पटना: भाजपा सांसद एवं बॉलीवुड अभिनेता शत्रुघ्न सिन्हा ने बिहार के गया जिला निवासी एवं गरीब भूमिहीन मजदूर दशरथ मांझी की जीवनी पर आधारित फिल्म मांझी- द माउंटेन मैन की प्रशंसा करते हुए कहा कि बिहार का असली और मजबूत डीएनए यही है. पहाड़ काटकर रास्ता बनाने वाले दशरथ मांझी के जीवन पर आधारित फिल्म ‘मांझी- द माउंटेन मैन’की जमकर सराहना करते हुए उन्होंने ट्वीटर पर इसे टैक्स फ्री करने के लिए नीतीश सरकार की भी तारीफ की. शत्रुघ्न ने इस फिल्म के नायक नवाजुद्दीन सिद्दीकी और नायिका राधिका आप्टे की भी तारीफ की और कहा कि मिट्टी के बारूद नवाजुद्दीन इस सदी की खोज हैं और राधिका सौम्य एवं प्रशंसनीय हैं. मैं उनकी भारी सफलता की कामना करता हूं.
बिहार के डीएनए पर बोले शत्रुघ्न
शत्रुघ्न सिन्हा की पैतृक भूमि भी गया है और दशरथ मांझी बिहार के गया के थे. उन्होंने ट्वीट किया, गया की मिट्टी के इस सपूत की प्रेरक कहानी पर गर्व है जो मेरे पूर्वजों की भूमि है. उन्होंने कहा कि गतिशील, सच्चाई पर आधारित और सही समय पर फिल्माई गयी यह फिल्म बिहार के गौरव और यहां की माटी के एक पुत्र के असली और मजबूत डीएनए को प्रदिर्शत करता है.
टैक्स फ्री करने के लिए नीतीश सरकार की सराहना
शॉटगन ने शुक्र वार को रिलीज हुई इस फिल्म को बिहार में टैक्स फ्री करने करने के लिए मुख्यमंत्री नीतीश सरकार की तारीफ की. अभिनेता से नेता बने शत्रुघ्न ने फिल्म के सितारों नवाजुद्दीन सिद्दीकी और अभिनेत्री राधिका आप्टे की भी सराहना की. इसके साथ ही हिंदी और अन्य भाषाओं की 200 से अधिक फिल्मों में काम कर चुके सिन्हा ने ट्वीट किया, बेहद नैसर्गिक कलाकार नवाजुद्दीन सिद्दीकी इस सदी की खोज हैं और अभिनेत्री राधिका आप्टे तो बहुत प्यारी और तारीफ के काबिल हैं. मैं इस फिल्म की अभूतपूर्व सफलता की कामना करता हूं. शत्रुघ्न सिन्हा ने निर्देशक केतन मेहता की भी सराहना की.
दशरथ मांझी से जुड़ी खास बातें
वर्ष 1934 में जन्में भूमिहीन मांझी आर्थिक रूप से कमजोर महादलित मुसहर समुदाय से आते हैं. उनका गांव पहाड़ के बीच होने के कारण वह सड़क, बिजली, स्वास्थ्य सेवा सहित अन्य मूलभूत सेवाओं से वंचित थे. दुर्गम जगह पर गांव के होने पर वहां के लोग हमेशा खुद को कोसा करते थे. गहलौर के गरीब भूमिहीन मजदूर मांझी पास के जमींदारों के खेतों में काम किया करते थे. 1959 में उनकी पत्नी बीमार पड़ी तो वह सड़क के अभाव में उन्हें अस्पताल नहीं ले जा सके. इससे वह बहुत दुखी हुए. अपनी पत्नी की मौत के वियोग में अगले 22 वर्षों तक छेनी और हथौड़ी की मदद से पहाड़ को काटकर रास्ता बनाने के लिए प्रयासरत रहे. आखिरकार, वह 360 फुट लंबा और 30 फुट चौड़ा रास्ता बनाने में सफल हुए. पहाड़ को काट कर बनाये गये उस रास्ते के कारण उनके गांव की दूरी पास के वजीरगंज प्रखंड से 55 किलोमीटर से घट कर 15 किलोमीटर हो गयी.
मांझी ने आमिर को भी अपनी ओर किया था आकर्षित
मांझी की मृत्यु वर्ष 2007 में हुई. उनका अंतिम संस्कार मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने राजकीय सम्मान के साथ कराया था तथा उनके गांव तक तीन किलोमीटर पक्की सड़क बनाये जाने तथा उनके नाम पर एक अस्पताल का नाम रखे जाने का निर्देश दिया. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार द्वारा मांझी के नाम पर वर्ष 2010-11 में शुरू की गयी दशरथ मांझी कौशल विकास योजना के तहत अबतक कुल 83792 युवक एवं युवितयों को विभिन्न ट्रेडों में प्रशिक्षण दिया जा चुका है. वर्तमान वित्तीय वर्ष के दौरान इस योजना के तहत डेढ़ लाख युवक एवं युवितयों को 40 ट्रेडों में प्रशिक्षण दिये जाने का लक्ष्य निर्धारित किया गया. इसके तहत 112 केंद्रों पर 18200 को प्रशिक्षित किया जा चुका है. पहाड़ को काटकर रास्ते बनाने के मांझी के दृढसंकल्प ने सिने अभिनेता आमिर खान को भी अपनी ओर आकर्षित किया और उन्होंने उनके गांव जाकर उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की थी तथा अपने टीवी शो सत्यमेव ज्यते उन्हें समर्पित किया था.
गौर हो कि माउंटेन मैन के नाम से चर्चित रहे दशरथ मांझी के जीवन पर आधारित निर्देशक केतन मेहता की फिल्म मांझी- द माउंटेन मैन फिल्म को लोगों के व्यक्तिगत एवं सामाजिक दृष्टिकोण के विकास के उदेश्य से मनोरंजन कर से भुगतान की छूट प्रदान करते हुए राज्य सरकार ने कहा था कि दिवंगत मांझी की कहानी एक सरल व्यक्तित्व और मानवीय जीवन की प्रेरणादायी कहानी है. यह बताती है कि अगर आदमी दृढ संकल्प कर ले तो साधनों के अल्पता में भी बड़े से बड़े काम को अंजाम दे सकता है. इनके जीवनी पर बनी यह चलचित्र जीवन को सही परिप्रेक्ष्य में देखने के लिए उत्प्रेरित करता है एवं इससे व्यक्तिगत एवं सामाजिक दृष्टिकोण का विकास होता है. इस चलचित्र के माध्यम से व्यक्ति एवं समाज को उच्च प्रेरणा प्राप्त होती है.