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विधान परिषद चुनाव : एनडीए को 13, महागंठबंधन 10 पर

पटना : बिहार की सत्ता का सेमीफाइनल कहे जानेवाले बिहार विधान परिषद की स्थानीय निकायवाली 24 सीटों पर हुए चुनाव में एनडीए ने 13 सीटों पर जीत हासिल कर महागंठबंधन पर बढ़त बना ली है.भाजपा को सबसे अधिक 11 सीटें मिली हैं. कटिहार की सीट पर उसके समर्थन से निर्दलीय अशोक अग्रवाल उम्मीदवार को जीत […]

पटना : बिहार की सत्ता का सेमीफाइनल कहे जानेवाले बिहार विधान परिषद की स्थानीय निकायवाली 24 सीटों पर हुए चुनाव में एनडीए ने 13 सीटों पर जीत हासिल कर महागंठबंधन पर बढ़त बना ली है.भाजपा को सबसे अधिक 11 सीटें मिली हैं. कटिहार की सीट पर उसके समर्थन से निर्दलीय अशोक अग्रवाल उम्मीदवार को जीत मिली, जबकि लोजपा कीउम्मीदवार नूतन सिंह सहरसा की सीट जीतने में सफल रहीं. दूसरी ओर महागंठबंधन में जदयू को पांच सीटों पर विजयी मिली है. राजद चार पर और एक सीट पर कांग्रेस को सफलता मिली.
भाजपा ने 24 में 18 सीटों पर खुद उम्मीदवार खड़े किये थे, जबकि लोजपा ने चार और रालोसपा ने दो सीटों पर उम्मीदवार उतारे थे. इधर जदयू-राजद-कांग्रेस-एनसीपी महागंठबंधन को महज 10 सीटों पर जीत मिली.
पश्चिमी चंपारण की सीट कांग्रेस की झोली में गयी. 10 सीटों पर उम्मीदवार उतारने वाले जदयू को पांच सीटों पर विजय मिली है, जबकि चार सीटों पर राजद के उम्मीदवार चुनाव जीते. राजद के 10 उम्मीदवारों में छह को पराजय का सामना करना पड़ा. इनमें समस्तीपुर से रोमा भारती, दरभंगा से मिश्री लाल यादव प्रमुख हैं. जदयू को दो प्रतिष्ठावाली सीटें गवानी पड़ी हैं. सारण की सीट पर विधान परिषद के उपसभापति सलीम परवेज को हार का सामना करना पड़ा. वहीं, पार्टी को पटना की प्रतिष्ठावाली सीट से भी हाथ धोना पड़ा है. यहां जेल में बंद निर्दलीय उम्मीदवार रीतलाल यादव भारी मतों से चुनाव जीत गये हैं. जदयू को यहां तीसरे स्थान पर संतोष करना पड़ा है. जदयू को नालंदा की प्रतिष्ठावाली सीट बचा पाने में सफलता मिली है. वहां से रीना यादव ने चर्चित लोजपा उम्मीदवार रंजीत डान को हरा दिया है.
मधुबनी और बेगूसराय की जीत भाजपा की झोली में गयी है. बेगूसराय की सीट पर आखिरी समय तक विवाद चलता रहा. देर रात भाजपा के रजनीश कुमार को 64 मतों से जीत होने की घोषणा की गयी. हालांकि, खबर लिखे जाने तक चुनाव आयोग की वेबसाइट पर बेगूसराय और मधुबनी के चुनाव परिणाम की जानकारी नहीं दी गयी.
चुनाव आयोग ने देर रात 10 बजे बजे तक 18 सीटों के परिणाम घोषित कर दिये थे. इनमें पटना से निर्दलीय रीतलाल यादव ने भाजपा के भोला सिंह को 11 सौ से अधिक वोट से पराजित कर दिया. नालंदा में जदयू की रीना यादव ने रंजीत डान को पराजित किया.
गया में जदयू की मनोरमा देवी ने भाजपा के अनुज कुमार सिंह को, औरंगाबाद में भाजपा के रंजन कुमार सिंह ने राजद के विनय प्रसाद को, नवादा में जदयू के सलमान रागीब ने भाजपा के श्रवण कुमार को हराया. रोहतास में भाजपा के संतोष कुमार सिंह ने जदयू के अनिल सिंह को, सारण में भाजपा के सच्चिदानंद राय ने जदयू के सलीम परवेज को, सीवान में भाजपा के टुना जी पांडेय ने राजद के विनोद कुमार को, गोपालगंज में भाजपा के आदित्य पांडेय ने राजद के महंथ सत्यदेव दास को, पूर्वी चंपारण में भाजपा के राजेश कुमार उर्फ बबलू गुप्ता ने राजद की कलावती देवी को, मुजफ्फरपुर में जदयू के दिनेश प्रसाद सिंह ने भाजपा के प्रियदर्शिनी शाही को पराजित किया. वैशाली की सीट पर राजद के सुबोध कुमार को जीत मिली है.
