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स्टूडेंट्स ने की आर्गेनिक चावल की खेती

35 स्टूडेंट्स ने लिया हिस्साकरीब 10 एकड़ मंे किया आर्गेनिक चावल की खेतीलाइफ रिपोर्टर @ पटनाआर्यभट नॉलेज यूनिवर्सिटी से संबंद्ध सेंट जेवियर कॉलेज ऑफ मैनेजमेंट एंड टेक्नोलॉजी के स्टूडेंट्स ने तरुमित्र बायो रिजर्व में आर्गेनिक चावल का बिचड़ा लगाया. करीब 10 एकड़ में की गयी इस खेती में 35 स्टूडेंट्स ने हिस्सा लिया.चावल के नाम […]

35 स्टूडेंट्स ने लिया हिस्साकरीब 10 एकड़ मंे किया आर्गेनिक चावल की खेतीलाइफ रिपोर्टर @ पटनाआर्यभट नॉलेज यूनिवर्सिटी से संबंद्ध सेंट जेवियर कॉलेज ऑफ मैनेजमेंट एंड टेक्नोलॉजी के स्टूडेंट्स ने तरुमित्र बायो रिजर्व में आर्गेनिक चावल का बिचड़ा लगाया. करीब 10 एकड़ में की गयी इस खेती में 35 स्टूडेंट्स ने हिस्सा लिया.चावल के नाम पर चलती है ट्रेनतरुमित्र के पीआरओ अविनाश प्रताप सिंह ने बताया कि तरुमित्र में लगाये गये चावल की प्रजाति का नाम ‘कैंसर’ है. इस प्रजाति के चावल की खेती पंजाब में बड़ी मात्रा में होती है. चावल की प्रसिद्धि इतनी है कि इसके नाम पर पंजाब के भठिंडा से राजस्थान के बीकानेर तक चलने वाली ट्रेन का नाम इस चावल के नाम पर ही ‘कैंसर एक्सप्रेस’ है.एसआरआइ मेथड से की गयी खेतीतरुमित्र में की गयी इस खेती में एसआरआइ पद्धति को अपनाया गया है. इस तकनीक का प्रयोग सबसे पहले मेडागास्कर में किया गया था. यूएसए के कॉर्नेल विश्वविद्यालय ने इस पद्धति को अपनाया था. इस तकनीक से होने वाली खेती से फसलों की क्षति कम होती है. साथ ही ‘कैंसर’ प्रभेद का यह चावल मौसम की मार को झेलने में सक्षम होता है. पीआरओ ने बताया कि तरुमित्र में 2011 से आर्गेनिक चावल की खेती होती है. जापान में रह कर इस खेती के बारे में विशेष जानकारी हासिल करने वाले मार्गरेट मोलोबो ने तरुमित्र में इस खेती की शुरुआत की. बुधवार को इनके ही देखरेख में बिचड़ा लगाया गया.

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