पटना: दिल्ली और कोलकाता से आयी एनएसजी की 12 सदस्यीय टीम ने शनिवार को खेमनीचक के शिवनगर स्थित लॉज में मिले 12 केन बमों व विस्फोटकों को दोपहर से निकालना शुरू किया. सुरक्षा उपकरण व एक्स-रे मशीन लेकर बम सूट पहने एनएसजी के मेजर व जवानों ने बारी-बारी से प्लास्टिक के झोले में रखे गये बमों को लॉज के कमरे से निकाला.
बमों को आंशिक रूप से डिफ्यूज किया गया और कड़ी सुरक्षा के बीच पुलिस की जीप में बालू की बोरी से चौतरफा घेर कर रखा गया. डेढ़ घंटे तक चले सफल ऑपरेशन के बाद बम को घनी आबादी के बीच से निकाल कर करीब 15 किलोमीटर दूर बाइपास थाने के मरचा और महुली गांवों के बीच खुले स्थान पर ले जाया गया. इस पूरे ऑपरेशन के
दौरान एनएसजी टीम के अलावा बिहार एटीएस, स्पेशल ब्रांच, बम निरोधक दस्ता, रामकृष्णा नगर थाने की पुलिस भी मौजूद रही. मौके पर एसपी पूर्वी सुधीर पोरिका, डीएसपी रमाकांत समेत अन्य पुलिस अफसर भी मौजूद रहे.जिस जीप में बमों को रखा गया था, उसके पीछे बिहार एटीएस व स्थानीय पुलिस टीम व एंबुलेस को भी लगाया गया था. पुलिस बल द्वारा ट्रैफिक रोक दिया गया और तेज रफ्तार से बम से लदी जीप को जीरो माइल से आगे बाइपास थाने के बगल से मरचा-महुली गांवों की सीमा पर ले जाया गया. चौर के इस क्षेत्र में तीन बजे बम विस्फोट कराने का दूसरा ऑपरेशन शुरू किया गया. एनएसजी मेजर निरंजन की मौजूदगी में जेसीबी से अलग-अलग 12 गड्ढे खोदे गये. यह गड्ढे पांच फुट गहरे और छह फुट चौड़े थे. इसके बाद सभी गड्ढों में केन बम का एक-एक झोला रखा गया. ऊपर से बालू की बोरी रख कर दबाया गया.
एफएसएल जांच के लिए लिये गये सैंपल
विस्फोट से पहले कोडल वायर के प्रयोग से बम के एक्सक्लूसिव को जानने के लिए जांच नमूने लिये गये. इसे जांच के लिए भेजा जायेगा. इससे पहले 5:36 बजे पहला बम विस्फोट कराया गया. इसके बाद लगातार 8:15 बजे बम को बारी-बारी से विस्फोट कराया गया. इसके बाद देर रात तक एनएसजी की टीम व पुलिस के जवान वहां से लौटे.
बम से लदी जीप ड्राइव करने के लिए एसपी ने दिये पांच हजार रुपये इनाम
बम से लदी जीप को शिवनगर से करीब 25 किलोमीटर दूर मरचा गांव तक सिटी एसपी पूर्वी सुधीर पोरिका के गाड़ीचालक आशुतोष कुमार ड्राइव करके ले गये. वह कोई बम सूट नहीं पहना था. हालांकि, इससे पहले बम को आंशिक रूप से डिफ्यूज किया जा चुका था, लेकिन उस गाड़ी को चलाने के लिए लोग कन्नी काट रहे थे. बाद में आशुतोष तैयार हुए और करीब 45 मिनट में वह केन बम से लदी गाड़ी लेकर मरचा गांव पहुंच गये. इसके लिए उन्हें एसपी पूर्वी ने पांच हजार रुपये का इनाम देने की घोषणा की.
