गायब हो रहे बच्चे, अधूरी रह जा रही पुलिस की तलाश
शहर में बढ़ रही है बच्चों के लापता होने की घटना पटना : लापता बच्चों की तलाश में पटना पुलिस पूरी तरह से लापरवाही बरत रही है. थानों पर इससे संबंधित सनहा भी आसानी से नहीं लिया जाता है. पुलिस खुद खोजने के बजाय अभिभावकों से ही सुराग मांगती है. बच्च अगर गरीब परिवार से […]
शहर में बढ़ रही है बच्चों के लापता होने की घटना
पटना : लापता बच्चों की तलाश में पटना पुलिस पूरी तरह से लापरवाही बरत रही है. थानों पर इससे संबंधित सनहा भी आसानी से नहीं लिया जाता है. पुलिस खुद खोजने के बजाय अभिभावकों से ही सुराग मांगती है.
बच्च अगर गरीब परिवार से हो, तो मुश्किल और भी बढ़ जाती है. पुलिस यह मान लेती है कि बच्चा कहीं चला गया होगा, खुद आ जायेगा. नतीजा होता है कि मामला पुराना होता जाता है और अभिभावक थाना व पदाधिकारी का चक्कर लगा कर थक जाते हैं. हालांकि हाई प्रोफाइल परिवार के बच्चों के बारे में स्थिति बिल्कुल उलट है. उनके गायब बच्चों को खोजने के लिए पुलिस जान लड़ा देती है.
19 जून, 2014
पाटलिपुत्र कॉलोनी से रिटायर्ड आइएएस वसीममुद्दीन सिद्दकी की तीन वर्षीय पोती ताहिरा को घर का ही ड्राइवर राजकुमार ने अपहरण कर लिया था. तत्कालीन एसएसपी मनु महराज ने 24 घंटे के अंदर नालंदा शिवचक से ताहिरा को बरामद किया था और राजकुमार को गिरफ्तार कराया था.
8 फरवरी, 2014
बंदर बागीचा के रहने वाले व्यवसायी मोहन खंडेलवाल का पुत्र शिवम खंडेलवाल को पटना क्लब में खेलने जाने के दौरान घर का ही गाड़ी चालक गिरीश ने अपहृत कर लिया था. उसने 2 करोड़ की रंगदारी मांगी थी. तत्कालीन एसएसपी मनु महराज ने 14 घंटे के अंदर भोजपुर से शिवम को बरामद किया था.
सुप्रीम कोर्ट का आदेश भी ‘लापता’
शहरी क्षेत्र हो या गांव का इलाका, नबालिग बच्चे-बच्चियों के गायब होने की घटनाएं बढ़ती जा रही हैं. सुप्रीम कोर्ट का सख्त आदेश है कि 24 घंटे के अंदर अगर बच्चों की तलाश नहीं हो पाती है, तो सनहा को अपहरण की धारा में बदल कर मामले की छानबीन की जाए, लेकिन इसे गंभीरता से नहीं लिया जा रहा है.
पुलिस या तो हाई प्रोफाइल मामले में संजीदा होती है या फिर फिरौती मांगे जाने पर. अगर यह दोनों स्थिति नहीं है, तो बच्चों के गायब होने के मामले में पुलिस यह मान लेती है कि बच्च अपने मन से घर से भागा है और खुद आ जायेगा. दूसरी अगर, नाबालिग लड़की लापता है, तो उसे प्रेम-प्रसंग से जोड़ कर देखा जाता है. हालांकि यह दोनों बातें भी कुछ मामलों में सही होती हैं, लेकिन ज्यादातर मामले इसी आड़ में दबे रह जाते हैं.
ऑपरेशन मुस्कान भी फेल
जुलाई के दूसरे सप्ताह में खोये हुए बच्चों की तलाश के लिए रेल पुलिस व सीआइडी आइजी ने ऑपरेशन मुस्कान चलाया था. इसके तहत रेलवे जंकशन से गायब होने वाले बच्चों को प्राथमिकता के तौर पर खोजे जाने का प्रयास किया गया था. पटना पुलिस को भी इसमें सहयोग करना था, लेकिन कुछ खास सफलता नहीं मिली.