पटना : संघ प्रमुख मोहन भागवत का बयान अब बिहार चुनाव में एक सियासी मुद्दा बन गया है, जिसका फायदा उठाने में महागंठबंधन पीछे नहीं हटना चाहता है. यही कारण है कि जिस तरह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के डीएनए वाले बयान को बिहार के स्वाभिमान से जोड़ दिया गया था, उसी तरह मोहन भागवत के बयान का भी महागंठबंधन फायदा उठाने में जुटा है.
बिहार में टाइम्स नाऊ सी वोटर सर्वे में बीजेपी और उसकी सहयोगी पार्टियों को बढ़त मिलती दिख रही है. ऐसे में महागंठबंधन भागवत के बयान से फायदा उठाने की कोशिश में है. टाइम्स नाऊ सी वोटर सर्वे में स्पष्ट हुआ है कि एनडीए और एलाएंस की ये स्थिति मात्र दो सप्ताह के अंदर हो गयी है. एनडीए की इस बढ़त को राजनीतिक जानकार सही मानते हुए इसके लिए महागंठबंधन को जिम्मेवार मानते हैं. महागंठबंधन ने डीएनए और नरेंद्र मोदी के पैकेज के साथ पूरे बिहारी स्वाभिमान को लेकर एक अभियान चलाया था. लेकिन इन अभियानों का असर जदयू और उसके एलांएस पार्टियों को फायदे के रूप में मिलता नहीं दिख रहा है.
यही कारण है कि महागंठबंधन अब संघ प्रमुख मोहन भागवत के आरक्षण वाले बयान को तूल देने के चक्कर में है. हालांकि संघ और बीजेपी ने मोहन भागवत के बयान पर सफाई दी, लेकिन आरक्षण ऐसा मुद्दा है, जिसपर सफाई से बात नहीं बनती है.
अब इस मुद्दे को महागंठबंधन नये तरीके से हवा देने के फिराक में है. महागंठबंधन को लगता है कि आने वाले दिनों में भागवत के इस बयान को जितना ज्यादा उछाला जाएगा गरीबों का वोट उन्हें और उनकी सहयोगी पार्टियों को ज्यादा मिलेगा. बिहार विधानसभा के इस चुनाव में जाति,पिछड़ा,अति पिछड़ा और दलितों का मुद्दा पूरे परवान पर है. लालू अपने भाषणों में हमेशा दबे-कुचलों की बात करके अपने पुराने रौ में दिखने की कोशिश कर रहे हैं. नीतीश कुमार भी भाजपा और संघ को आरक्षण के मुद्दे पर बेनकाब करना चाहते हैं.
वहीं दूसरी ओर बीजेपी को भी यह लगता है कि भागवत का बयान कहीं मामले को बिगाड़ न दे. इसलिए बीजेपी भी फूंक-फूंक कर कदम उठा रही है.