NDA में सीट बंटवारे पर घमसान, अब तक नहीं हो पाया कोई फैसला
अंजनी कुमार सिंह नयी दिल्ली : एनडीए में सीट शेयरिंग को लेकर अब तक कोई फैसला नहीं हो पाया है. एक-दो दौर की बातचीत होने के बाद इस पर मुहर लगने की बात बतायी जा रही है. बुधवार को हिंदुस्तानी अवाम मोरचा (हम) सेक्युलर के राष्ट्रीय अध्यक्ष जीतन राम मांझी और लोजपा प्रमुख रामविलास पासवान […]
अंजनी कुमार सिंह
नयी दिल्ली : एनडीए में सीट शेयरिंग को लेकर अब तक कोई फैसला नहीं हो पाया है. एक-दो दौर की बातचीत होने के बाद इस पर मुहर लगने की बात बतायी जा रही है. बुधवार को हिंदुस्तानी अवाम मोरचा (हम) सेक्युलर के राष्ट्रीय अध्यक्ष जीतन राम मांझी और लोजपा प्रमुख रामविलास पासवान ने भाजपा की चुनाव अभियान समिति के अध्यक्ष अनंत कुमार और बिहार मामलों के प्रभारी भूपेंद्र यादव से मुलाकात की. रालोसपा अध्यक्ष उपेंद्र कुशवाहा की मुलाकात मंगलवार को ही हो चुकी है.
सहयोगी दलों ने अपनी-अपनी मंशा से भाजपा को अवगत करा दिया है. सभी सहयोगी दलों के अपने-अपने दावे और मांग है, जबकि भाजपा सहयोगी दलों की मांग से सहमत नहीं दिख रही है. भाजपा को लगता है कि सहयोगी दल भाजपा की लहर और वोट पर अपनी नैया पार लगाना चाह रहे हैं. भाजपा ने साफ तौर पर यह संकेत दिया है कि वह 170 से 175 सीटों पर चुनाव लड़ेगी. बाकी बची सीटों को वह सहयोगी दलों में बांटना चाह रही है. लेकिन, सहयोगी दल भाजपा के इस सुझाव पर सहमत नहीं दिख रहे हैं. बताया जा रहा है एक-दो राउंड की बातचीत के बाद अंतिम निष्कर्ष पर पहुंचा जायेगा.
हिंदुस्तानी अवाम मोरचा(सेक्युलर) :मांग/तर्क
पार्टी के अध्यक्ष व पूर्व सीएम जीतन राम मांझी की मांग है कि उन्हें सभी सहयोगी दलों से ज्यादा सीटें दी जाएं, क्योंकि उनके पास सभी सहयोगी दलों से ज्यादा विधायक हैं. लोजपा पिछले विधानसभा चुनाव में सिर्फ तीन सीटें जीती थीं, जबकि हम के पास 13 विधायक हैं, जो एनडीए की पूंजी हैं. दर्जनों नेता और सैकड़ों समर्थक जदयू को छोड़ कर हम के साथ जुड़े हैं.
दलितों में पासवान को छोड़ कर बाकी सारे दलित-महादलित पर हमारी पकड़ है. वोट बैंक के लिहाज से भी हमारा प्रतिशत अन्य सहयोगी दलों से बेहतर है, इसलिए हमें उसी तरह से सम्मान दिया जाये या फिर लोजपा के बराबर सीटें दी जाएं, जिससे कि हमारे समर्थकों और कार्यकर्ताओं में गलत संदेश न जाये.मुख्यमंत्री रहते हुए मैंने दलितों के लिए जो भी घोषणाएं की हैं, उन्हें हमारे वोटर नहीं भूले हैं. नीतीश कुमार और लालू प्रसाद को दलित-महादलित वोट करते रहे हैं, लेकिन जदयू से मेरे निकलने के बाद यह वोट एनडीए की ओर ट्रांसफर हुआ है. हालांकि, भाजपा की ओर से अब तक 10 से 15 सीटें दी जाने के ही संकेत बताये जा रहे हैं.
