प्रोमोशन में एससी-एसटी को नहीं मिलेगा आरक्षण, सुप्रीम कोर्ट जायेगी सरकार

पटना: राज्य के अनुसूचित जाति एवं जनजाति वर्ग के कर्मियों को प्रोमोशन में आरक्षण देने के निर्णय पर सरकार को बड़ा झटका लगा है. पटना हाइकोर्ट के दो सदस्यीय खंडपीठ ने एकलपीठ के फैसले को सही ठहराते हुए राज्य सरकार की अपील याचिका खारिज कर दी है. मुख्य न्यायाधीश एल नरसिम्हा रेड्डी और न्यायमूर्ति सुधीर […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | July 31, 2015 7:10 AM
पटना: राज्य के अनुसूचित जाति एवं जनजाति वर्ग के कर्मियों को प्रोमोशन में आरक्षण देने के निर्णय पर सरकार को बड़ा झटका लगा है. पटना हाइकोर्ट के दो सदस्यीय खंडपीठ ने एकलपीठ के फैसले को सही ठहराते हुए राज्य सरकार की अपील याचिका खारिज कर दी है. मुख्य न्यायाधीश एल नरसिम्हा रेड्डी और न्यायमूर्ति सुधीर सिंह के खंडपीठ ने गुरुवार को इस संबंध में अपना फैसला सुनाया. खंडपीठ के फैसले के मुताबिक राज्य सरकार के अनुसूचित जाति और जनजाति वर्ग के कर्मियों को प्रोमोशन में आरक्षण नहीं मिलेगा. कोर्ट ने अपने 28 पन्नों के फैसले में कहा कि चार मई, 2015 को दिये गये एकलपीठ के फैसले में कोई त्रुटि नहीं है.
एकलपीठ ने 21 अगस्त, 2012 को राज्य सरकार के सामान्य प्रशासन विभाग द्वारा जारी संकल्प को रद्द करने का सही फैसला दिया है. खंडपीठ ने अपने फैसले में कहा कि यदि सरकार के संकल्प को मान लिया जायेगा, तो महत्वपूर्ण पदों में से 90 से 100 प्रतिशत आरक्षित हो जायेंगे. यह समाज में विद्वेष पैदा करेगा और संविधान के प्रावधानों का भी उल्लंघन होगा.कोर्ट ने संविधान की धारा 16ए की चर्चा करते हुए कहा कि किसी भी हाल में आरक्षण की सीमा 50 फीसदी से अधिक नहीं हो सकती. खंडपीठ ने कहा कि सरकारी नौकरियों में अनुसूचित जाति और जनजाति के प्रतिनिधित्व और प्रशासनिक दक्षता को लेकर राज्य सरकार की रिपोर्ट सही नहीं है. कोर्ट ने अपने निर्णय में कहा कि सुप्रीम कोर्ट के फैसले को भी हमने देखा है. इस परिप्रेक्ष्य में सरकार का संकल्प सही नहीं है.
सुप्रीम कोर्ट जायेगी सरकार
राज्य सरकार प्रमोशन में आरक्षण देने के मामले में सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटायेगी. अपर प्रधान महाधिवक्ता ललित किशोर ने कहा कि पटना हाईकोर्ट के आदेश का अध्ययन किया जा रहा है. सरकार सुप्रीम कोर्ट में अपील करेगी. राज्य सरकार का तर्क सही है. सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर ही सरकार ने संकल्प जारी किया था.
क्या है मामला
19 अक्तूबर, 2006 : सुप्रीम कोर्ट ने एससी व एसटी कर्मियों को प्रोमोशन में आरक्षण देने के क्रम में तीन बिंदुओं पर आंकड़े जुटाने का निर्देश दिया- पिछड़ापन, नौकरियों व पदों पर प्रतिनिधित्व और संबंधित पदों के लिए प्रशासनिक दक्षता
12 अगस्त, 2012 : एससी एवं एसटी कल्याण विभाग (नोडल) की रिपोर्ट के आधार पर बिहार सरकार ने एससी व एसटी कर्मियों को प्रोमोशन में आरक्षण देने का संकल्प जारी किया
05 अगस्त, 2014 : सुशील कुमार सिंह एवं अन्य की याचिका पर हाइकोर्ट ने एससी व एसटी कर्मियों को प्रोमोशन में आरक्षण देने संबंधी राज्य सरकार के संकल्प पर रोक लगा दी
10 दिसंबर, 2014 : एकलपीठ ने फैसला सुरक्षित रखा और फैसला आने तक सभी कोटियों के कर्मियों के प्रोमोशन पर रोक लगा दी
04 मई, 2015 : न्यायाधीश वी नाथ के एकलपीठ ने राज्य सरकार के उस संकल्प को रद्द कर दिया, जिसके आधार पर एससी-एसटी कर्मियों को प्रोमोशन में आरक्षण देने का निर्णय लिया गया था.
18 मई, 2015 : राज्य सरकार ने एकलपीठ के फैसले के खिलाफ डबल बेंच में अपील याचिका दायर की.
22 जुलाई, 2015 : डबल बेंच फैसला सुरक्षित रखा.
30 जुलाई, 2015 : डबल बेंच ने एकलपीठ के फैसले को सही ठहराया.

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