डेढ़ किमी का एरिया कवर
बमों को गड्ढे में रख कर 100 मीटर दूर तक बिजली का तार जोड़ा गया. इसके बाद ग्रामीणों को डेढ़ किमी दूर भगाया गया. एक पेड़ के पास पूरी टीम बैठ गयी. यहां से तार को जब जोड़ा गया, तो तेज धमाके के साथ आग को गुब्बार व काला धुआं आसमान में फैल गया.
एनएसजी के आने से पहले शिवनगर में तेज हो गयी थी मुहल्लावालों की चहलकदमीलॉज के सामने बालू की बोरियों के बीच बम डिफ्यूज किये जाने की होती रही चर्चातीन दिनों से दहशत में जी रहे लोगों को दो बजे के बाद मिली राहत मिली
सुबह से आसमान में बदली छायी हुई थी. बीच-बीच में बारिश सबको घर में ही दुबकने को मजबूर कर रहा था. लेकिन खेमनीचक के शिव नगर की बात करें तो वहां माहौल ही कुछ अलग था. लोगों की जुबान खामोश थी, पर आंखों में सैकड़ों सवाल थे. सुबह 10 बजे से पूरे एरिया में पुलिस की सक्रियता बढ़ गयी. 11 बजे तक एनएसजी की टीम पटना जंकशन के पास मौजूद थी. यहां से डिलिवरी वैन में बम को डिफ्यूज करने का पूरा सामान लेकर 12.30 बजे एनएसजी टीम शिव नगर पहुंची और बम डिफ्यूज करने की प्रक्रिया शुरू हुई. टीम की कार्रवाई को देखने के लिए मुहल्ले के महिला, पुरुष व बच्चे छतों और खिड़कियों पर जम गये थे. एनएसजी के सुरक्षा उपकरण व पूरी सतर्कता से चल रहे ऑपरेशन को लोग गौर से देखते रहे. उनकी आंखों में साफ दहशत दिख रही थी.
बमों को गाड़ी में डालने में लगा एक घंटे
करीब एक बजे एनएसजी की टीम ने बम को लॉज से निकाल कर गाड़ी में रखने का काम शुरू किया. इसके लिए सबसे पहले एक बड़ा बॉक्स लाया गया. इसी बॉक्स में निकाल कर बम को रखा जाना था. लेकिन, बम निरोधी दस्ते के भारी सूट और बम के वजन के चलते ऐसा करने में दिक्कत हुई. दो सदस्यीय दस्ते ने पहले लंबे रॉड में हुक लगा कर बम को निकालने का प्रयास किया. हुक से निकाल कर पहले बम के झोले को जीप तक लाने में काफी समय लग गया. इसके बाद दोनों बम निरोधक जवानों ने हाथों से ही झोले उठाये और उसे ला कर जीप में रखा. ऐसा करने से पहले जीप में बालू की बोरियां भी डाली गयीं. बम रखने के बाद उसके ऊपर भी बोरियां डाली गयीं.
पहले ही ठप करा दी गयी ट्रैफिक
डीएसपी रमाकांत ने हाइवे पर जाने से पहले रास्ता साफ करवाया और ट्रैफिक पांच मिनट के लिए रोकवा दिया. बम से लदी जीप, सुरक्षा बैन, एंबुलेंस को फोर्ड हॉस्पिटल के बगल से हाइवे पर लाया गया. तेज रफ्तार से निकली यह गाड़ी करीब 25 मिनट तक उन ताकतवर बमों को लेकर रफ्तार भरती रही, जिसके विस्फोट होने से करीब दो किलोमीटर का एरिया तबाह हो जाता. जोखिम के ये पल पूरी सतर्कता से अंजाम तक पहुंचा गया. बाइपास थाने के पास गाड़ी के पहुंचने पर उसे बगल के रास्ते से मरचा गांव के लिए अंदर और बेहद खराब रास्ते से ले जाया गया.
दूर से देखते रहे आग का गुब्बार और धुआं
विस्फोट के दौरान लोगों को काफी दूर किया गया था. लोग दूर से आग का गुबार और काला धुआं देख रहे थे. पुलिस के बार-बार खदेड़ने के बावजूद लोग वहां जमे रहे. विस्फोट का नजारा देख कर लोग अचंभित हो रहे थे. गौरतलब है कि रांची पुलिस की सूचना पर पटना पुलिस ने शिव नगर के एक लॉज में छापेमारी कर गुरुवार को विस्फोटकों का जखीरा बरामद
किया था.
