पटना : झारखंड के मुख्यमंत्री रघुवर दास ने बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और राजद प्रमुख लालू प्रसाद पर अहंकारी होने का आज आरोप लगाते हुए झूठ और फरेब की खेती करने वालों ने इस राज्य को काफी पीछे धकेल दिया है.
पटना में आयोजित तेली साहू सम्मेलन को संबोधित करते हुए रघुवर ने कहा कि जातिवाद और वोट बैंक की राजनीति ने बिहार को काफी नुकसान पहुंचाया है. उन्होंने नीतीश और लालू पर निशाना साधते हुए आरोप लगाया कि झूठ और फरेब की खेती करने वालों ने इस राज्य को काफी पीछे धकेल दिया है.
रघुवर ने कहा कि बिहार जिस कठिन दौर से गुजर रहा है, उसके लिये कौन जिम्मेदार है. उन्होंने नीतीश और लालू पर निशाना साधते हुए कहा कि हमारे बडे..बुजुर्ग कहते हैं कि अहंकार से मनुष्य का नाश हो जाता है. इसी अहंकार ने बिहार को नाश के कगार पर पहुंचा दिया है और सबसे ताज्जुब की बात है कि बिहार को एक नहीं बल्कि दो-दो अहंकारियों के अहंकार का शिकार होना पड रहा है. दोनों अहंकारी आज एक साथ मिलकर बिहार को विनाश की ओर ले जाने पर तुले हैं.
उन्होंने कहा कि ये लोग खुद को जयप्रकाश आंदोलन की उपज बताते है लेकिन जिस कांग्रेस के भ्रष्टाचार और काले कारनामों के खिलाफ जयप्रकाश आंदोलन हुआ, उसी कांग्रेस के साथ मिलकर ये लोग अपनी राजनीतिक महत्वाकांक्षा के लिये बिहार के हितों का गला घोंट रहे हैं. इनकी करतूतों को देखकर जेपी की आत्मा कराह रही होगी.
दास ने कहा कि आपको याद होगा वर्ष 2010 में बिहार की जनता ने सुशासन के लिये राजग को जनादेश दिया था लेकिन उस जनादेश को धोखा देकर सिर्फ अपने अहंकार के लिये बिहार को एक बार फिर से कुशासन की ओर धकेल दिया. उन्होंने कहा कि बिहार की जनता पूछना चाहती है कि आखिर आपने जनादेश का अपमान क्यों किया. पहले कुर्सी छोड दी, फिर नौ महीने में ही ऐसा क्या हो गया कि आपको उसी कुर्सी से वापस मोह हो गया.
उन्होंने आरोप लगाया कि दरअसल ऐसे अहंकारी लोग जब चापलूसों से घिर जाते हैं तो उनका यही अंजाम होता है. पिछले साल लोकसभा चुनाव के समय चापलूसों ने इन्हें चढा दिया और कहा कि गुजरात का मुख्यमंत्री अगर प्रधानमंत्री का दावेदार हो सकता है तो बिहार का मुख्यमंत्री क्यों नहीं.
रघुवर ने नीतीश और लालू पर निशाना साधते हुए आरोप लगाया कि आज बिहार पर दो..दो अहंकारी नेताओं की कुदृष्टि लगी है. एक के लिये परिवार ही सब कुछ है. दूसरे को खुद के सिवाय कुछ नहीं दिखता लेकिन इन दोनों की पार्टियों के उन हजारों कार्यकर्ताओं के साथ हुये धोखे का जवाब कौन देगा जो राजनीति में आने के बाद खुद भी चुनाव लड़ने का सपना देखते है.
दास ने कहा कि महाभारत की याद दिलाते हुए कहा कि दुर्योधन ने कर्ण को साथ लेकर पांडवों पर विजय का सपना देखा था लेकिन जीत आखिर सच्चाई की ही होती है. यह (जदयू-राजद) गठबंधन तो एक सर्कस है. यह सरकार (राजद और कांग्रेस समर्थित जदयू सरकार) नहीं सर्कस है. इसमें एक रिंग मास्टर होता है लेकिन यहां तो रिंग मास्टर भी नहीं. सिर्फ तमाशा है लेकिन बिहार की जनता अब कोई सर्कस या कोई तमाशा देखने को तैयार नहीं है, उसे विकास और सुशासन चाहिये.
उन्होंने आरोप लगाया कि जिन अहंकारी नेताओं ने बिहार की जनता को वोट बैंक में बदल दिया, उनके लिये पिछडी जाति की बात करना सिर्फ नारेबाजी है. उन्हें सिर्फ चरवाहा विद्यालय की बात करनी आती है. वे सिर्फ दलित और महादलित की बात करना जानते है लेकिन उन्हें मालूम होना चाहिये कि आज दलित हो या महादलित, पिछड़ा हो या अगडा, सबको विकास चाहिये. उनका कौशल विकास करके, उन्हें हुनरमंद बनाकर रोजगार और स्वरोजगार के लायक बनाने का सपना प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का है. उस सपने को पूरा करने के लिये आज हम सबके सामने अवसर (आगामी बिहार विधानसभा चुनाव) है.