मरे बच्चे को पेट से निकालने में मां की मौत

पीएमसीएच : स्त्री विभाग में भरती थी महिला, तीन दिन पहले ही पेट में मर गया था बच्चा विरोध में परिजनों ने किया हंगामा, तोड़फोड़ घंटा भर चला हंगामा, समझाने पर मामला शांत पटना : पीएमसीएच के स्त्री विभाग में बुधवार को प्रसव के दौरान महिला कविता की मौत हो गयी. 31 अगस्त को भरती […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | September 3, 2015 2:48 AM
पीएमसीएच : स्त्री विभाग में भरती थी महिला, तीन दिन पहले ही पेट में मर गया था बच्चा
विरोध में परिजनों ने किया हंगामा, तोड़फोड़
घंटा भर चला हंगामा, समझाने पर मामला शांत
पटना : पीएमसीएच के स्त्री विभाग में बुधवार को प्रसव के दौरान महिला कविता की मौत हो गयी. 31 अगस्त को भरती करायी गयी इस गर्भवती महिला के पेट में बच्चे की मौत पहले ही हो चुकी थी. भरती के समय उसकी अच्छी स्थिति को देखते हुए डॉक्टरों की टीम ने उसका सामान्य प्रसव कराने के लिए दर्द की दवा दी, लेकिन उसके तुरंत बाद उसकी मौत हो गयी. इसे लेकर परिजनों ने जम कर हंगामा किया. साथ ही तोड़फोड़ भी की.
हंगामा लगभग एक घंटा तक चला. परिजनों काकहना था कि डॉक्टरों की लापरवाही के कारण जान गयी है. वहीं डॉक्टरों ने आरोप को निराधार बताया है. वहीं पीएमसी प्राचार्य डॉ एसएन सिन्हा ने बताया कि स्त्री विभाग में हुई घटना की जानकारी हमें मिली है. हमने कमेटी बनायी है. अब तक मिली जानकारी के मुताबिक घटना में डॉक्टरों की कोई लापरवाही नहीं है, लेकिन इसकी जांच करायी जायेगी.
मामला : सामान्य प्रसव में गयी जान
मृत महिला के पति समीर कुमार भंडारी के मुताबिक कविता को जब भरती कराया गया, तो बच्चे का मूवमेंट था. उसी दिन देर शाम जब महिला को दर्द हुआ, तो परिजन ने अल्ट्रा साउंड कराने की मांग की, लेकिन डॉक्टर ने ऐसा करने से इनकार कर दिया.
बाद में मंगलवार की सुबह परिजनों ने प्राइवेट अल्ट्रा साउंड सेंटर पर जांच करायी तो रिपोर्ट में बच्चे के मरने की पुष्टि हुई. पीएमसीएच में डॉक्टरों ने तकनीकी आधार पर उसका सामान्य प्रसव करने का निर्णय लिया. बुधवार को जैसे ही दर्द की दवा दी गयी, उसके कुछ देर बाद ही कविता की मौत हो गयी.
आरोप. डॉक्टरों ने की लापरवाही
परिजनों ने डॉक्टरों पर लारवाही का आरोप लगाया. कहा कि उनकी सुस्ती से कविता की मौत हो गयी है. परिजनों के साथ आये अन्य लोगों ने घटना को देख हंगामा शुरू कर दिया. हंगामा के दौरान कुछ लोगों ने वार्ड की कुरसी व टेबुल को इधर-उधर फेंक दिया. लगभग एक घंटे तक चले हंगामे में बाकी काम भी बाधित हुए.
सफाई. आरोप को बताया निराधार
यूनिट इंचार्ज डॉ गीता सिन्हा ने बताया कि कविता आइसीयू में भरती थी. उसके पेट में तीन दिन पूर्व ही बच्चा मर गया था और हमलोग सामान्य प्रसव कराने के लिए दर्द की दवा दी थी, लेकिन एमनियोटिक फलूइड एंबोलिजन से महिला की मौत हो गयी है. यह लाखों प्रसव के दौरान किसी एक महिला के साथ ऐसा होता है. इसमें डॉक्टरों की कोई लापरवाही नहीं है. परिजनों को भी समझा दिया गया है.
एक्सपर्ट व्यू
कुर्जी होली फैमिली हॉस्पिटल की डॉक्टर मीना सामंत ने बताया कि किसी कारण से बच्चे की मौत मां के गर्भ में हो जाता है, तो डॉक्टर सबसे पहले मां की स्थिति को देखते हुए आगे की प्रक्रिया शुरू करते है. अमूमन डॉक्टर नॉर्मल डिलेवरी ही कोशिश करता है. इस स्थिति में ऑपरेट कर नहीं किया जाता है.
इसका कारण होता है कि बच्चेदानी को सुरक्षित किया जा सके, ताकि आगे बच्चा को जन्म देने में कोई परेशानी नहीं हो. मरे हुए बच्चे को सात दिनों तक गर्भ में रखा जाता है, लेकिन इस स्थिति में कोई संक्रमण नहीं होना चाहिए.

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