प्रभात खबर व पारस अस्पताल की पहल, कैंसर से लड़ने का मिला जज्बा

दो घंटे तक चलते रहे सवाल-जवाब पटना: प्रभात खबर और पारस एचएमआरआइ अस्पताल की बड़ी पहल कॉफी विद् डॉक्टर का आगाज हो गया है. इस शृंखला के पहले चरण में शनिवार को अस्पताल परिसर में कैंसर रोग विभागाध्यक्ष डॉ राजीव शरण व उनकी टीम मरीजों व उनके परिजनों से रूबरू हुये और उनके सवालों का […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | September 13, 2015 3:08 AM

दो घंटे तक चलते रहे सवाल-जवाब

पटना: प्रभात खबर और पारस एचएमआरआइ अस्पताल की बड़ी पहल कॉफी विद् डॉक्टर का आगाज हो गया है. इस शृंखला के पहले चरण में शनिवार को अस्पताल परिसर में कैंसर रोग विभागाध्यक्ष डॉ राजीव शरण व उनकी टीम मरीजों व उनके परिजनों से रूबरू हुये और उनके सवालों का जवाब दिया. कार्यक्रम में शामिल होने के लिए राज्य के कोने-कोने से लोग पहुंचे थे. बड़ी संख्या के बावजूद डॉ शरण ने लगभग दो घंटे तमाम सवालों को धैर्यपूर्वक सुना और उनके जवाब दिये.

जवाब से संतुष्ट दिखे मरीज

सवाल पूछनेवाले मरीज डॉक्टर के जवाब से संतुष्ट दिखे. कुछ जटिल केस की स्टडी के लिए डॉक्टर ने उनको अलग से ओपीडी में बुलाया. अलग-अलग जिलों से आनेवाले मरीजों की समस्याएं भी अलग-अलग रही. कोई जानना चाहता था कि कैंसर जेनेटिक तो नहीं तो कोई लंबे इलाज के बावजूद दोबारा कैंसर वापस न लौटे इसको लेकर चिंतित था. किसी को अपनी बेटी के आंख के कैंसर इलाज को लेकर चिंता थी, तो कोई मां के गले के कैंसर का इलाज जानना चाह रहा था. डॉ राजीव शरण व उनकी टीम में शामिल डॉ आरएन टैगोर व डॉ श्रीनिवास रावत ने मरीजों की जिज्ञासा का पूरा समाधान किया और विस्तार से पूरी जानकारी दी. उन्होंने बताया कि कैंसर अनुवांशिक बीमारी नहीं. कार्यक्रम का संचालन टीवी एंकर तुलिका ने किया.

मुंबई-दिल्ली से कम नहीं सुविधा

कार्यक्रम में हेड एंड नेक कैंसर के मरीज अधिक आये. कॉफी विद् डॉक्टर की शुरुआत करते हुए डॉ राजीव शरण ने सबसे पहले कैंसर के कारण, लक्षण व इलाज के उपायों पर चर्चा की. उन्होंने कहा कि एम्स दिल्ली और टीएमएच मुंबई में काम करने के बाद घर की चिंता मुझे पटना खींच लायी. हमारी इच्छा है कि कैंसर के तमाम मरीजों को इलाज यहीं पर हो. उनको इलाज की तमाम सुविधाएं यहीं पर मिले, जिससे कि उनको व उनके परिजनों को शहर-दर-शहर भटकना न पड़े. एक साल से पारस में काम कर रहा हूं और यहां पर रेडियोथेरापी-केमोथेरापी सहित तमाम आधुनिक सुविधाएं उपलब्ध है. दावे के साथ कह सकता हूं कि हेड एंड नेक कैंसर सर्जरी के मामले में यह मुंबई-दिल्ली से कम नहीं.

