पटना: कल-तक ‘विशेष राज्य का दर्जा से कम कुछ नहीं चाहिए.’ कहनेवाले मुख्यमंत्री नीतीश कुमार आज केंद्र सरकार से केंद्रीय सहायता की गुहार लगा रहे हैं. बिहार को विशेष राज्य का दर्जा देने की मांग पर जदयू की हालत चौबे गये छब्बे बनने, दूबे होकर लौटे वाली हो गयी है. यह बात बुधवार को भाजपा विधान मंडल दल के नेता सुशील मोदी ने कहीं.
उन्होंने कहा कि रघुराम राजन कमेटी की रिपोर्ट की हकीकत जानने पर विशेष राज्य के दर्जा की अवधारणा ही खत्म हो गयी है. यही वजह है कि जदयू ने विशेष राज्य के दर्जे की मांग करनी छोड़ दी है. सच तो यह है कि रघुराम कमेटी की रिपोर्ट की अनुशंसाओं से बिहार को नुकसान हुआ है. रिपोर्ट में बिहार को कम विकसित अन्य वैसे राज्यों से जोड़ दिया गया है, जो कई मामलों में बिहार से आगे हैं. बिहार को 10 राज्यों की भीड़ में शामिल कर कमेटी ने अन्याय किया है.
मोदी ने कहा है कि मुख्यमंत्री गलत तथ्यों के आधार पर केंद्र प्रायोजित योजनाओं में राज्य की भागीदारी कम करने मांग वित्त मंत्री से कर रहे हैं. उन्हें तो उत्तर-पूर्व के राज्यों की तरह बिहार में राज्यांश का अनुपात केंद्र प्रायोजित योजनाओं में 90:10 करने की मांग करनी चाहिए. विशेष राज्य का दर्जा प्राप्त हिमाचल, जम्मू-कश्मीर व उत्तराखंड को केंद्र प्रायोजित योजनाओं में अमूमन बिहार के तर्ज पर ही राज्यांश देना पड़ता है. बिहार में उद्योग-धंधों में निवेश करनेवालों को विभिन्न तरह की करों में छूट मिलनी चाहिए. केंद्र को ऐसी छूट की घोषणा बिना देरी के करनी चाहिए.