सारे बमों के नष्ट होने के बाद लोगों व पुलिस ने भी ली राहत की सांस
11.00 बजे : अगल बगल के मकानों से लोगों को निकाला
12.30 बजे : एनएसजी की 12 सदस्यीय टीम पहुंची
01.00 बजे : मेजर निरंजन खुद उस कमरे में गये
01.05 बजे : केन बम का एक्स-रे से स्कैन किया गया
01.08 बजे : बम को आंशिक डिफ्यूज करने की प्रक्रिया शुरू
01.37 बजे : बम आंशिक डिफ्यूज
01.42 बजे : पहले थैले को रॉड में कुंडी फंसा कर बाहर लाया
02.00 बजे : सभी बमों को जीप में रखा
02.10 बजे : लॉज से 15 किमी मरचा गांव ले जाया गया
कब-कब कराये विस्फोट
05.36 बजे : पहला ब्लास्ट
05.37 बजे : दूसरा ब्लास्ट
06.05 बजे : तीसरा ब्लास्ट
06.06 बजे : चौथा ब्लास्ट
06.09 बजे : पांचवां ब्लास्ट
06.15 बजे : छठा ब्लास्ट
06.33 बजे : सातवां ब्लास्ट
06.45 बजे : आठवां ब्लास्ट
6:51 रात 8.15 बजे तक सभी बमों को विस्फोट करा कर डिफ्यूज किया गया
180 किलो के थे विस्फोटक
12 केन बम
30-30 किलो के तीन, 10-10 किलो के नौ बम
* पांच किलो अल्यूमीनियम नाइट्रेट त्न 75 डेटोनेटर
* 06 रिमोट त्न 24 पेंसिल बैटरी त्न 52 घड़ियां
एक-एक बम में डाले गये थे दर्जन भर नेट बॉल
लॉज में मिले केन बम के एक्सक्लूसिव क्या है, यह पूरी तहर साफ नहीं हो पाया है. इसे एनएसजी ने जांच के लिए सुरक्षित किया है. लेकिन सूत्रों ने जो जानकारी दी है, वह चौंकाने वाली है. एक्स-रे मशीन से केन बम के अंदर उस नेट बॉल को देखा गया है जो बेहद खतरनाक होती है. 30 किलोग्राम के मिले सबसे बड़े बम में नेट बॉल की संख्या करीब एक दर्जन थी.
तकनीकी जानकार बताते हैं कि बम के अंदर मौजूद एक नेट बॉल विस्फोट के दौरान एके-47 की गोली से भी ज्यादा ताकतवर हो जाता है. यह शरीर में लगने के दौरान नसों को चीड़ देता है. इससे तेज रक्तस्नव होता है और वह लोग मौत के शिकार होते हैं. इसके अलावा एक बम में दो सुराख किये गये थे. यह डेटोनेटर लगाने के लिए थे. इससे साफ है कि दो डेटोनेटर का प्रयोग एक बम में होना था. सूत्रों की मानें तो गांधी मैदान बम ब्लास्ट से इसकी ताकत पांच गुना थी.
लड़कों की करतूत देख पुलिस भी स्तब्ध : पटना से लेकर दिल्ली तक सुर्खियों में छाये पीएलएफआइ से जुड़े संदिग्धों के बारे में जान कर पुलिस भी हैरान है. पुलिस पदाधिकारियों का कहना था कि 18 से 20 साल तक लड़के इतना खतरनाक कदम उठायेंगे यकीन नहीं होता. पूर्व में पकड़े गये कुंदन, छोटू, सोनू, जितेंद्र उर्फ चुहवा के बाद लॉज में कौन लोग रह रहे थे. इसकी पुलिस पड़ताल कर रही है.
