अब काहे का स्वाभिमान : नंदकिशोर यादव
पटना : विधानसभा में प्रतिपक्ष के नेता नंदकिशोर यादव ने कहा है कि जदयू-राजद-कांग्रेस गंठबंधन रैली के नाम पर बिहार में भय का माहौल बनाने और धमकी भरी भाषा का इस्तेमाल न करे, क्योंकि बिहार की जनता इसे बरदाश्त नहीं करेगी. राजद प्रमुख के ट्वीट पर कड़ा एतराज जताते हुए यादव ने कहा कि भाजपा […]
पटना : विधानसभा में प्रतिपक्ष के नेता नंदकिशोर यादव ने कहा है कि जदयू-राजद-कांग्रेस गंठबंधन रैली के नाम पर बिहार में भय का माहौल बनाने और धमकी भरी भाषा का इस्तेमाल न करे, क्योंकि बिहार की जनता इसे बरदाश्त नहीं करेगी. राजद प्रमुख के ट्वीट पर कड़ा एतराज जताते हुए यादव ने कहा कि भाजपा धमकियों के आगे झुकनेवाली पार्टी नहीं है.
यह बात सत्तारूढ़ गंठबंधन को अच्छी तरह समझ लेनी चाहिए. अगर राजद प्रमुख को अपनी पार्टी के 15 सालों के कुशासन की सच्चाई जाननी है, तो वे नीतीश कुमार से ही पूछ लें कि आखिर वे बिहार में जंगलराज नहीं लौटने देंगे का नारा क्यों दिया करते थे.
नीतीश कुमार भी इस रैली में बिहार की जनता से माफी मांग लें कि जिस राजद राज के खात्मे के खिलाफ उन्हें जनादेश मिला था, उसी से सत्ता के लिए हाथ मिलाया.
आपातकाल लागू करने वालों से गंठबंधन के लिए भी वो बिहार की जनता से वो माफी मांगे.अपने अभिमान को तुष्ट करने के लिए स्वाभिमान रैली की नौटंकी कर रहे नीतीश कुमार को जवाब देना चाहिए कि वह किस स्वाभिमान की बात कर रहे हैं. जनादेश की धज्जियां उड़ाकर राजद-कांग्रेस से हाथ मिलाने में स्वाभिमान आहत नहीं हुआ और प्रधानमंत्री ने जब अवसरवादी राजनीति की धज्जियां उड़ायी, तो उनके स्वाभिमान को ठेस पहुंच गयी. वे किस आधार पर अपने अभिमान को बिहार के स्वाभिमान से जोड़ रहे हैं.
उन्हें याद नहीं है कि पिछले साल ही लोकसभा चुनाव में बिहार की जनता उन्हें 2 सीट पर समेटकर उनके अहंकार को चकनाचूर कर चुकी है. जिन दलों के साथ उन्होंने गंठबंधन कर रखा है, क्या इन दलों को विधानसभा में सिर्फ 27 सीटों पर समेटकर बिहार ने सत्ता से बाहर रहने का फैसला नहीं सुनाया था. मुद्दाविहीन और उपलब्धिविहीन गंठबंधन हताशा में है.