उन्होंने अपने निकटतम प्रतिद्बंद्बी लोजपा के अजय कुमार कुशवाहा को पराजित किया. सीतामढ़ी में राजद के दिलीप राय ने भाजपा के देवेंद्र शाह को, दरभंगा में भाजपा के सुनील कुमार सिंह ने राजद के मिश्री लाल यादव को,समस्तीपुर में भाजपा के हरिनारायण चौधरी ने राजद की रोमा भारती को, भागलपुर में जदयू के मनोज कुमार यादव ने रालोसपा के अभिषेक वर्मा को, पूर्णिया में भाजपा के डॉ दिलीप कुमार जायसवाल ने कांग्रेस के मो असद इमाम को और कटिहार में भाजपा समर्थित निर्दलीय अशोक कुमार अग्रवाल ने एनसीपी की अंजलि देवी को परास्त किया है.
परिणाम ने अलर्ट कर दिया है, यह अच्छी बात है. किसी भी चुनाव परिणाम के बाद पार्टी उस पर विचार करती है व इसमें विचार होगा. विधान परिषद चुनाव आम जनता का नहीं, यह सीमित जनप्रतिनिधियों का चुनाव था.
नीतीश कुमार, मुख्यमंत्री
बिहार में भाजपा की जीत शुरूहो गयी है. भाजपा नीत एनडीए ने 24 में से 13 सीटें जीत ली है, जबकि उसके पास पहले केवल पांच सीटें थी. लोगों ने साबित कर दिया कि जनता परिवार फुस्स पटाखा है.
अमित शाह, भाजपा अध्यक्ष
इसमें पैसेवालों की रामलीला हुई है. बबुआ ना भइया सब बा रुपैया. इसमें जनता देख रही थी कि उसके प्रतिनिधियों ने किस तरह से वोट किया है. विधानसभा चुनाव में भाजपा को तार-तार कर देंगे.
लालू प्रसाद, राजद
जेल में बंद रीतलाल यादव जीते, रंजीत डॉन को मिली हार
पटना : विधान परिषद चुनाव में जहां रीतलाल यादव जेल में रह कर चुनाव जीतने में सफल हुए, वहीं नालंदा से चर्चित रंजीत डॉन को मुंह की खानी पड़ी. विधान परिषद चुनाव के नतीजों ने अलग-अलग संके त दिये हैं.
सिर्फ राजनीतिक रूप से संपन्न और धन-बल के इस्तेमाल में महारत प्रत्याशी ही सफल नहीं होते, बल्कि चुनावी गणित में भी पारंगत होना जरूरी है. रीतलाल यादव को पहले राजद से समर्थन मिलने की उम्मीद जतायी जा रही थी, लेकिन ऐसा हुआ नहीं. चर्चा यह भी चली कि उन्हें भाजपा समर्थन दे सकती है, लेकिन भाजपा ने भी उनसे पल्ला झाड़ लिया.
भाजपा ने तो अपने प्रत्याशी भोला सिंह के समर्थन में पटना में बड़ी सभा भी की, जिसमें पार्टी के ही बड़े नेता नहीं, बल्कि केंद्रीय मंत्री और लोजपा अध्यक्ष रामविलास पासवान ने भी उन्हें जिताने की अपील की थी. राजद-जदयू-भाजपा-लोजपा और कांग्रेस के विरोध की तमाम कोशिशें धरी-की-धरी रह गयीं और जेल में रह कर रीतलाल यादव विजयश्री की माला पहनने में कामयाब हो गये.
उधर नालंदा से रंजीत डॉन की जीत के कयास एक माह से लगाये जा रहे थे. हर कोई मान रहा था कि उन्हें धन-बल के इस्तेमाल में महारत हासिल है, इसलिए उनकी जीत की संभावना ज्यादा है.
लेकिन, मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के गृह जिले की इस सीट से आखिरकार जदयू को सफलता मिली. जदयू उम्मीदवार रीना यादव रंजीत डॉन को हराने में सफल रहीं. पिछले चुनाव में रीना के पति राजू यादव ने लोजपा के उम्मीदवार के तौर पर इस सीट से चुनाव जीता था, पर बाद में जदयू में शामिल हो गये थे.

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