मैट्रिक फर्स्ट डिवीजन से पास, दिया जीरो
पटना: मगध विश्वविद्यालय में तत्कालीन कुलपति प्रो अरुण कुमार के कार्यकाल में 20 प्राचार्यो की फर्जी तरीके से बहाली हुई थी. निगरानी ने इस मामले में पूर्व वीसी समेत 25 लोगों पर एफआइआर दर्ज कर जांच कर रहा है. मामला फिलहाल हाईकोर्ट में है.मामले की निगरानी ने अधिक गहराई से छानबीन शुरू की है. इसके […]
पटना: मगध विश्वविद्यालय में तत्कालीन कुलपति प्रो अरुण कुमार के कार्यकाल में 20 प्राचार्यो की फर्जी तरीके से बहाली हुई थी. निगरानी ने इस मामले में पूर्व वीसी समेत 25 लोगों पर एफआइआर दर्ज कर जांच कर रहा है. मामला फिलहाल हाईकोर्ट में है.मामले की निगरानी ने अधिक गहराई से छानबीन शुरू की है. इसके लिए निगरानी की एक विशेष टीम मगध विवि से इस फर्जीवाड़े से संबंधित कई दस्तावेजों को जब्त करके लायी है. दो दिनों तक सभी संबंधित दस्तावेजों को खंगालने के बाद यह टीम लौटी है.
इनमें सबसे अहम उस दौरान प्राचार्य की बहाली के लिए जिन 186 अभ्यर्थियों ने आवेदन किया था और जिनका इंटरव्यू हुआ था, सभी के मूल आवेदन पत्र और इसके साथ जमा एकेडमिक सर्टिफिकेट की प्रतियां समेत अन्य संबंधित दस्तावेज शामिल हैं. इसके अलावा उस समय तैयार किया गया रोस्टर, मेरिट लिस्ट, मार्किग शीट समेत अन्य कागजात की भी गहन छानबीन निगरानी ने शुरू कर दी है.
यह मिली बड़ी गड़बड़ी
अब तक छानबीन में यह बात सामने आयी है कि तत्कालीन वीसी और उनके सहयोगियों ने मिल कर अपने बड़े स्तर पर धांधली की है. इन लोगों ने जिसे जितना चाहा, नंबर दे दिया और जिसका जितना चाहा नंबर कम कर दिया. इसमें किसी परिनियम या नियम-कानून का पालन नहीं किया गया व मेरिट लिस्ट तैयार कर दी गयी. अपने करीबियों को आगे बढ़ाने के लिए टैलेंटेड अभ्यर्थियों को जानबूझ कर कम अंक दिये गये. छह अभ्यर्थी ऐसे थे, जिन्हें ‘जीरो या शून्य’ अंक दे किया गया, जबकि नियमनुसार यदि कोई मैट्रिक थर्ड डिवीजन से भी पास है, तो उसे कम-से-कम पांच अंक देना है. इसी तरह इससे ऊपर के शैक्षणिक योग्यता में भी निर्धारित मानक के अनुसार अंक नहीं दिये गये. एक अभ्यर्थी डॉ अजरुन शर्मा जेएनयू से एमए और पीएचडी की डिग्री प्राप्त किये हुए थे, इन्हें मैट्रिक में शून्य और इससे उच्च शैक्षणिक योग्यता में भी कम अंक दे दिये. जबकि यह सोचनेवाली बात है कि कोई व्यक्ति बिना मैट्रिक पास हुए उच्च डिग्री किसी अच्छे संस्थान से कैसे प्राप्त कर सकता है. ऐसी गड़बड़ी काफी बड़े स्तर पर सामने आयी है.
इसलिए की जा रही जांच
मामले की अगली सुनवाई आठ अगस्त को है. निगरानी ब्यूरो इस दौरान सभी 25 आरोपितों पर अपना शिकंजा जोरदार तरीके से कसने की तैयारी में जुटा हुआ है. इस वजह से दोबारा जांच करके फिर से आरोप गठित किये जा रहे हैं. गौरतलब है कि निगरानी इन 25 आरोपितों में पूर्व वीसी प्रो अरुण कुमार और मास्टरमाइंड प्रो प्रवीण कुमार को गिरफ्तार भी किया था. अन्य आरोपितों की गिरफ्तारी के लिए छापेमारी भी की जा रही थी. पर हाईकोर्ट ने इन्हें प्रोविजनल बेल दे दिया और अन्य की गिरफ्तारी पर रोक लगा दी थी. कोर्ट इस मामले में अधिक आरोपों से जुड़े प्रमाण भी चाहता था.