छह विधानसभा चुनाव के बाद इस बार बदल गये प्रतिद्वंद्वी

बांका विधानसभा सीट पर पिछले 25 वर्ष में जब भी चुनाव हुआ तब बदलाव हुआ. 1990 से 95 तक राम नारायण मंडल विधायक थे. 1995 से 2000 तक जनता पार्टी के डॉ जावेद इकबाल अंसारी ने क्षेत्र का प्रतिनिधित्व किया. तभी से प्रतिनिधियों के बदलाव का सिलसिला चल रह है. लेकिन, पिछले छह चुनाव में […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | September 24, 2015 6:09 AM
बांका विधानसभा सीट पर पिछले 25 वर्ष में जब भी चुनाव हुआ तब बदलाव हुआ. 1990 से 95 तक राम नारायण मंडल विधायक थे. 1995 से 2000 तक जनता पार्टी के डॉ जावेद इकबाल अंसारी ने क्षेत्र का प्रतिनिधित्व किया. तभी से प्रतिनिधियों के बदलाव का सिलसिला चल रह है.
लेकिन, पिछले छह चुनाव में प्रतिद्वंदी एक ही रहे हैं. हर बार मुकाबले में भाजपा की ओर से रामनारायण मंडल और राजद की तरफ से जावेद इकबाल अंसारी चुनाव मैदान में रहे. हालांकि इस बार परिस्थितियां बदली हुई हैं. अंसारी इस बार चुनाव मैदान में नहीं हैं. जदयू में जाने के बाद उन्होंने विधानसभा से इस्तीफा दे दिया था. पार्टी ने उन्हें विधान परिषद में भेज दिया. इसके बाद उपचुनाव में भाजपा की जीत हुई. अभी यह सीट बंटवारे में राजद के कोटे में आ गयी है और राजद ने जफरुल होदा को इस बार चुनाव मैदान में उतारा है.
विधायक ने बदल लिया था पाला
2010 में भाजपा के राम नारायण मंडल को राजद के डॉ जावेद इकबाल अंसारी ने हराया था. लेकिन जब एनडीए में टूट हुई तो उस वक्त जदयू सरकार को बचाने के लिए डॉ अंसारी ने इस्तीफा देकर जदयू का दामन थाम लिया था. बाद में वह जदयू से एमएलसी बन कर पर्यटन मंत्री बने.
सामाजिक समीकरण पर नजर
सामाजिक समीकरण की बात करें तो इस विधानसभा में दोनों गठबंधनों के अपने अपने दावे हैं. बांका विधानसभा में दो प्रखंड हैं. इसमें बाका और बाराहट प्रखंड शामिल है. इस सीट पर अल्पसंख्यक व यादव मतदाता की संख्या अच्छी खासी है.
(इनपुट : प्रियरंजन, बांका)
बांका को नहीं मिली जाम से मुक्ति
बांका विधानसभा में जाम की समस्या आम हो गयी है. बांका बाजार हो या बाराहाट बाजार, मुख्य सड़क हो या फिर बाजार की गलियां सभी जगहों पर लगातार जाम की समस्या बनी रहती है. पुलिस जाम की समस्या को हटाने के लिए लगातार प्रयास करते रहती है, लेकिन फिर भी जाम लगना आम बात है.
बाजार में खास कर सड़कें को चौड़ी करना सबसे जरूरी है, जो प्रशासन के लिए टेढ़ी खीर है. सड़कों का अतिक्रमण कर लिये जाने के कारण भी जाम लगना आम बात है. अतिक्रमण नहीं हटने के कारण लोगों को हर दिन जाम की समस्या से जूझना पड़ता है. वहीं दूसरी ओर बांका से दूसरे जिलों को जोड़नेवाली सड़क का तो और भी बुरा हाल है.चुनाव में 2,27,809 वोटर जनप्रतिनिधि का चुनाव करेंगे. करीब 1,20,211 पुरु ष और करीब 1,07,597 महिला वोटर हैं.
अनुमंडल अस्पताल नहीं हुआ चालू
बांका विधानसभा क्षेत्र में गली-मुहल्लों की सड़कें तो बनी हैं, लेकिन मुख्य सड़कों की स्थिति काफी खराब है. अनुमंडल अस्पताल अब तक चालू नहीं हुआ है. इस अस्पताल को शुरू करने की मांग स्थानीय लोग बहुत पहले से करते आ रहे हैं. बाराहाट प्रखंड में भी कई कार्य अब तक पूरे नहीं हुए है. स्थानीय लोग यहां लंबे समय से अच्छे महाविद्यालय की मांग करते रहे हैं जो अभी तक पूरी नहीं हुई है.
पीने का पानी भी सभी की पहुंच से बाहर है. बिजली की स्थिति में सुधार हुआ है. जिस गांव में पिछले 25 से 30 साल तक बिजली नहीं थी वहां बिजली पहुंच गयी है. बांका महेशाडीह सड़क के निर्माण की प्रक्रिया पूरी की गयी. विजय नगर सहित अन्य मुहल्ले में नाले का निर्माणकराया गया.

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