रंगीन वोटर आइडी के लिए परेशान हैं 10 लाख वोटर

पटना: पटना जिले के करीब दस लाख मतदाताओं के लिए रंगीन वोटर कार्ड अभी भी दूर है. ये मतदाता वे हैं जो पटना के सुदूर प्रखंडों में रहते हैं. अभी तक पटना के 20 प्रखंडों में इलेक्शन स्पेशल कॉमन सर्विस सेंटर नहीं खुले हैं. इसकी वजह से उन मतदाताओं को पटना समाहरणालय स्थित कॉमन सर्विस […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | July 17, 2015 2:10 AM
पटना: पटना जिले के करीब दस लाख मतदाताओं के लिए रंगीन वोटर कार्ड अभी भी दूर है. ये मतदाता वे हैं जो पटना के सुदूर प्रखंडों में रहते हैं. अभी तक पटना के 20 प्रखंडों में इलेक्शन स्पेशल कॉमन सर्विस सेंटर नहीं खुले हैं. इसकी वजह से उन मतदाताओं को पटना समाहरणालय स्थित कॉमन सर्विस सेंटर आना पड़ता है या फिर गांधी मैदान के समीप स्थित विकास भवन में स्थित दूसरे केंद्र का सहारा लेना पड़ता है.

जब मुख्यालय में राष्ट्रीय मतदाता दिवस के अवसर पर सेंटर खोला गया था, तो घोषणा की गयी थी कि शीघ्र ही सभी प्रखंड मुख्यालयों में लोगों को इसकी सेवा मिल जायेगी, लेकिन घोषणा केवल एक दो जगहों पर सेंटर को खोलने के बाद कागजी ही रह गयी है. अभी तक केवल तीन प्रखंडों में ही सेंटर खोले जा सके हैं.

पटना सदर, पटना सिटी व बख्तियारपुर में ही खुले सेंटर : अभी तक केवल सदर ब्लॉक, पटना सिटी कोर्ट परिसर और बख्तियारपुर में ही केंद्र चल रहे हैं. दानापुर, फुलवारी और मनेर में कोशिश की गयी, लेकिन यह नाकाफी साबित हुई. इस वजह से 20 प्रखंडों के लाखों मतदाता चाह कर भी अपना वोटर कार्ड नहीं बनवा पा रहे हैं. उन्हें विकल्प के तौर पर मुख्यालय स्थित सेंटर में आना पड़ता है.
अभी तक बीस हजार से ज्यादा मतदाता ले चुके हैं लाभ : पटना में काम कर रहे चार केंद्रों से अभी तक बीस हजार से ज्यादा मतदाता लाभ ले चुके हैं. 25 जनवरी को शुरू हुए सेंटर से अभी तक बीस हजार से ज्यादा मतदाता अपना रंगीन कार्ड बनवा चुके हैं.
कार्ड बनाने में दलाली का आरोप
विकास भवन में रंगीन वोटर कार्ड बनाने में दलाली का मामला सामने आ रहा है. कई मतदाताओं ने शिकायत की है कि उन्हें बेवजह यहां के केंद्र संचालकों द्वारा दौड़ाया जा रहा है. जो पैसे देते हैं, उनका काम तुरंत कर दिया जा रहा है. खाजपुरा के रहनेवाले प्रभात कुमार ने शिकायत की है कि उन्हें एक महीने से सेंटर द्वारा दौड़ाया जा रहा है. वहीं पर एक पान के गुमटी वाले को पैसे देने पर काम हो जाता है. वह पैसा बाद में वहां पहुंचा दिया जाता है. दीघा के विनोद कुमार ने भी बताया कि जब वे वहां गये तो सेंटर संचालकों ने बदतमीजी की और उन्हें वहां से भगा दिया गया. जब ज्यादा पैसा देने की बात की, तो संचालक राजी हुए.

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