संपत्ति के दोबारा निबंधन से कमाये 10.66 करोड़

पटना: बिहार में स्थित वैसी निजी संपत्ति, जिसका निबंधन राज्य से बाहर हुआ है, सरकार उसे आपकी प्रॉपर्टी नहीं मानती है. ऐसी संपत्ति का मालिकाना हक पाने के लिए प्रॉपर्टी मालिकों को दोबारा निबंधन कराना पड़ रहा है. वर्ष 2009 से जिला निबंधन कार्यालय में ऐसी करीब 5311 जमीनों का रजिस्ट्रेशन हुआ है. इससे निबंधन […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | July 6, 2015 6:32 AM
पटना: बिहार में स्थित वैसी निजी संपत्ति, जिसका निबंधन राज्य से बाहर हुआ है, सरकार उसे आपकी प्रॉपर्टी नहीं मानती है. ऐसी संपत्ति का मालिकाना हक पाने के लिए प्रॉपर्टी मालिकों को दोबारा निबंधन कराना पड़ रहा है. वर्ष 2009 से जिला निबंधन कार्यालय में ऐसी करीब 5311 जमीनों का रजिस्ट्रेशन हुआ है. इससे निबंधन कार्यालय को 10.66 करोड़ रुपये से अधिक की आय हुई है. हालांकि दोबारा निबंधन कराने पर आवेदकों को उस वक्त दोनों राज्यों के बीच के स्टांप शुल्क की अंतर राशि का ही भुगतान करना होता है.
यह है मामला
पूर्व में प्रेसिडेंसी टाउन व्यवस्था के आधार पर मुंबई, कोलकाता व चेन्नई में रजिस्ट्री की व्यवस्था थी. इससे लोग क हीं की भी जमीन इन तीनों जगहों पर कम स्टांप शुल्क देकर रजिस्ट्री करा लिया करते थे. इसके बाद 1990 में बिहार सरकार द्वारा विधानसभा से नियमावली पारित की गयी. इसके आधार पर राज्य की संपत्ति दूसरे राज्यों में करने पर रोक लगा दी गयी. इसके अनुसार यदि कोई व्यक्ति राज्य की संपत्ति दूसरे राज्यों में कराता है, तो उसे राज्य सरकार मान्यता नहीं दी जायेगी. इसके बाद यह व्यवस्था कोलकाता में 1997 और मुंबई में वर्ष 2000 में लागू हुई. ऐसे में 2000 के बाद से की गयी सभी रजिस्ट्री की मान्यता समाप्त कर दी गयी. इससे दूसरे राज्यों द्वारा रजिस्ट्री करायी गयी संपत्तियों को अपने राज्य में फिर से निबंधन कराया जा रहा है और स्टांप शुल्क की अंतर राशि की वसूली की जा रही है.
5311 संपत्तियों को मान्यता
जिला अवर निबंधक प्रशांत कुमार ने बताया कि जिला निबंधन कार्यालय द्वारा वर्ष 2009 से अब तक कुल 5311 दस्तावेजों से स्टांप शुल्क की वसूली की गयी. प्रतिदिन दूसरे राज्यों खासकर कोलकाता व मुंबई के दस्तावेजों से स्टांप शुल्क की वसूली की जाती है. इससे जिला निबंधन कार्यालय को अब तक 10 करोड़ 66 लाख 72 हजार 616 रुपये राजस्व की प्राप्ति हुई. जैसे-जैसे लोगों को जमीन संबंधी परेशानी हो रही है, वे निबंधन कार्यालय पहुंच रहे हैं.
यह हो रही थी परेशानी
जमीनों की दूसरे राज्यों में करायी गयी रजिस्ट्री को जब सरकार द्वारा मान्यता नहीं दी जाने लगी तो लोगों की परेशानी बढ़ गयी. उसकी बिक्री से लेकर दाखिल खारिज तक के मामले फंसने लगे. ऐसे में लोग अपनी संपत्ति को बेच नहीं पा रहे थे. अपनी संपत्ति रहते हुए भी इसका फायदा लोगों को नहीं मिल रहा था.
दूसरे प्रांतों में निबंधित प्रॉपर्टी का फिर से अपने राज्य में निबंधन जरूरी
निबंधित दस्तावेज
वर्ष दस्तावेज
2009 847
2010 1021
2011 1029
2012 910
2013 804
2014 492
2015 208

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