छद्म धर्मनिरपेक्षता ने भाजपा को दी ताकत
प्रो एनके चौधरी , अर्थशास्त्री भारतीय जनता पार्टी को बिहार में सबसे बड़ी पहचान और ताकत किसी ने दी, तो वह जयप्रकाश नारायण थे. जेपी आंदोलन में जनसंघ का शामिल होना और जनता पार्टी के साथ इसका जाना एक बड़ी घटना थी. 1966 के छात्र आंदोलन के अनुभवों के आधार पर बिहार को एक सशक्त […]
प्रो एनके चौधरी , अर्थशास्त्री
भारतीय जनता पार्टी को बिहार में सबसे बड़ी पहचान और ताकत किसी ने दी, तो वह जयप्रकाश नारायण थे. जेपी आंदोलन में जनसंघ का शामिल होना और जनता पार्टी के साथ इसका जाना एक बड़ी घटना थी. 1966 के छात्र आंदोलन के अनुभवों के आधार पर बिहार को एक सशक्त आंदोलन की जरूरत थी और यह समय की मांग थी कि जनसंघ कांग्रेस के अलोकतांत्रिक शासन को चुनौती देने वाली शक्ति के साथ खड़ा हो. उसने वहीं किया. उसका दूरगामी प्रभाव हुआ. भाजपा उसी प्रभाव की उपज है. जेपी की वास्तविक विरासत भाजपा है. आपातकाल के खिलाफ लड़ाई आजादी की दूसरी लड़ा
ई थी. भाजपा का जन्म उन्हीं अनुभवों के आधार पर हुआ, जिसे जेपी आंदोलन के दौरान पूरे देश ने महसूस किया. यहां काल, परिस्थिति और भावी रणनीति के तहत संगठन के नाम में नवीनता आयी. बाद के सालों में देखें, तो छद्म धर्मनिरपेक्षता, समाजवादी विचारधाराओं के अंतरविरोध और नीतीश के पहले साथ और अब दुराव से इसे ताकत मिलती गयी.