पंकज मुकाती
बिहार की राजनीति की सड़क को एक नया मोड़ दे गये प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी. भाजपा के चुनावी सफर के लिए वे सड़क और पुल दोनों तैयार कर गये. भोजपुर में सड़क और पुल-पुलियाें के शिलान्यास के साथ ही मोदी ने चुनाव को रफ्तार दे दी. सवा लाख करोड़ के पैकेज की घोषणा के उनके अंदाज और जनता की लगभग छलांग लगाती खुशी और तालियों ने बिहार बीजेपी में उत्साह भर दिया. मोदी इस घोषणा के बाद बेहद आश्वस्त दिखे, मानो आधा मैदान मार लिया हो. एक दिन पहले ही नीतीश कुमार ने कटाक्ष करते हुए कहा था कि मोदी सिर्फ जुबानी जुमलों के उस्ताद हैं,
कुछ एक्शन का इंतजार है. मोदी के इस एक्शन से बीजेपी विरोधी दलों को नये सिरे से गुणा-भाग करना होगा. मोदी एक कुशल शिक्षक की तरह सबके लिए बीज गणित, अंक गणित, सांख्यिकी और तमाम समीकरण का होमवर्क छोड़ गये. नीतीश कुमार ने बड़ी जल्दी सारे सवाल हल कर लिये़ मोदी के दिल्ली लौटने के पहले ही नीतीश ने इसे आंकड़ों की बाजीगरी बता कर खारिज कर दिया. बिहार में अब मुकाबला उम्मीदों के पैकेज और जमीनी हकीकत का होगा.50 ,60, 70, 80, 90 हजार, एक लाख नहीं, पूरे सवा लाख करोड़ दूंगा़ नरेंद्र मोदी ने जिस अदा से पैकेज की बोली लगायी, पुरानी हिंदी फिल्मों की नीलामी का सीन याद आ गया. नरेंद्र मोदी के पैकेज का बिहार को कितना लाभ मिलेगा, इसका हिसाब-किताब करने में वक्त लगेगा़
जनता किस बात पर ताली पीटती है, किस बात पर खुशी से झूम उठती है, ये मोदी जान गये हैं. यह जो लार्जर दैन लाइफ वादा उन्होंने किया है, उम्मीद से ज्यादा का जो यह वादा है, बड़ा लुभावना है. अभी यह वादा है, हकीकत चुनाव के सामने आयेगी. इस वादे को सुंदर सपना कह कर विपक्ष इसे खारिज कर सकता है, किया भी. पर, राजनीति में हर सपने और उम्मीद की काट उससे बड़ा सपना और उम्मीद ही होती है. मोदी ने जो सपना दिया है, वह इस प्रदेश की तमाम मांगों से बड़ा है. मोदी ने पैकेज के पहले यह भी बताया कि पहले घोषणा क्यों नहीं की? मुजफ्फरपुर रैली में मोदी ने वादा किया था- वादे भूला नहीं हूं, पूरे करूंगा. आज उससे आगे ही भाषण शुरू हुआ. बड़ी सफाई से संसद की गरिमा को बताते हुए प्रदेश सरकार पर हमला किया. बोले- मैंने गरिमा, संविधान की मर्यादा के तहत घोषणा नहीं की, तो यहां की सरकार ने उसके लिए भी मेरे बाल नोंच लिये.
मतदाताओं की दिमागी बैलेंस शीट में मोदी अपना सवा लाख करोड़ का पैकेज रखने में पूरी तरह सफल रहे. हालांकि, इस पैकेज में ज्यादातर ऐसी योजनाएं हैं, जो पहले से चल रही हैं. नया कुछ है, तो वह कुछ कर दिखाने की इच्छाशक्ति, जिसका मोदी ने दावा किया है. इनमें से कई योजनाएं कागजों पर ही चल रही हैं. कारण फंड की कमी़ बिहार उम्मीद करता है कि भले ये योजनाएं पुरानी हैं, पर केंद्र इसके लिए समय पर फंड देगा, उन्हें चलाने में मदद करेगा़ जनता को इससे फर्क नहीं पड़ता कि योजना नयी है या पुरानी, वह देखना चाहती है उसे मिला क्या? बिहार को बीमारू राज्य कहने पर नीतीश के विरोध को भी मोदी ने साधा. बोले-बीमार नहीं हो, तो ये दे दो, वो दे दो की मांग क्यों? स्वस्थ हो, तो विशेष पैकेज के डॉक्टर क्यों ढूंढ़ रहे हो? इस पैकेज के बाद उन्होंने डीएनए जैसे मुद्दों की धार तोड़ दी. झूठे होने के आरोप से पार निकल गये.
पिछली दो रैलियों की तुलना में आज भाषण तथ्यों के साथ था. होमवर्क व रिसर्च दिख रहा था कि बिहार के विकास का बीजेपी का ब्लू प्रिंट क्या है. पिछले दो दौरों के विपरीत इस बार आरा में उनका जोर नीतीश कुमार से ज्यादा अपने मुद्दों पर था. पैकेज की घोषणा हुई, यह अच्छा कदम है. बिहार एक वादा चाहता है प्रधानमंत्री से कि सरकार किसी भी गंठबंधन की बने, बिहार से यह जो वादों का बंधन आज बांधा है, उसे मत तोड़ियेगा. उम्मीदें टूटने का दर्द बहुत गहरा होता है. जनता किसी राजनीति, पैकेज और गणित को नहीं जानती़ बिहार को इस पैकेज की जरूरत है, इसे पूरा जरूर करियेगा़