भूमि अधिग्रहण बिल का विरोध करेगा बिहार
पटना. नयी दिल्ली में बुधवार को होनेवाली ‘नीति आयोग’ की विशेष बैठक में भूमि अधिग्रहण बिल पर चर्चा होगी. यह बैठक भूमि अधिग्रहण से जुड़े नये कानून पर मंथन करने के लिए खासतौर से बुलायी गयी है. इस बैठक में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार, मुख्य सचिव अंजनी कुमार सिंह समेत अन्य अधिकारी शिरकत करेंगे. इस बैठक […]
पटना. नयी दिल्ली में बुधवार को होनेवाली ‘नीति आयोग’ की विशेष बैठक में भूमि अधिग्रहण बिल पर चर्चा होगी. यह बैठक भूमि अधिग्रहण से जुड़े नये कानून पर मंथन करने के लिए खासतौर से बुलायी गयी है. इस बैठक में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार, मुख्य सचिव अंजनी कुमार सिंह समेत अन्य अधिकारी शिरकत करेंगे.
इस बैठक में केंद्र की भाजपा सरकार की तरफ से लायी जा रही भूमि अधिग्रहण कानून का बिहार पूरी तरह से विरोध करेगा. इसके स्थान पर बिहार पहले के भूमि अधिग्रहण कानून, 2013 का पूरी तरह से समर्थन करेगा. वर्तमान कानून में प्रस्तावित तमाम प्रावधानों को बिहार एक साथ नाकारेगा. पहले से कानून को ही भूमि अधिग्रहण के लिए ज्यादा फायदेमंद और किसानों के हित के लिए मानते हुए इसे यथावत रहने देने की वकालत राज्य की तरफ से की जायेगी.
नये कानून का इन बातों के कारण हो रहा विरोध
– वर्तमान बिल में इंडस्ट्रियल कॉरिडोर, पब्लिक-प्राइवेट पार्टनरशिप प्रोजेक्ट, ग्रामीण आधारभूत संरचना, हाउसिंग और डीफेंस के लिए जमीन अधिग्रहण करने की बाध्यता को भूमि अधिग्रहण कानून से दूर किया जा रहा है.
– केंद्र सरकार अपनी इच्छा से कभी भी इन कार्यो के लिए किसी जमीन का अधिग्रहण कर सकती है.
– किसी निजी कार्य के लिए जमीन अधिग्रहण करने के लिए जमीन मालिकों की 80 फीसदी की सहमति लेना अनिवार्य है, इसे खत्म किया जा रहा है.
– किसी जमीन को अधिग्रहण करने से पहले उसकी सामाजिक स्वीकृति और मूल्यांकन करने की अनिवार्यता को खत्म करने का प्रस्ताव.
– वर्तमान भूमि अधिग्रहण कानून में यह प्रावधान है कि अगर जमीन का उपयोग पांच वर्ष तक नहीं किया गया, तो यह वापस किसानों को लौटा दी जायेगी. इस प्रावधान को समाप्त करने की बात नये कानून में है.
– अगर कोई नौकरशाह भूमि अधिग्रहण कानून का उल्लंघन करता है, तो उसे इसके तहत दंडित करने की व्यवस्था है, इसे भी समाप्त किया जा रहा है.