यह है झूठ की री-पैकेजिंग, पैकेज के लिए धन कहां से आयेगा: नीतीश

पटना :मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा कि प्रधानमंत्री ने मुझे याचक बताया है, लेकिन मैं उनकी बातों का बुरा नहीं मानता हूं, क्योंकि बिहार के विकास व हित के लिए मैं बार- बार याचक बनने को तैयार हूं. प्रधानमंत्री द्वारा घोषित पैकेज को उन्होंने स्पेशल पैकेज नहीं, इसे झूठ की री-पैकेजिंग बताया. मंगलवार की शाम […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | August 19, 2015 3:08 AM

पटना :मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा कि प्रधानमंत्री ने मुझे याचक बताया है, लेकिन मैं उनकी बातों का बुरा नहीं मानता हूं, क्योंकि बिहार के विकास व हित के लिए मैं बार- बार याचक बनने को तैयार हूं. प्रधानमंत्री द्वारा घोषित पैकेज को उन्होंने स्पेशल पैकेज नहीं, इसे झूठ की री-पैकेजिंग बताया. मंगलवार की शाम पांच बजे अपने सरकारी आवास सात सर्कुलर रोड पर प्रेस कॉन्फ्रेंस कर उन्होंने कहा कि इस पैकेज के लिए धन कहां से आयेगा, प्रधानमंत्री को इसे बताना चाहिए़ उन्होंने कहा कि बजट में इसके लिए कोई प्रावधान है क्या? मुख्यमंत्री ने प्रधानमंत्री पर निशाना साधते हुए कहा कि कहने में क्या जाता है. वे तो बात बहादुर हैं. वे जिस तरह आरा में घोषणा कर रहे थे, जैसे लग रहा था कि वे बिहार की बोली लगा रहे हैं. उन्होंने कहा कि चुनाव को लेकर यह सिर्फ घोषणा है, लेकिन यह कब तक मिलेगा, इसके बारे में कुछ नहीं कहा गया है.

