गुवाहाटी चारों स्थान पर मौजूद इडी के महत्वपूर्ण कार्यालय में जेडी का पद स्वीकृत है, लेकिन सभी पद खाली पड़े हैं. वर्तमान में इन चारों स्थानों का प्रभार नयी दिल्ली में मौजूद जेडी एचके लाल के पास है. चार-पांच स्थानों का कार्यभार एक अधिकार पर होने की वजह से जांच और आदेश की प्रक्रिया धीमी पड़ जाती है.
गृह विभाग का प्रस्ताव किया नामंजूर :
इडी में मामलों पर कार्रवाई को गति प्रदान करने के लिए राज्य के गृह विभाग ने फरवरी, 2014 में केंद्रीय वित्त मंत्रलय को पत्र लिखा था. इसमें कहा गया था कि राज्य के इओयू के आइजी को पटना इडी के जेडी का अतिरिक्त प्रभार सौंपने की अनुमति दी जाये. चूंकिइडी के तर्ज पर ही राज्य में इओयू की कार्यशैली है. अतिरिक्त प्रभार में पांच करोड़ तक के मामले की सुनवाई करने का ही सिर्फ अधिकार दिया जाये. यह प्रभार उस समय तक के लिए दिया जाये, जब तक पटना में इडी का कोई जेडी तैनात नहीं कर दिया जाता है. इसके पीछे वजह बतायी गयी कि बिहार में अपराधियों के खिलाफ लंबित मामलों का निष्पादन तेजी से किया जा सके. अपराधियों की संपत्ति जब्त कर उन्हें सजा दिलायी जा सके. परंतु केंद्रीय वित्त मंत्रलय ने यह कहते हुए ऐसा करने से मना कर दिया कि राज्य के किसी अधिकारी के पास कम-से-कम दो साल का इडी में काम करने का अनुभव नहीं है.
वर्तमान में 23 अपराधियों ..
इनकी संपत्ति जल्द जब्त की जा सके. इनकी संपत्ति जब्त करने से सरकार को आठ करोड़ से अधिक की राशि प्राप्त होगी.
अररिया : सदानंद यादव, रंजीत कुमार यादव, मुमताज, मासूम रेजा.
किशनगंज : बालकृष्ण झा, मो. नजरूल इस्लाम.
जहानाबाद : सुनीता देवी एवं उनके पति विनेश प्रसाद उर्फ डाक्टर बाबू.
मुजफ्फरपुर : जगरनाथ राय, सीताराम राय, विश्वनाथ साह, भोला राय, देवानंद राय, राजा पटेल, संदीप सिंह, राजू चौधरी.
भोजपुर : संजय प्रताप सिंह उर्फ संजय सिंह, राकेश सिंह उर्फ प्रकाश कुमार सिंह, मंटू सिंह, भरत यादव, त्रेता सवलिया उर्फ त्रेता सिंह.
दरभंगा : डोमू पासवान. शेखपुरा : शकुंतला देवी
असिस्टेंट इंजीनियर की पत्नी बीएमडब्ल्यू कार की मालकिन
आय से अधिक संपत्ति (डीए केस) मामले में पथ निर्माण विभाग के सहायक इंजीनियर शारदेंदु भूषण के अशियाना नगर के फेज-2 स्थित हाउस नंबर- इ/3 की स्पेशल विजिलेंस यूनिट (एसवीयू) की टीम ने गुरुवार की देर रात तक छानबीन की. टीम को इस दौरान कई चौकानेवाले दस्तावेज मिले, जिससे इस सहायक इंजीनियर के पास करोड़ों की संपत्ति की बात उजागर होती है. इंजीनियर शारदेंदु की अधिकतर संपत्ति उनकी पत्नी अमृता सिंह के नाम पर मिली है. अमृता बीएमडब्ल्यू जैसी लग्जरी गाड़ी की मालकिन हैं, जिसे हाल ही में उन्होंने कोलकाता से खरीदा है. वह मनोज कुमार नाम के एक व्यक्ति के साथ पार्टनर के रूप में सिद्धि विनायक नामक फर्म की मालकिन भी हैं. उनका यह फर्म रियल स्टेट समेत अन्य क्षेत्रों में व्यवसाय करता है. इस फर्म में वह सितंबर, 2006 से बराबर की हिस्सेदार हैं.
