किसानों ने अपनी जमीन देकर बिहार को दिलाया विकास का तगमा

बिहटा : बीते आठ साल पूर्व मेगा औधोगिक पार्क योजना के तहत आइआइटी, निलेट ,एनएसआइटी, मेडिकल कॉलेज, रेमंड, हीरो साइकिल सहित कई संस्थानों के लिये बिहटा के भिन्न-भिन्न मौजा के तहत करीब 2200 एकड़ भूमि का अधिग्रहण किया गया था. लेकिन अधिग्रहण से प्रभावित किसानों को एक परियोजना एक दर की रेट से उचित मुआवजा […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | September 1, 2015 6:37 AM
बिहटा : बीते आठ साल पूर्व मेगा औधोगिक पार्क योजना के तहत आइआइटी, निलेट ,एनएसआइटी, मेडिकल कॉलेज, रेमंड, हीरो साइकिल सहित कई संस्थानों के लिये बिहटा के भिन्न-भिन्न मौजा के तहत करीब 2200 एकड़ भूमि का अधिग्रहण किया गया था. लेकिन अधिग्रहण से प्रभावित किसानों को एक परियोजना एक दर की रेट से उचित मुआवजा नहीं दिया गया था.
मुआवजे की मांग को लेकर बीते तीन साल पूर्व किसानों ने स्व कौशल किशोर पांडेय के नेतृत्व में आइआइटी गेट के समीप अनिश्चितकालीन आमरण अनशन किया था, जिसके 15 दिनों के बाद पटना के डीएम एन सरवनन ने अनशन स्थल पर पहुंच 15 दिनों के अंदर उचित दर से मुआवजे की भुगतान करने का आश्वासन देकर किसानों का अनशन समाप्त करवाया था. लेकिन दो साल के बाद भी किसानो को उचित मुआवजे की राशि की भुगतान नहीं की गयी थी. पुनः किसानों ने बाध्य होकर बीते नौ मई से स्वामी सहजानंद सरस्वती के समाधि स्थल पर 15 दिनों का सत्याग्रह आंदोलन शुरू किया था.
इस दौरान बिहटा के किसानों ने कौशल किशोर पांडेय के नेतृत्व मे पैदल मार्च करते हुए प्रखंड मुख्यालय मे ताला बंदी करने जा रहे थे कि बीच रास्ते में अचानक दिलावरपुर निवासी किसान कौशल किशोर पांडेय और दयालपुर निवासी देवनंदन राय मुर्क्षित होकर जमीन पर गिर पड़े, जिसके बाद किसानों ने उन्हें उठा कर स्थानीय रेफरल अस्पताल में भरती करवाया था.
जहां चिकित्सकों ने प्राथमिक उपचार के बाद उन्हें बेहतर इलाज के लिए पटना रेफर कर दिया था. लेकिन इलाज के दौरान कौशल किशोर पांडेय की मौत हो गयी थी.
इसके बाद किसान आक्रोशित होकर आगजनी और रोड जाम कर घंटो यातायात को बाधित रखा था, जिसके बाद हलचल में आयी बिहार सरकार और उनके अधिकारियों की नींद खुली थी. तब उस समय के डीएम अभय कुमार ने बिहटा पहुंच किसानों को एक माह के अंदर उचित मुआवजा देने का वादा कर किसानों का आंदोलन समाप्त करवाया था.
लेकिन फिर आज तीन माह से ऊपर बीत जाने के बाद भी किसानों को उचित मुआवजा नहीं मिल पाया और फिर सात दिनों से उनका आंदोलन जारी है. किसानों का कहना है की इस बार जब तक एक-एक किसानों को उचित मुआवजा नहीं मिल जाता आंदोलन जारी रहेगा.

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