मुख्यमंत्री ने आरा और सहरसा में प्रधानमंत्री की एक- एक बातों, आरोपों का तथ्यों व आंकड़ों के साथ जबाव दिया. कहा कि प्रधानमंत्री की बातों में कंटेट का अभाव था. मैंने जब बिहार को बीमारू बताने पर आपत्ति जतायी, तो प्रधानमंत्री को खराब लगा. वे बताएं तो बिहार कैसे बीमारू है. इस श्रेणी से बिहार बाहर हो चुका है. उन्होंने कहा कि एक ओर वे को-ऑपरेटिव फेडरलिज्म की बात करते हैं और दूसरी ओर राज्य सरकार को याचक बता कर जलील भी करते हैं. बिहार के विकास की कहानी जगजाहिर है. याचक व अहंकारी में विरोधाभास है. उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री का अंदाजे बयां भी गजब का है़ जो मन में आता है, कह देते हैं. न उसमें कोई तथ्य होता है और न सच्चाई. राज्य में 65 हजार किलोमीटर सड़क का निर्माण व पुनर्निमाण हुआ. पांच हजार से अधिक पुल बने. स्कूलों से बाहर रहनेवाली बच्चों की संख्या में काफी कमी आयी.
सरकारी अस्पतालों में मरीजों के आने की संख्या बढ़ी. बिजली की स्थिति में सुधार हुआ. बिहार के विभाजन के समय 1.69 लाख करोड़ की सहायता की मांग की गयी थी. उस समय तय हुआ था कि बिहार को हर साल एक हजार करोड़ मिलेंगे. हमने पहले ही 1.40 लाख करोड़ की मांग कर रखी है. उन्होंने मोदी के इस बयान को भी खारिज कर दिया कि बिहार सरकार अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार और यूपीए सरकार के समय दिये गये 10,000 करोड़ रुपये और 12,000 करोड़ रुपये के पिछले दो पैकेजों का भी उपयोग करने में नाकाम रही है. नीतीश ने कहा कि प्रधानमंत्री महोदय को शायद पता नहीं है कि इन पैकेजों के तहत केंद्रीय एजेंसियों को काम करना था, इसलिए आरोप केंद्रीय एजेंसियों के खिलाफ होना चाहिए, राज्य सरकार के लिए नहीं़
मुख्यमंत्री ने कहा कि विशेष राज्य के दर्जे की हमारी मांग आज भी बरकरार है. हमने 1.18 करोड़ लोगों के हस्ताक्षर भेजे हैं. उस समय भाजपा भी हमारे साथ थी. सिद्धांत के सवाल पर हम भाजपा से अलग हुए. उसका मुझे कोई अफसोस नहीं है, क्योंकि भाजपा अब अटल- आडवाणी की भाजपा नहीं रह गयी है. मुख्यमंत्री ने कहा, बिहार प्रगति की राह पर है़ इसके बाद भी प्रधानमंत्री बीमारू बता कर बिहार का मजाक उड़ा रहे हैं. प्रधानमंत्री जिस विशेष आर्थिक पैकेज की री पैकेजिंग की बात कर रहे हैं, उसमें क्षेत्रवार राशि का जो आवंटन है, वह काफी कम है. लेकिन, बड़ा सवाल तो यह है कि पैसा आयेगा कहां से? रेलवे और हवाई अड्डे के लिए जो कहा गया है, उसमें क्या होगा? प्रधानमंत्री का यह पैकेज उसी तरह का है, जैसे चुनाव के समय कहा गया था कि हर के खाते में 15 से 20 लाख आ जायेंगे़ सड़क के लिए 54 हजार करोड़ की बात कही गयी है, लेकिन न एलायमेंट है और न डीपीआर.
उन्होंने कहा, हम लंबे समय से विशेष पैकेज के बारे में सुन रहे थे, लेकिन नये एयरपोर्ट के लिए आवश्यक 1500 एकड़ जमीन के अधिग्रहण के लिए कोई धन आवंटन नहीं किया गया़ हम समझ सकते हैं कि इस पैकेज का भविष्य क्या होगा़ नीतीश ने कहा कि इसी तरह बांका में जिस मेगा बिजली प्रोजेक्ट के लिए प्रधानमंत्री ने आज 20,000 करोड़ रुपये की घोषणा की है, उसे दरअसल तब मंजूरी दे दी गयी थी, जब कांग्रेस नेता सुशील कुमार शिंदे केंद्रीय ऊर्जा मंत्री थे. बाद में हमने पानी, जमीन आदि समेत सबका बंदोबस्त किया़ पर, काम शुरू नहीं हुआ और अब उन्होंने इस तरह घोषणा की है, जैसे यह कुछ नयी बात है.’ नीतीश ने कहा कि प्रधानमंत्री ने डिजिटल बिहार के लिए 404 करोड़ के विशेष पैकेज की घोषणा की, तो क्या बिहार केंद्र सरकार के डिजिटल इंडिया कार्यक्रम का हिस्सा नहीं है.
सहरसा में पीएम के संबोधन पर मुख्यमंत्री ने कहा कि जिस पैसे को लौटाने की बात प्रधानमंत्री कह रहे हैं, उसका सच यह है कि पैसा 12 जून, 2010 को लौटाया गया. देनेवाला भजता नहीं है और अगर उन्हें इतना खराब लगा, तो पैसा फिर ले क्यों लिया. कोसी आपदा में बिहार सरकार अब तक 963 करोड़ खर्च कर चुकी है. विश्व बैंक से कर्ज लेकर हम काम कर रहे हैं. कोसी को पहले से बेहतर बनायेंगे, यह हमारा वादा है. जहां तक अपराध की बात है, तो 2013 का एनसीआर का जो रेकाॅर्ड है, उसमें बिहार 18वें नंबर पर है. जहां तक जेपी की बात है, तो जेपी नाम नहीं, सिद्धांत हैं. हमने तो उनके चरणों में सार्वजनिक जीवन का पाठ पढ़ा है. इस मौके पर खाद्य आपूर्ति मंत्री श्याम रजक और सांसद आरसीपी सिंह व पवन वर्मा भी मौजूद थे.

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