20 जुलाई को लॉज में आनेवाले थे संदिग्ध
25 जुलाई को मुजफ्फरपुर में पीएम नरेंद्र मोदी का कार्यक्रम है. वह पटना होकर जानेवाले हैं. वहीं शिवनगर के लॉज में रहनेवाले संदिग्धों के बारे में जानकारी मिली है कि वह मकान मालिक राम प्रवेश राय से बोल कर गये थे कि वह 20 जुलाई को आयेंगे, इस बीच उनकी क्या साजिश थी, इसकी जांच की जा रही है. लेकिन जैसी तैयारी थी उससे साफ है कि बड़ी तबाही मचाने को षडयंत्र किया गया था.
सोनू घूमता रहा पटना में, नहीं लगी पुलिस को भनक
बहादुरपुर हाउसिंग कॉलोनी एमआइजी में बम ब्लास्ट व बम की बरामदगी के बाद सुर्खियों में आये सोनू व छोटू पटना में ही घूमते रहे, लेकिन पटना पुलिस को इसकी भनक नहीं लगी. दोनों पीएलएफआइ संगठन को मजबूत करने व पटना को दहलाने की योजना बनाते रहे. तीन मार्च को इन लोगों ने लॉज में कमरा किराये पर लिया और उसके बाद 30 मार्च को बहादुरपुर हाउसिंग कॉलोनी में अचानक ही बम ब्लास्ट कर गया और तब पुलिस की टीम वहां पहुंची और मामले का खुलासा हुआ. पुलिस ने इस मामले में कुंदन व अन्य को तो पकड़ लिया, लेकिन सोनू को पकड़ने में विफल रही. रामकृष्णा नगर मामले में भी एक बार फिर सोनू व छोटू निकल भागने में सफल रहे.
बनायी गयी विशेष टीम
सोनू व छोटू को पकड़ने के लिए एक विशेष टीम का गठन किया गया है. इसमें एक डीएसपी, एक इंस्पेक्टर, दो एसआइ व चार सिपाही को शामिल किया गया है. यह टीम दोनों को पकड़ने की दिशा में ही विशेष रूप से काम करेगी. इसके साथ ही पुलिस लॉज संचालक से भी पूछताछ करने में जुटी है. हालांकि वह सोनू के संबंध में कुछ भी विशेष नहीं बता पा रहा है. सूत्रों के अनुसार उसका केवल इतना ही कहना है कि उसने सोनू से आइडी प्रूफ लेने के बाद कमरा किराये पर दिया था.
27 जून को दर्ज की गयी थी प्राथमिकी
रामकृष्णा नगर इलाके में बम बरामदगी के बाद सोनू द्वारा किये गये कारनामे की परत-दर-परत अब खुल रही है. पुलिस के अनुसंधान में यह बात सामने आयी है कि सोनू ने ही रामकृष्णा नगर के व्यवसायी मनोज कुमार से दस लाख की रंगदारी मांगी थी. पटना में सोनू के होने की जानकारी के बाद यह स्पष्ट है कि पीएलएफआइ के मास्टर माइंड चुहवा के जेल जाने के बाद चंदन द्वारा फर्जी नाम व पते पर लिये गये सिम का उपयोग उसके बाद सोनू द्वारा ही किया जा रहा था.
इस संबंध में रामकृष्णा नगर थाने में 27 जून को प्राथमिकी दर्ज हुई थी. इस मामले में पुलिस ने गलत ढंग से सिम लेने व उसे पीएलएफआइ के मास्टर माइंड अवधेश उर्फ चुहवा तक पहुंचाने के मामले में तीन युवकों राजीव उर्फ बबलू, अजीत कुमार व चंदन कुमार को पकड़ा था और जेल भेज दिया था. चंदन से राजीव उर्फ बबलू ने सिम लिया और राजीव से प्रदीप ने सिम लेने के बाद चुहवा को सौंप दिया. इसी सिम से रंगदारी की रकम कपड़ा व्यवसायी से मांगी गयी थी.