सरकार दंगापीड़ितों के पुनर्वास पर संवेदनहीन : दीपंकर

पटना : भागलपुर दंगा हुए 25 वर्ष हो गये, किंतु दंगा पीड़तों का पुनर्वास कराने और पीड़ित परिवारों को न्याय दिलाने में लालू -नीतीश सरकार संवेदनहीन बनी रही. भागलपुर दंगा पर जस्टिस एनएन सिंह आयोग की रिपोर्ट जानबूझ कर नीतीश कुमार ने विधान सभा के अंतिम दिन पेश की, ताकि इस पर कोई बहस ही […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | September 7, 2015 7:46 AM
पटना : भागलपुर दंगा हुए 25 वर्ष हो गये, किंतु दंगा पीड़तों का पुनर्वास कराने और पीड़ित परिवारों को न्याय दिलाने में लालू -नीतीश सरकार संवेदनहीन बनी रही. भागलपुर दंगा पर जस्टिस एनएन सिंह आयोग की रिपोर्ट जानबूझ कर नीतीश कुमार ने विधान सभा के अंतिम दिन पेश की, ताकि इस पर कोई बहस ही न हो. नीतीश कुमार और लालू प्रसाद पर उक्त आरोप रविवार को भाकपा-माले के राष्ट्रीय महा सचिव दीपंकर भट्टाचार्य ने लगाया. वे आईएमए हॉल में ‘ सांप्रदायिक दंगों व दलित जनसंहारों में इंसाफ का सवाल’ विषय पर आयोजित संगोष्ठी में मुख्य अतिथि के रूप में बोल रहे थे.

संगोष्ठी का आयोजन एआईपीएफ और इंसाफ मंच ने किया था. दीपंकर ने कहा कि न्याय के लिए लड़ाई न सिर्फ दंगों और जन संहारों को अंजाम देने वालों को परास्त कर, बल्कि उन ताकतों को भी परास्त कर जीती जा सकती है, जो न्याय दिलाने के नाम पर धोखाधड़ी और न्याय प्रक्रिया में देरी करते हैं. संगोष्ठी में शरद जायसवाल की ’25 साल बाद भी इंसाफ से वंचित भागलपुर’ नामक रिपोर्ट का लोकार्पण भी किया गया.

दीपंकर ने कहा कि भागलपुर दंगा चुनाव के बाद और पहले भी मुद्दा रहा है. दंगा पीड़ितों को मदद तो मिली नहीं, जो मदद मिली भी, तो उनसे ऋण व ब्याज वसूली के लिए अभियान चलाया जा रहा है. इस पर विधान सभा में चर्चा तक कराना उचित नहीं समझा गया.
इन्कलाबी मुस्लिम कांफ्रेंस के राष्ट्रीय अध्यक्ष सलीम ने कहा कि कत्लेआम को सरकारें हादसा बता कर पल्ला झाड़ लेती है. नीतीश कुमार भाजपा और आरएसएस के बीच निकाह भी हुआ और तलाक भी. इस दौरान अकलियतों को धोखा देने में कोई कोताही नहीं बरती गयी. आज साक्षी से ले कर तोगड़िया तक आरएसएस के कंसेप्ट को स्थापित करने में लगे हैं. उन्होंने कहा िक कभी मुलसमानों को ‘जेहादी’ कहा जाता है, तो कभी ‘लव-जेहादी’. सच कहूं, तो देश के मुसलमानों को इंसाफ नहीं मिला. उन्होंने पूछा कि भिवंडी व जमशेदपुर के दंगाईयों पर क्या कार्रवाई हुई? उन्होंने कहा कि इस बार के विधान सभा चुनाव में आम अवाम को तय करना होगा कि उन्हें कौन इंसाफ दिलायेगा?
उत्तर प्रदेश रिहाई मंच के अध्यक्ष शोएब अहमद ने कहा आरएसएस ने मुसलमानों के खिलाफ तो जहर उगला, किंतु अंगरेजों का साथ दिया.
उन्होंने कहा कि कांग्रेस ने भी मुसलमानों को साथ दगा किया. भागलपुर दंगा जनसंघ-भाजपा के शासनकाल में नहीं, बल्कि कांग्रेसी शासनकाल में हुआ. बाबरी का ताला कांग्रेसी हुकूमत में खुला. मुसलमान भाई सेक्यूलरिज्म के नाम पर आंखे मूंद कर उसी कांग्रेस के पक्ष में मतदान कर देते हैं. मुलायम सिंह तो हमदर्दी में ‘मौलाना-मुलायम’ तक बन जाते हैं. मुसलमानों को इस सच से रु-ब-रु कराना होगा.

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