प्रतिक्रिया : मांझी ने कहा, आचार संहिता लागू हो गयी है, इसलिए अब कुछ नहीं बोलूंगा. पासवान हमारे बड़े भाई हैं.
लोक जनशक्ति पार्टी(लोजपा) :मांग/तर्क
लोजपा प्रमुख रामविलास पासवान की मांग है कि जिस तरह से लोकसभा चुनाव में सीटों का बंटवारा हुआ था, उसी तरह से विधानसभा चुनाव में भी सीटों का बंटवारा हो. लोजपा को लोकसभा चुनाव में सात सीटें दी गयी थीं, जिनमें से छह पर हमने जीत दर्ज की. एक लोकसभा क्षेत्र में करीब छह विधानसभा क्षेत्र होते हैं, इसलिए 42 सीटें तो वैसे ही हमारी होनी चाहिए. इतना ही नहीं, लोजपा बिहार में भाजपा की सबसे बड़ी भागीदार है, इसलिए उसे 55 से ज्यादा सीटें मिलनी चाहिए. दलित चेहरा होने के साथ ही बिहार में लालू-नीतीश के खिलाफ असरदार चेहरा.
लोजपा खुद को एनडीए का विश्वस्त सहयोगी होने के साथ ही यह भी दावा कर रही है कि उसके अलग होने के बाद ही राजनीतिक रूप से राजद हाशिये पर पहुंच गया. भाजपा की ओर से 35 से 40 सीट दिये जाने के संकेत दिये जा रहे हैं.
प्रतिक्रिया : एनडीए एकजुट है. सीटों पर किसी तरह का विवाद नहीं है. एक-दो दिनों में सीटों पर अंतिम फैसला हो जायेगा.
राष्ट्रीय लोक समता पार्टी(रालोसपा) :मांग/तर्क
पार्टी के अध्यक्ष उपेंद्र कुशवाहा की मांग है कि रालोसपा को कम-से-कम 40 सीटें मिले. नीतीश कुमार के वोट बैंक में सेंध लगाने के साथ ही ओबीसी का बड़ा चेहरा. रालोसपा का मानना है कि नीतीश कुमार को कोयरी-कुर्मी की एकमुश्त वोट मिलता रहा है, लेकिन उपेंद्र कुशवाहा के निकलने के बाद 12 फीसदी कोयरी जदयू से अलग हो गये हैं.
इसी का खामियाजा लोकसभा चुनाव में जदयू को भुगतना पड़ा. रालोसपा का दूसरा तर्क है कि लोकसभा चुनाव के समय यह तय नहीं हुआ था कि विधानसभा में किसे कितनी सीटें दी जायेंगी और फॉर्मूले का आधार लोकसभा चुनाव होगा. यदि कोई पॉलिटिकल पार्टी अपना स्टार बनाता है, वोट बैंक को एक्टिव करता है, तो उसे उसका शेयर भी चाहिए, अन्यथा वोटर उससे दूर छिटकेंगे.इसीलिए सभी जिलों में एक-एक सीट दिये जाने से गंठबंधन को फायदा होगा. जदयू से इस्तीफा देकर नीतीश कुमार के खिलाफ आम जनता को गोलबंद करने में हमारी अहम भूमिका रही है, इसीलिए विधानसभा चुनाव में हमें सम्मानजनक सीटें मिलनी चाहिए. जबकि भाजपा की ओर से 25 सीट दिये जाने के संकेत दिये जा रहे हैं.
प्रतिक्रिया : सीट शेयरिंग को लेकर किसी तरह का विवाद नहीं हैं. जल्द ही फैसला हो जाने की उम्मीद है.
मांग : 55 से ज्यादा सीटें
भाजपा का संकेत : 35 से 40 सीटें
मांग : लोजपा से अधिक या बराबर
भाजपा का संकेत : 10 से 15 सीटें
मांग : कम-से-कम 40
भाजपा का संकेत : 25 सीटें