पटना/नयी दिल्ली : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के द्वारा डीएनए पर दिए गए विवादित बयान पर राजनीति करते हुए जदयू ने एक लाख से भी ज्यादा सैंपल एकत्रित किए जो अब डाकघर वालों के लिए सिर का दर्द बन चुका है. दरअसल, नरेंद्र मोदी के बयान को जदयू ने हाथों-हाथ चुनावी मुद्दा बनाया और बिहार के लोगों से अपील की कि वह डीएनए सैंपल के तौर पर अपने बाल व नाखून प्रधानमंत्री के पास भेजे जिससे उन्हें बिहार के बारे में सच पता चले. जदयू की अपील के बाद बिहार के शहरों और ग्रामीण क्षेत्रों से प्रधानमंत्री के पास सैंपल लिफाफे में बंद करके भेजे जाने लगे जो अब लाखों की संख्या में डाकघर में डेर के रुप में जमा हो गया है.
आपको बता दें कि बिहार के लोगों के डीएनए सैंपल कलेक्शन के लिए जदयू की 56 टीम राज्य भर में रवाना की थी. जदयू के प्रदेश अध्यक्ष वशिष्ठ नारायण सिंह ने पार्टी कार्यालय से इन टीमों को रवाना किया था. हर टीम में चार से पांच सदस्य थे. इन्होंने जिलों व प्रखंडों में जाकर लोगों का सैंपल लिया. जदयू ने सितंबर महीने में अभियान के दूसरे चरण में ‘शब्द वापसी’ के लिए हस्ताक्षर अभियान चलाया एवं पीएम को डीएनए नमूना भेजा.
आपको बता दें कि बीते 25 जुलाई को बिहार के मुजफ्फरपुर में आयोजित एनडीए की परिवर्तन रैली को संबोधित पीएम नरेंद्र मोदी ने कहा था कि लालू आज जहर पी रहे हैं. मैंने तो तब ही जहर पीया था. राजनीति में इतनी छुआछूत कि कोई भोजन पर बुलाकर थाली छीन ले. मन में बहुत चोट लगी थी, लेकिन चुप रह गया, लेकिन मांझी पर चोट हुआ, एक महादलित का अपमान हुआ तो लगा कि नीतीश के डीएनए में ही कोई गड़बड़ी है.
पीएम मोदी के इस बयान के बाद उसी दिन नीतीश कुमार ने पीएम पर बिहार की जनता का अपमान करने का आरोप लगाते हुए उनसे इस शब्द को वापस लेने की मांग की. बाद में प्रधानमंत्री को पत्र लिखकर आग्रह किया था कि वह अपने शब्द वापस लें. लेकिन ऐसा कुछ नहीं हुआ.