मुंह का कैंसर ज्यादा कॉमन

डॉ राजीव ने कहा कि बिहार ओरल कैंसर की राजधानी बन चुका है. यहां पर मुंह के कैंसर के मामले कॉमन हैं. ऐसा यहां के लोगों द्वारा तंबाकू (खैनी) व गुटखे के अधिक इस्तेमाल की वजह से होता है. पांच से आठ साल में गुटखे का असर दिखने लगता है. इसके चलते मुंह में फाइबर्स टिश्यू बदल जाते हैं और मुंह खुलना बंद हो जाता है. ऐसा होने पर मुंह की सफाई से खान-पान में दिक्कत होती है जो इसके खतरों को बढ़ाती है.

अल्कोहल से ज्यादा खतरा

डॉ शरण ने कहा कि तंबाकू के साथ अल्कोहल का यूज करने पर इसका खतरा तीस गुणा तक बढ़ जाता है. दांत नुकीले होेने पर बार-बार एक ही लोकेशन पर कट होने पर व्हाइट पैच हो जाता है, जो बाद में कैंसर में बदल जाता है. व्हाइट पैच के रेड पैच में बदलने या मोटा होने पर कैंसर का खतरा दस से पंद्रह गुणा बढ़ जाता है. तंबाकू खानेवाले व्यक्ति अपना मुंह आइने में जरूर देखें और पैच दिखने पर तत्काल डॉक्टर से मिलें. अगर व्हाइट पैच दो हफ्ते से अधिक रह जाय, तो चिंता की बात है.

बायोप्सी से नहीं फैलता ट्यूमर

उन्होंने कहा कि कैंसर के बचाव का सबसे बड़ा उपाय यही है कि उसकी पहचान पहले हो. एडवांस स्टेज में पहुंचने पर उसका क्योर करना मुश्किल हो जाता है. लक्षण दिखने पर तत्काल बायोप्सी करानी चाहिए. उन्होंने कहा कि कुछ लोगों में भ्रम है कि बायोप्सी कराने पर ट्यूमर फैलता है, जो सही नहीं है. यह उपचार की पहली सीढ़ी है. डॉ शरण ने कहा कि ट्यूमर के लोकेशन व स्टेज पर उसका इलाज निर्भर करता है. अगर ट्यूमर मुंह का है तो सर्जरी जरूरी है जबकि गले का कैंसर होने पर रेडियोथेरापी जरूरी है.

पॉजिटिव सोच रखें

डॉ शरण ने क्योर हुए मरीजों से कहा कि अपना सोच हमेशा पॉजिटिव रखें. निगेटिव सोच रखने पर बीमारी दोबारा बढ़ने की संभावना रहती है.

इनकी मुफ्त काउंसेलिंग

कार्यक्रम के दौरान ही पारस एचएमआरआइ के जोनल हेड डॉ रविशंकर ने घोषणा करते हुए कहा कि कॉफी विद् डॉक्टर में रजिस्टर्ड होनेवाले तमाम मरीजों की काउंसेलिंग मुफ्त होगी. इसके लिए उनको अलग से ओपीडी में समय मिलेगा.

कैंसर ठीक हो जाये, फिर भी पांच साल तक करायें चेकअप

कैंसर लाइलाज बीमारी नहीं है. सावधानी और अवेयरनेस इसमें हमेशा जरूरी है. अब चाहे कैंसर होने के पहले लक्ष्ण के साथ अवेयरनेस की जरूरत हो या कैंसर ठीक हो जाने के बाद प्रिकॉशन लेना हो, हर स्थिति में कैंसर को इग्नोर नहीं किया जा सकता है. जरूरत है इस बीमारी के प्रति अधिक से अधिक अवेयर होने की. कैंसर के प्रति तमाम ये बातें डा. राजीव शरण बता रहे थे. डा. शरण और उनकी पूरी टीम प्रभात खबर और पारस हास्पीटल द्वारा आयोजित काफी विद डॉक्टर कार्यक्रम के दौरान मौजूद थे. इस मौके पर डाॅक्टर्स और मरीजों का फेस टू फेस प्रश्नोत्तर की दौर भी चला. तमाम प्रश्नों के उत्तर डाॅक्टर्स ने मरीजों को उन्हीं के अनुसार दिया.

