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चतुस क्रांति से आगाज होगा दूसरी हरित क्रांति का : पीएम

झंडे के चार रंगों से चतुस क्रांति का सूत्र पटना : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बिहार की धरती को दूसरी हरित क्रांति का उद्गम स्थल बताते हुए कहा कि चतुस (चार) क्रांति के बदौलत ही दूसरी हरित क्रांति का आगाज होगा. चतुस क्रांति की रूपरेखा देश के झंडे में मौजूद चारों रंगों से तय की […]

झंडे के चार रंगों से चतुस क्रांति का सूत्र
पटना : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बिहार की धरती को दूसरी हरित क्रांति का उद्गम स्थल बताते हुए कहा कि चतुस (चार) क्रांति के बदौलत ही दूसरी हरित क्रांति का आगाज होगा. चतुस क्रांति की रूपरेखा देश के झंडे में मौजूद चारों रंगों से तय की गयी है.
दूसरी हरित क्रांति के लिए कृषि को उन्नत तकनीक और नये प्रयोगों से जोड़ने की जरूरत है. इसके लिए कृषि वैज्ञानिकों को सुझाव देते हुए कहा कि किसानों की खेतों को प्रयोगशाला बनायें. ‘लैब टू लैंड’ तक जाने की बात कही. अगर प्रयोगशाला में चीकू को नारियल के बराबर बना दिया, तो यह किसी काम नहीं आता. इसका सही लाभ तभी मिलेगा, जब यह धरती पर उपजे. किसानों के मन तक नये प्रयोगों का विस्तार होना चाहिए. उन्होंने बिहार में बिजली की कमी को भगवा क्रांति से दूर करने की बात कही.
नीली क्रांति (मछली पालन) में पिछड़े पन की बात का उल्लेख करते हुए कहा कि इतना पानी होने के बाद भी आंध्रप्रदेश से सालाना 400 करोड़ की मछली मंगवाकर यहां के लोग खाते हैं. पीएम शनिवार को शहर के श्रीकृष्ण मेमोरियल हॉल में आइसीएआर (इंडियन काउंसिल ऑफ एग्रीकल्चर रिसर्च) के 87वें स्थापना दिवस समारोह को संबोधित कर रहे थे.
इस दौरान उन्होंने देशभर में कृषि के क्षेत्र में उत्कृष्ट प्रदर्शन करने के लिए कृषि विश्वविद्यालय, संस्थानों, वैज्ञानिकों, किसानों और पत्रकारों को सम्मानित किया. साथ ही कृषि के क्षेत्र में पांच नयी योजनाओं की शुरुआत की. उन्होंने कहा कि बिहार के किसानों में क्षमता बहुत है, बस उन्हें ज्ञान और सामर्थ से जोड़ने की जरूरत है.
भगवा रंग से ऊर्जा क्रांति
पीएम ने कहा कि भगवा क्रांति का मतलब बहुत लोग अलग अर्थ लगाते हैं, लेकिन यहां इसका मतलब ऊर्जा क्रांति से है. बिहार इतना बड़ा प्रदेश है, लेकिन बिजली का उत्पाद महज 250-300 मेगावाट होता है. हाल में भूटान में पनबिजली उत्पादन का काफी बड़ी योजना शुरू की गयी है. इससे अधिकांश बिजली बिहार को ही मिलेगी.
चक्र का रंग नीला है
इससे नीली क्रांति की शुरुआत होगी. बिहार में मौजूद प्रचुर मात्र के पानी का उपयोग मछली पालन के रूप में करना चाहिए. छोटे-छोटे तालाब विकसित करके किसानों की आर्थिक स्थिति अच्छी की जा सकती है. ऑर्नमेंटल फीस ( सज्जा वाली मछली) का ग्लोबल कारोबार काफी बड़ा है. इसका उत्पादन भी किया जा सकता है.
हरे रंग से हरित क्रांति
इसके लिए कृषि क्षेत्र के विकास के लिए आधुनिक और उन्नत तकनीकों का सहयोग जरूरी. साथ ही वैज्ञानिक दृष्टिकोण अपनाने की जरूरत है.
सफेद रंग से श्वेत क्रांति
इसके लिए पशु की संख्या बढ़ाने से ज्यादा जरूरी उनसे दूध का उत्पादन अधिक करना है. पशुओं के स्वास्थ्य पर देखभाल के लिए बेहतर और आधुनिक व्यवस्था स्थापित करना होगा.
पीएम ने कृषि वैज्ञानिकों को दिये टास्क
– किसानों के पारंपरिक तरीकों को सीखें और उन्हें खेती की आधुनिक पद्धति सिखायें
– खाद्य सुरक्षा व संरक्षण के लिए किसानों के साथ वर्कशॉप करें
– हम जिन एग्रो-प्रोडक्ट का वर्तमान में आयात करते हैं, उसकी सूची बनायें
– इनमें कितने को देश में उगा सकते हैं, इसका वार्षिक टारगेट बनाकर उत्पादकता शुरू करें
– खाद्य संरक्षण बड़ी चुनौती है, इसके पारंपरिक तरीकों पर अध्ययन करने की जरूरत
– पहले की कोठी में अनाज सालों तक सुरक्षित रहते थे, इसे सीखें
– एग्रीकल्चर आधारभूत संरचना विकसित करने के लिए विशेष रूप से शोध करें
– छह महीने में एग्रीकल्चर आधारभूत संरचना विकसित करने पर रिपोर्ट तैयार करें
– पैकेज पेय पदार्थो में फलों के पांच प्रतिशत जूस को मिलाने की तकनीक विकसित करें
– फल बहुत जल्दी खराब हो जाते हैं, इन्हें लंबे समय तक बनाये रखने की तकनीक खोजे
– जैविक खेती पर अधिक से अधिक ध्यान दें
नीतीश की चुटकी भी ली
पीएम नरेंद्र मोदी ने कृषि और पशुपालन के क्षेत्र में आधुनिक मशीनों के उपयोग से किसानों की स्थिति और आमदनी समृद्ध होने का उदाहरण देने के दौरान मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की चुटकी भी ली. कहा कि जिस ट्रिमर मशीन से नीतीशजी और मैं अपनी दाढ़ी छोटी करते हैं. उस मशीन को गुजरात में भेड़ पालकों को दिया, ताकि वे भेड़ों की ऊनों को बेहतर तरीके से निकाल सके. इससे ऊन कम टूटते हैं और किसानों को उससे पैसे ज्यादा मिलते हैं.

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