जांच के दौरान इंजीनियर के घर के पास खाली पड़े प्लॉट में एक बैग फेंका मिला है, जिसमें 222777 मॉडल का चाइनिज पिस्टल, 2.40 लाख नकद और हथियार के लाइसेंस की फोटोकॉपी भी मिली है. हालांकि, उनके घर से दो लाइसेंसी हथियार मिले हैं, जिसमें एक प्लाइंट 32 बोर का रिवॉल्वर (कीमत- 50 हजार) और 30.26 बोर की राइफल (कीमत- 22 हजार) मिला है. राइफल को 2013 में खरीदा गया था. बीएमडब्ल्यू गाड़ी खरीदने के लिए अमृता सिंह ने 20 लाख रुपये बैंक से कर्ज भी ले रखे हैं, जबकि गाड़ी की कीमत करीब 50 लाख बतायी जा रही है. अमृता सिंह ने राजेश कुमार नामक व्यक्ति से 40 लाख रुपये में एक फ्लैट खरीदा है, जिसके लिए 32 लाख रुपये हाउस लोन बैंक ऑफ इंडिया से लिया है. आशियानानगर वाला आलीशान घर भी इंजीनियर की पत्नी अमृता सिंह के नाम पर ही है, जिसे 2008 में 27.35 लाख में खरीदा था. अमृता ने 17.50 लाख बैंक से कर्ज लेकर इसमें 4.50 लाख अपनी से जोड़ कर महिंद्रा की एक एसयूवी खरीदी भी खरीदी है. एसवीयू ने इंजीनियर पर मामला दर्ज कर आगे की कार्रवाई शुरू कर दी है.
इन धाराओं के तहत होगी कार्रवाई
त्नपीएमएलए (प्रीवेंशन ऑफ मनी लांड्रिंग एक्ट), 2002 : इस एक्ट के तहत प्रवर्तन निदेशालय इडी कार्रवाई करता है. बिहार पुलिस अपराधी के तमाम रेकॉर्ड और एफआइआर की कॉपी इडी को भेज देता है. पूरी कार्रवाई इडी के स्तर से ही होती है. मुख्य रूप से पांच करोड़ से ज्यादा की संपत्ति जमा करनेवाले कुख्यातों पर इडी कार्रवाई करता है.
त्नसीएलए (क्रिमिनल लॉ एमेंडमेंट ऑडिनेंस, 1944) : इसके तहत बिहार पुलिस किसी अपराधी या भ्रष्ट लोक सेवकों या आपराधिक कार्यो के जरिये संपत्ति जमा करनेवालों के खिलाफ क्रिमिनल रेकॉर्ड के आधार पर कार्रवाई कर सकती है. संपत्ति जब्त करने के लिए जिला जज के स्तर से ही अनुमति प्राप्त की जा सकती है.
त्नबिहार पुलिस एक्ट, 2007 की धारा- 74, 75 और 76 : इसके तहत कई मामलों में डीएम के स्तर से भी कार्रवाई की जा सकती है. धारा 74 के अंतर्गत बेनामी संपत्ति जब्त डीएम जब्त कर सकते हैं. 75 और 76 में डीएम किसी अपराधी की संपत्ति की नीलामी करवा सकते हैं. जब्त करने के बाद अगर कोई इसके लिए क्लेम नहीं करता है, तो इसे सरकार बेच सकती है.
त्ननॉरकोटिक ड्रग्स एंड साइकोट्रोपिक सब्सटांस (एनडीपीएस ) एक्ट, 1985 की धारा- 68 एफ : इसके तहत मुख्य रूप से ड्रग्स या नशीली दवाओं की तस्करी करके संपत्ति जमा करने वालों के खिलाफ कार्रवाई की जाती है. बिहार में ऐसे मामले काफी कम हैं.