पटना : बिहार विधानसभा चुनाव के नजदीक आने के साथ ही सूबे में सभी प्रमुख राजनीति दलों ने अपनी-अपनी जीत सुनिश्चित करने के उद्देश्य से कमर कस ली है. इसी कड़ी में किसी भी मुद्दे पर कोई भी दल खुद को पीछे नही रखना चाहता है. ऐसे में बिहार में डीएनए का मुद्दा भी जोर पकड़ने लगा है. प्रधानमंत्री की ‘डीएनए’ संबंधी टिप्पणी को एक बड़ा मुद्दा बनाने के उद्देश्य से मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने ‘शब्द वापसी’ अभियान चलाने की घोषणा की है. इस अभियान के तहत करीब 50 लाख लोग अपने ‘डीएनए’ की जांच के लिए नमूना प्रधानमंत्री को भेजेंगे. इस अभियान की शुरु आत करते हुए मंगलवार को जदयू कार्यकर्ताओं द्वारा राजधानी पटना समेत राज्य के अन्य जिलों में कैंप लगाकर लोगों के डीएनए सैंपल को एकित्रत किया. इसके साथ ही जदयू कार्यकर्ताओं ने आज पीएम मोदी के डीएनए बयान के विरोध में सूबे में जगह-जगह धरना प्रदर्शन भी आयोजित किया.
बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के जदयू के ‘शब्द वापसी’ अभियान की आज शुरुआत करते हुए कहा कि वे इस मुद्दे को तार्किक परिणति तक ले जाएंगे. पटना स्थित जदयू के प्रदेश कार्यालय में पत्रकारों से बातचीत करते हुए नीतीश ने कहा कि किसी व्यक्ति को उपयुक्त नहीं लगने वाली बात बोलकर प्रधानमंत्री जैसे उच्च संवैधानिक पद पर आसीन व्यक्ति भाग नहीं सकते हैं, हम लोग इस मुद्दे को तार्किक परिणति तक ले जाएंगे. उन्होंने कहा नीतीश ने कहा, उन्हें कोई बात बोलने से पहले उसपर विचार कर लेना चाहिए. डीएनए पर टिप्पणी करके उन्होंने बिहार की जनता का अपमान किया है, उन्हें लोगों का विरोध ङोलना पड़ेगा. भाजपा के वरिष्ठ नेता सुशील कुमार मोदी द्वारा यह पूछे जाने कि 50 लाख लोगों के डीएनए की जांच का खर्च जो कि करीब 3000 करोड़ रुपये होता है कौन वहन करेगा, नीतीश ने कहा कि हम केवल प्रधानमंत्री को लोगों के डीएनए का नमूना भेज रहे हैं, जिसकी जांच वह करावाएंगे.
उन्होंने कहा कि धर्मनिरपेक्ष गठबंधन के कार्यक्रमों को लेकर वे, राजद प्रमुख लालू प्रसाद और कांग्रेस नेतागण कल संयुक्त रुप से एक संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करेंगे. इस अवसर पर शब्द वापसी अभियान के तहत जदयू कार्यकर्ता डीएनए जांच के लिए अपने बाल और नाखून काटकर उसे प्रधानमंत्री को भेजने के वास्ते एक पैकेट में रखते देखे गये. गर्दनीबाग में जदयू के शिविर के साथ राजद की युवा इकाई के कार्यकर्ताओं ने भी डीएनए अभियान को लेकर इसी प्रकार का शिविर लगाया है.
30 को लालू के साथ गांधी मैदान में स्वाभिमान रैली
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद 29 अगस्त को एक मंच से बिहार विधानसभा को लेकर चुनावी बिगुल फूंकेंगे. पटना के गांधी मैदान में ‘स्वाभिमान रैली’ के जरिये महागंठबंधन के नेता भाजपा के सभी ‘परिवर्तन रैलियों का जवाब भी देंगे. उन्होंने कहा कि आगामी 29 अगस्त में पटना के गांधी मैदान में आयोजित होने वाली स्वाभिमान रैली के साथ इस अभियान के प्रथम चरण को पूरा किया जाएगा. नीतीश ने बताया कि आगामी सितंबर महीने में अभियान के दूसरे चरण में ‘शब्द वापसी’ के लिए हस्ताक्षर एवं डीएनए नमूना भेजने के इस अभियान को हम बिहार के कोने-कोने में हर घर तक ले जाएंगे और साथ ही राज्य के 4-5 क्षेत्रों में स्वाभिमान रैली का भी आयोजन करेंगे.