मेरी 11 साल की बेटी है. उसे नाक का कैंसर हो गया है. पीजीआइ चंडीगढ़ के साथ भेलौर में भी इसका इलाज करवाया. लेकिन, अभी तक ठीक नहीं हुआ है. अब आंख से भी उसे दिखाई नहीं देता है. पूरा घाव बाहर की ओर निकल गया है. क्या वो ठीक हो सकती है. राजेश कुमार, जहानाबाद

कैंसर का कौन से स्टेज है यह देखना जरूरी है. अगर एडवांस हो गया होगा, तो इलाज संभव नहीं है. हम पूरी जांच के बाद ही यह बता पायेंगे कि आपकी बेटी का आंख बच पायेगा या नहीं. सर्जरी जरूरी है या कीमोथेरेपी से ही काम चलेगा, इसकी भी जानकारी हम इसके रिपोर्ट और डाइगोनोसिस करने के बाद ही बता पायेंगे.

मेरे गले में कैंसर हो गया था. सर्जरी करवाये तो ठीक हो गया था. लेकिन अब मुंह सही से नहीं खुल पा रहा है. खाने-पीने में दिक्कतें नहीं होती है, लेकिन मुंह खोलने में प्राॅब्लम होता है. मुंह खोलता हूं लेकिन कुछ देर बाद फिर अपने आप मुंह बंद हो जाता है. क्या मुझे फिर कैंसर हो जोयग. दिलीप सिंह, पटना

यह तो बिना जांच के नहीं कहा जा सकता है कि आपको दुबारा कैंसर के लक्षण है या नहीं. लेकिन जब कैंसर की सर्जरी होती है तो ट्यूमर के साथ आसपास ड्रेनेज एरिया को भी निकाल दिया जाता है. हो सकता है आपके साथ एेसा नहीं किया गया होगा. मुंह के कैंसर की सर्जरी के बाद एक्सरसाइज भी करने की सलाह दी जाती है. एक्सरसाइज आपने नहीं किया होगा, इस कारण भी मुंह बंद हो रहा है.

गले में प्राॅब्लम हुआ. चार-पांच महीने इलाज करवाया. सर्जरी करके ठीक हो गया. लेकिन अब फिर गले में गिल्टी बन गया है. क्या मुझे फिर कैंसर के लक्षण है. कृष्ण रंजन, पटना

गले के कैंसर में काफी सावधानी बरतनी पड़ती है. क्योंकि एक बार अगर कुछ ड्रेनेज पार्ट छूट गया, तो फिर दुबारा कैंसर होने की अधिक संभावना होती है. आपका इलाज किस तरह हुआ. यह हम जांच के बाद ही बता पायेंगे. गले के कैंसर में कीमोथेरेेपी का अधिक रोल नहीं होता है. इसमें सर्जरी का ही मेन रोल होता है.

मेरे भाई के मुंह में गांठ पड़ गयी है. चार-पांच महीने इलाज करवाया, लेकिन अभी तक ठीक नहीं हुआ है. अल्ट्रासाउंड भी करवाया, पता नहीं चल रहा है. कृष्णा, भागलपुर

मुंह में दांत शार्प होने की वजह से भी कई बार गले में या होठ आदि कट जाते है. बार-बार कट जाने के कारण वहां पर पैच बनने लगता है. बाद में कई बार वो पैच कैंसर का रूप ले लेता है. मुंह के कैंसर का पता कभी भी अल्ट्रा साउंड से नहीं चलेगा. इसके लिए जांच करवाना होगा.

मुझे गले का कैंसर हो गया था. आॅपरेशन करवाया. कीमोथेरेपी और रेडियोथेरेपी भी करवाया. अब ठीक हूं. क्या मुझे दुबारा कैंसर हो सकता है. सुनील कुमार, समस्तीपुर

यह कहना मुश्किल है के दुबारा कैंसर नहीं हो सकता है. स्टेज वन के केस ठीक हो जाने के बाद 90 फीसदी चांस दोबारा नहीं होने की होती है. लेकिन 10 फीसदी चांस दुबारा होने की होती है. ऐसे में मरीज को शुरूआत में हर दो तीन महीने पर जांच करवाते रहना चाहिए. अगर नहीं है तो एक साल पर, फिर दो साल पर. ऐसे ही पांच सालों तक जांच करवाते रहना चाहिए. अगर पांच साल तक मरीज मे कैंसर के लक्ष्ण नहीं है तो फिर कहा जा सकता है कि अब दुबारा नहीं होगा.

