सुशील मोदी ने की टिप्पणी
पटना : पूर्व उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर कच्ची दरगाह व बिदुपुर के बीच बनने वाले पुल के शिलान्यास को लेकर निशाना साधा है. मुख्यमंत्री रविवार को इस पुल का शिलान्यास करेंगे. अपने फेसबुक पर श्री मोदी ने पोस्ट किया है कि मुख्यमंत्री को अहसास हो गया है कि सत्ता में उनकी वापसी नहीं होने वाली है.
इसीलिए कार्यकाल के अंतिम चंद दिनों में भी शिलापट पर नाम अंकित कराने के लिए वे परेशान हैं. उन्हें बताना चाहिए कि जब बिहार के लिए घोषित 1़65 लाख हजार करोड़ के विशेष मेगा पैकेज में गांधी सेतु के समानांतर छह लेनवाले एक नये पुल के निर्माण के लिए पांच हजार करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है तो फिर एडीबी से तीन हजार करोड़ का लोन लेने और राज्यकोष से दो हजार करोड़ खर्च करने का क्या औचित्य है?
निर्माण के लिए अभी टेंडर तक फाइनल नहीं हुआ है, मगर नीतीश कुमार चुनाव आचार संहिता लागू होने से पहले आनन-फानन में महात्मा गांधी सेतु के समानान्तर गंगा नदी पर प्रस्तावित कच्ची दरगाह से बिदुपुर के बीच बननेवाले पुल के श्लिान्यास के लिए बेताब है. मोदी ने कहा है कि एडीबी से मिलने वाला तीन हजार करोड़ अनुदान नहीं, कर्ज है जिसे सरकार को ब्याज सहित वापस करना पड़ेगा.
क्या इस पुल पर राज्य की ओर से खर्च किये जानेवाले दो हजार करोड़ रुपये का इंतजाम हो गया है? अगर पैसे का इंतजाम हो गया है तो फिर विगत दो मार्च, 2015 को पथ निर्माण विभाग के प्रधान सचिव ने केंद्र सरकार से पुल निर्माण के लिए दो हजार करोड़ की मांग क्यों की थी? क्या पांच हजार करोड़ की प्राक्कलन राशि निर्माण कार्य पूरा होते-होते 10 हजार करोड़ नहीं हो जायेगी, जिसे बिहार जैसे राज्य के लिए वहन करना मुश्किल होगा. उन्होंने सवाल उठाया कि क्या इन दो हजार करोड़ रुपये से बिहार के विकास की अन्य योजनाओं मसलन अनेक पुल-पुलियों व सड़कों तथा आधारभूत संरचनाओं का निर्माण नहीं कराया जा सकता है. क्या चुनावी वाहवाही लूटने के लिए ही नीतीश कुमार शिलान्यास का ढोंग नहीं कर रहे हैं.
क्या शिलान्यास के बावजूद अगामी छह महीने में भी पुल का वास्तविक निर्माण कार्य शुरू हो पायेगा. मोदी ने कहा कि सच तो यह है कि नीतीश कुमार बिहार की जनता का मूड भांप चुके हैं. उन्हें अच्छी तरह मालूम है कि कुछ गिने-चुने दिनों के लिए सत्ता उनके हाथ में है. चुनाव के बाद उन्हें गद्दी छोड़नी पड़ेगी. इसलिए हड़बड़ाहट में अधूरे निर्माणों का दनादन उद्घाटन और बिना किसी तैयारी के शिलान्यासों का रिकार्ड बनाना चाहते हैं.