डीएनए जांच के लिए रु पये कहां से लायेंगे नीतीश: मोदी
डीएनए मामले पर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर पलटवार करते हुए उन्होंने कहा कि डीएनए की मेडिकल जांच एक महंगी प्रक्रि या है. अगर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार लाखों लोगों का डीएनए टेस्ट कराना ही चाहते हैं, तो बताएं इसके लिए तीन हजार करोड़ रु पये कहां से लायेंगे. इसका बिल क्या बढ़ चला बिहार कार्यक्र म के बजट से चुकाया जायेगा या पार्टी खर्च उठायेगी. सुशील मोदी ने कहा कि मेडिकल डीएनए-टेस्ट की जरूरत तो बलात्कार और विवादास्पद पितृत्व के मामले में होती है. राजनीतिक डीएनए का टेस्ट जनता करती है. दो महीने बाद जनता चुनाव में नीतीश कुमार और लालू प्रसाद के राजनीतिक डीएनए की जांच कर रिपोर्ट देनेवाली. मोदी ने कहा कि उन्हें 50 लाख लोगों का डीएनए-टेस्ट कराने के बजाय अपने साथ-साथ सिर्फ सोनिया गांधी, लालू प्रसाद, ओम प्रकाश चौटाला, मुलायम सिंह यादव और शहाबुद्दीन जैसे लोगों का टेस्ट करा लेना चाहिए.
क्या है डीएनए
डीएनए(डीऑक्सीराइबोज़ न्यूक्लिक एिसड) मनुष्य की कोशिका के गुणसूत्रों में पाया जाने वाला एक ऐसा अणु है जिसके माध्यम से मनुष्य की सभी आनुवांशिक जानकारियां दर्ज होती हैं. शरीर की प्रत्येक कोशिका में मौजूद डीएनए समान होता है. इस कारण शरीर के किसी भी हिस्से त्वचा, बाल, रक्त या किसी अन्य शारीरिक द्रव्य से डीएनए नमूना लिया जा सकता है. किसी के आनुवांशिक माता-पिता का निर्धारण करने, किसी आपदा या दुर्घटना में मारे गए लोगों की पहचान निर्धारित करने और हत्या या दुष्कर्म जैसे मामलों में भी इसका प्रयोग किया जाता है. वरिष्ठ नेता नारायण दत्त तिवारी और उनके जैविक पुत्र रोहित शेखर के मामले में भी डीएनए विश्लेषण की अहम भूमिका रही थी.
पीएम मोदी ने क्या कहा
बीते 25 जुलाई को बिहार के मुजफ्फरपुर में आयोजित एनडीए की परिवर्तन रैली को संबोधित पीएम नरेंद्र मोदी ने कहा था कि लालू आज जहर पी रहे हैं. मैंने तो तब ही जहर पीया था. राजनीति में इतनी छुआछूत कि कोई भोजन पर बुलाकर थाली छीन ले. मन में बहुत चोट लगी थी, लेकिन चुप रह गया, लेकिन मांझी पर चोट हुआ, एक महादलित का अपमान हुआ तो लगा कि नीतीश के डीएनए में ही कोई गड़बड़ी है.
नीतीश का आरोप, पीएम ने किया बिहार का अपमान
पीएम मोदी के इस बयान के बाद उसी दिन नीतीश कुमार ने पीएम पर बिहार की जनता का अपमान करने का आरोप लगाते हुए उनसे इस शब्द को वापस लेने की मांग की. बाद में प्रधानमंत्री को पत्र लिखकर आग्रह किया था कि वह अपने शब्द वापस लें. लेकिन ऐसा कुछ नही हुआ. बाद में गया की परिवर्तन रैली के सिलिसले में रविवार को दोबारा बिहार आये प्रधानमंत्री ने अपने शब्द वापस नहीं लिये. नीतीश ने अब शब्द वापसी के लिए पीएम मोदी के खिलाफ मोरचा खोल दिया है. शब्द वापसी के लिए हस्ताक्षर अभियान चलाया जा रहा है और 50 लाख बिहारी प्रधानमंत्री को डीएनए टेस्ट के लिए अपना सैंपल भेजेंगे. सैंपल नाखून और बाल के होंगे.
अपमानित करने वालों को जनता देगी जवाब
मुख्यमंत्री ने कहा कि डीएनए के अपने बयान को वापस नहीं लेने की मोदी जी की हठधर्मिता और फिर रविवार को गया की अपनी रैली के दौरान बिहार को बीमारू और लोगों को दुर्भाग्यशाली बताना क्षोभजनक है. नीतीश ने कहा है कि हमारा यह विश्वास है कि बिहार और यहां के लोगों को अपमानित करने वालों को इस प्रदेश की जनता माकूल जवाब देगी.