सीएम के विकास पुरुष बनने का ढोंग उजागर: सुशील मोदी
पटना: पूर्व उपमुख्यमंत्री व भाजपा के वरिष्ठ नेता सुशील कुमार मोदी ने कहा है कि सूबे में साढ़े आठ हजार दो मंजिला ‘पंचायत सरकार भवन’ बनना था, मगर जब विधानसभा चुनाव की घोषणा में महज 40 दिन बचे हैं, तो मुख्यमंत्री नीतीश कुमार मात्र 295 पंचायत सरकार भवनों का उद्घाटन कर अपनी पीठ खुद थपथपा […]
पटना: पूर्व उपमुख्यमंत्री व भाजपा के वरिष्ठ नेता सुशील कुमार मोदी ने कहा है कि सूबे में साढ़े आठ हजार दो मंजिला ‘पंचायत सरकार भवन’ बनना था, मगर जब विधानसभा चुनाव की घोषणा में महज 40 दिन बचे हैं, तो मुख्यमंत्री नीतीश कुमार मात्र 295 पंचायत सरकार भवनों का उद्घाटन कर अपनी पीठ खुद थपथपा रहे हैं.
सरकार अपने निकम्मेपन के कारण पंचायत सरकार भवनों के निर्माण के लिए 13 वें वित आयोग द्वारा अनुशंसित एक हजार करोड़ रुपये में से 500 करोड़ नहीं ले पायी, वहीं केंद्र सरकार द्वारा नगर निकायों व पंचायती राज संस्थाओं को दिये जानेवाले 250 करोड़ रुपये लेने में भी विफल रही.
मुख्यमंत्री को बताना चाहिए कि शेष पंचायत सरकार भवनों का निर्माण कब तक होगा और क्या कें द्रीय राशि लेने की उनकी जिम्मेवारी नहीं थी. उनका विकास पुरुष बनने का ढोंग उजागर हो चुका है. पूर्व उपमुख्यमंत्री ने कहा है कि पंचायती राज व्यवस्था को सशक्त बनाने के लिए केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार संकल्पित है. विगत पांच सालों में केंद्र की यूपीए सरकार बिहार की पंचायती राज संस्थाओं को मात्र पांच हजार करोड़ रुपये दे पायी, जबकि वर्तमान केंद्र सरकार ने 14 वें वित्त आयोग की अनुशंसा पर इसमें करीब साढ़े चार गुणा की वृद्घि करते हुए 23,500 करोड़ रुपये देने का प्रावधान किया है.
राज्य सरकार के भेदभाव के आरोपों के बावजूद बिहार के विकास के लिए प्रतिबद्घ कें द्रीय कैबिनेट ने समस्तीपुर में केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय की मंजूरी देते हुए इसके लिए 295 करोड़ रुपये दिया है, जिससे वहां छह कॉलेज, 7 शोध संस्थान, 11 कृषि विज्ञान केंद्र के साथ अंतरराष्ट्रीय स्तर का संस्थान बनेगा, वहीं बिहार में दीनदयाल उपाध्याय ग्राम ज्योति योजना के अंतर्गत ग्रामीण विद्युतीकरण, शहरी क्षेत्रों में 24 घंटे बिजली आपूर्ति और अलग कृषि फीडर के लिए साढ़े सात हजार करोड़ रुपये की स्वीकृति दी गयी है. गोरौल में केला शोध केंद्र के पुनरुद्घार का भी निर्णय लिया है. भाजपा नेता ने कहा कि चुनावी लाभ और शिलापट्टों पर नाम अंकित कराने के लिए नीतीश कुमार आधे-अधूरे निर्माण के बावजूद ताबड़तोड़ उद्घाटन का फीता काटने के लिए बेताब है, मगर बिहार की जनता इससे प्रभावित होनेवाली नहीं है.