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सपा ने तोड़ा महागंठबंधन से नाता, मुलायम को मनाने लालू पहुंचे दिल्ली

लखनऊ/नयी दिल्ली : बिहार विधानसभा चुनाव से पहले मुलायम सिंह यादव ने लालू-नीतीश के साथ हुआ गंठबंधन तोड़ दिया है. महागंठबंधन में शामिल रही समाजवादी पार्टी (सपा) ने फैसला किया है कि वह राज्य में अलग से चुनाव लड़ेगी. यानी वह जदयू व राजद के सामने प्रत्याशी खड़े करेगी. पार्टी अन्य दलों के साथ मिल […]

लखनऊ/नयी दिल्ली : बिहार विधानसभा चुनाव से पहले मुलायम सिंह यादव ने लालू-नीतीश के साथ हुआ गंठबंधन तोड़ दिया है. महागंठबंधन में शामिल रही समाजवादी पार्टी (सपा) ने फैसला किया है कि वह राज्य में अलग से चुनाव लड़ेगी. यानी वह जदयू व राजद के सामने प्रत्याशी खड़े करेगी. पार्टी अन्य दलों के साथ मिल कर चुनाव लड़ने का भी मन बना रही है और इसके लिए ‍कुछ दलों से बातचीत भी कर रही है. सपा के राष्ट्रीय महासचिव रामगोपाल यादव ने गुरुवार को पार्टी प्रमुख मुलायम सिंह यादव की अध्यक्षता में दल के संसदीय बोर्ड की बैठक में लिये गये इस निर्णय की जानकारी दी.
इस बीच जदयू अध्यक्ष शरद यादव ने देर शाम में मुलायम के घर जाकर उन्हें मनाने का प्रयास िकया. सूत्रों का कहना है कि मुलायम अपने फैसले पर कायम हैं. हालांकि, शरद यादव ने दावा किया कि मामला बातचीत से सुलझा लिया जायेगा. लालू प्रसाद भी मुलायम को मनाने गुरुवार की देर शाम दिल्ली पहुंचे.
संवाददाता सम्मलेन में सपा प्रवक्ता रामगोपाल यादव ने बताया कि पार्टी ने बिहार विधानसभा चुनाव में सिर्फ पांच सीटें मिलने से खुद को अपमानित महसूस किया है. उन्होंने कहा कि जनता परिवार के अन्य प्रमुख घटक दलों का यह फर्ज था कि सीटों का बंटवारे से पहले शेष पेज 23 पर
सपा के महागंठबंधन से हटने पर राजनीति शुरू
सपा से बातचीत करते. पर इस बारे में हमें मीडिया के जरिये जानकारी मिली. पांच सीटें दिये जाने से न तो पार्टी का नेतृत्व सहमत था और न ही बिहार के पार्टी कार्यकर्ता राजी नहीं थे. इसीलिए हमने अपने बूते चुनाव लड़ने का फैसला किया. यादव ने कहा, मैं जानता था कि बिहार चुनाव के वक्त ये सभी पार्टियां अलग-अलग हो जायेंगी, इसीलिए मैंने कहा था कि मैं जान-बूझ कर सपा के ‘डेथ वारंट’ पर दस्तखत नहीं कर सकता. इस सबके बाद यह कहने की गुंजाइश बचती ही नहीं कि यह परिवार कभी एक हो रहा था.
सपा महासचिव ने कहा कि सपा बिहार में जरूरत पड़ने पर कुछ अन्य दलों से बात करेगी. पार्टी की बिहार इकाई के अध्यक्ष रामचंद्र यादव कुछ दलों से बातचीत कर रहे हैं. यादव ने दावा किया कि सपा को उसके सहयोगी दल जितनी सीटें दे रहे थे, उससे कई गुना ज्यादा तो सपा अपने बलबूते जीतेगी.
राजद अध्यक्ष लालू प्रसाद द्वारा सपा को तीन सीटों का प्रस्ताव दिये जाने के बाद अगर यह सपा को नामंजूर था, तो गत 30 अगस्त को पटना में महागंठबंधन की स्वाभिमान रैली में पार्टी के प्रतिनिधि के रूप में शिवपाल यादव ने शिरकत क्यों की? इस सवाल पर रामगोपाल यादव ने कहा, सपा के प्रतिनिधि ने पहले ही वहां जाने के लिए हां कर दी थी, इस वजह से वह रैली में शामिल हुए.
पिछले दिनों पीएम से मिले थे रामगोपाल
पिछले दिनों प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और भाजपा अध्यक्ष अमित शाह से अपनी मुलाकात और उसमें नोएडा के पूर्व मुख्य अभियंता यादव सिंह भ्रष्टाचार प्रकरण में कोई ‘डील’ होने के बारे में पूछने पर यादव ने शाह से मुलाकात से इनकार करते हुए कहा कि यादव सिंह मामले में हमें क्या डर है. किसी ने गड़बड़ की है, तो उसके खिलाफ जांच होनी चाहिए और लोगों के खिलाफ भी जांच होनी चाहिए.
यादव सिंह किनके नजदीकी अधिकारी रहा है, यह आप भी जानते हैं और हम भी जानते हैं. उन्होंने कहा, उत्तर प्रदेश में जिस तरह का मामला चल रहा था, जिस तरह से राज्य सरकार के कामकाज में अडंगे डाले जा रहे हैं, यह नौबत आयेगी, तो हम अंततोगत्वा राष्ट्रपति से भी मिल चुके थे और अब प्रधानमंत्री से भी मिले. जरूरत पड़ेगी तो फिर मिलेंगे. मालूम हो कि कुछ समय पहले मुलायम प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मिले थे, जबकि रामगोपाल यादव ने एनडीए के घटक दलों की बैठक से पहले सोमवार को अमित शाह से मुलाकात की थी.
सोनिया की वजह से टूटा गंठबंधन?
सपा प्रवक्ता ने कहा कि जनता परिवार कभी एक नहीं हो पाया. इसका जिम्मेदार कौन है, इस बारे में उन्होंने कुछ नहीं कहा. इस बीच मीडिया रिपोर्टों में कहा गया है कि फूट की वजह कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी हैं. स्वाभामिमान रैली में सोनिया को चेहरा बनाया गया, जो मुलायम सिंह यादव नहीं चाहते थे. नीतीश और लालू ने इसे तवज्जो नहीं दी, तो मुलायम रैली में नहीं गये और शिवपाल यादव को भेजा. बावजूद इसके सोिनया की उपस्थिति को ज्यादा महत्वपूर्ण बताया गया.
गंठबंधन जारी रहेगा. इसके लिए मुलायम सिंह यादव से बातचीत भी करूंगा. गंठबंधन में ऐसे होता रहता है. जो उतार-चढ़ाव आ रहे हैं, उन्हें ठीक किया जायेगा. यह गंठबंधन ज्यों-का-त्यों रहेगा और यह महागंठबंधन मुकम्मल रहेगा. (शरद यादव, जदयू अध्यक्ष)
मुलायम सिंह यादव हमारे अभिभावक हैं. इससे बढ़ कर वे हमारे रिश्तेदार हैं. अगर उनकी कोई नाराजगी है तो हम दूर करेंगे. मैं और नीतीश कोशिश करेंगे कि कोई कन्फ्यूजन हो तो वह दूर हो. सारे देश की नजर अभी िबहार पर है. (लालू प्रसाद, राजद अध्यक्ष)

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