कैंसर जेनेटिक है क्या? मेरी मां को अांत का कैंसर है अब भाई को भी आंत का कैंसर हो गया है. दयानंद प्रसाद, नालंदा

सारे कैंसर जेनेटिक नहीं होते है. खास कर मुंह का कैंसर जेनेटिक नहीं होता है. ना ही कैंसर छूआछूत होता है. मुंह में थायराइड का कैंसर जेनेटिक होता है. जहां तक आंत के कैंसर की बात है तो यह जेनेटिक होता है. इस कारण आपके भाई को भी है.

मेरे बेस्ट में गांठ है. डाॅक्टर को दिखाया और उन्होने जांच की तो गांठ का पता नहीं चला, लेकिन कई घंटों बाद फिर गांठ निकल आया. कुंती देवी, बिहारशरीफ

हो सकता है आपका गांठ ऐसे ही होगा. अब जांच के बाद ही इसका पता चलेगा. ब्रेस्ट में दूसरा कोई प्राब्लम होगा. आप जांच करवा ले तो सही बात का पता चल जायेगा.

मीट मछली खाने से भी क्या कैंसर हो सकता है. कृष्ण कांत दूबे, पटना

उत्तर – नहीं मीट मछली खाने से कभी कैंसर नहीं हो सकता है. हां, मुंह का कैंसर होने से ब्रश आदि करने में प्राब्लम होता है. इससे हाइजीन की दिक्कतें आ सकती है.

मां को गले का कैंसर हो गया है. इलाज करवाया. 35 दिनों तक रेडियेशन करवाया. लेकिन अभी भी दर्द हो रहा है. खाना कुछ नहीं खा पा रही है. सुबोध कुमार, मुजफ्फरपुर

इतने बार रेडियेशन देने के कारण भी दर्द हो रहा होगा. लेकिन अब सिटी स्कैन करने के बाद ही पता चलेगा. आप एक बार जांच करवा ले तो सही कारण का पता चल जायेगा.

मेरे दोनो जबड़ों के बीच स्कीन फंस जाता है. क्या मुझे कैंसर हो जायेगा. राजीव कुमार सिंह, पटना पुलिस

हां कई बार सार्प दांत के कारण कट जाता है. इसके लिए सबसे पहले दांत के डाक्टर से मिलना चाहिए. इसके बाद ही कुछ कहा जा सकता है. दांत से कटे हुए भाग को इग्नोर नहीं करना चाहिए.

इन्होंने भी पूछे सवाल : सुनील कुमार राम, समस्तीपुर, श्यामोदेव प्रसाद, नालंदा, राजीव रंजन, पटना, दिपिका कुमारी, जहानाबाद, इंदू देवी, पूणिया, आदया तिवारी, मोतीहारी, मूंसी यादव, गोपालगंज, रूपेश कुमार, ओबेसार खान, मून्ना प्रसाद, आरती कुमारी ठाकुर, सुरेश प्रसाद, उत्तम कुमार महतो, भागलपुर, मीना देवी, भोजपुर, एनके सिंह, पटना, शीला देवी, बांका, पूंडे भगत, सीवान, अशोक कुमार, बहादूरगंज, राम सागर राम, मधुबनी, अनिल पोददार, खगडिया, रामजति देवी, मुजफ्फरपुर, नाथो साह, गौतम कुमार, पटना, चंपा देवी, बांका, झालो देवी, बांका, राजेंद्र साह, दरभंगा, भूमि सिंह, खगडिया.

राजकुमारी देवी, मुजफ्फरपुर

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