कल तक गरजते थे आज गुमनाम हो गये
निर्भय पटना : बिहार विधानसभा चुनाव में इस बार राजनीति के कई धुरंधर चेहरे गुमनाम हो गये हैं. लोकसभा चुनाव में जदयू के पक्ष में अति पिछड़ी जाति के मतदाताओं से वोट मांग रहे पूर्व मंत्री डॉ भीम सिंह, पूर्व सांसद शिवानंद तिवारी, पूर्व मंत्री चंद्रमोहन राय, भीम सिंह, परवीन अमानुल्लाह समेत विभिन्न दलों में […]
निर्भय
पटना : बिहार विधानसभा चुनाव में इस बार राजनीति के कई धुरंधर चेहरे गुमनाम हो गये हैं. लोकसभा चुनाव में जदयू के पक्ष में अति पिछड़ी जाति के मतदाताओं से वोट मांग रहे पूर्व मंत्री डॉ भीम सिंह, पूर्व सांसद शिवानंद तिवारी, पूर्व मंत्री चंद्रमोहन राय, भीम सिंह, परवीन अमानुल्लाह समेत विभिन्न दलों में कई ऐसे नेता हैं, जो चुनावी मैदान में नजर नहीं आयेंगे.
शिवानंद सक्रिय राजनीति से अलग हैं और वे एक दर्शक के रूप में इस बार के विधानसभा चुनाव को देख रहे हैं. शिवानंद के बेटे राहुल तिवारी को राजद ने शाहपुर से टिकट दिया है, लेकिन वे उनके लिए प्रचार नहीं करेंगे.
चंद्रमोहन राय ने चुनाव नहीं लड़ने का फैसला पहले ही ले लिया था, लेकिन भाजपा से बेटे को टिकट नहीं मिलने के बाद उन्होंने भी पार्टी से इस्तीफा दे दिया है. कुछ ऐसी ही स्थिति डा. भीम सिंह और परवीन अमानुल्लाह के साथ भी है.
परवीन आम आदमी पार्टी (आप) में हैं और आप का निर्णय है कि वह बिहार में चुनाव नहीं लड़ेगी. इस वजह से वह इस बार के चुनाव से कट गयी हैं, जबकि 2010 में उन्होंने जदयू के टिकट पर साहेबपुर कमाल से चुनाव जीता था. डॉ. भीम सिंहह भी छह महीने से वे सक्रिय राजनीति से दूर हैं.
दर्शक की भूमिका में हैं शिवानंद तिवारी
बिहार की राजनीति में 1965 से ही सक्रिय पूर्व सांसद शिवानंद तिवारी इन दिनों किसी दल में नहीं हैं. लोकसभा चुनाव में उन्होंने भाजपा के टिकट का ऑफर ठुकराया था. वे राजद के टिकट पर लोकसभा चुनाव लड़ना चाहते थे, लेकिन नहीं मिल सका था. इसके बाद वह किसी दूसरी पार्टी में नहीं गये.
उन्होंने कहा कि राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार बड़े लोग हैं. अभी उन लोगों का दौर है. हमें किनारे कर दिया गया. हम भी किनारे में बैठ कर तमाशा देख रहे हैं. इस बार के चुनाव में कुछ नहीं कहा जा सकता है. जिनका संगठन ज्यादा मजबूत होगा वो चुनाव में सफल होगा.
सक्रिय राजनीति से अलग हुए चंद्रमोहन राय
पूर्व मंत्री और भाजपा के कद्दावर नेताओं में से एक चंद्रमोहन राय भी सक्रिय राजनीति से अलग हो गये हैं.उन्होंने विधानसभा चुनाव नहीं लड़ने की घोषणा पहले ही कर दी थी, लेकिन उन्हें उम्मीद थी कि उनके बेटे को उनकी सीट (चनपटिया) से पार्टी टिकट देगी, लेकिन पार्टी ने दूसरे प्रत्याशी खड़ा कर दिया. चंद्रमोहन राय को यह नागवार गुजरा. टिकट वितरण के बाद उन्होंने भाजपा से इस्तीफा भी दे दिया. उन्होंने कहा कि उनकी सीट से उनके बेटे को ना सही अगर भाजपा के किसी कार्यकर्ता को ही टिकट दिया जाता तो उन्हें कोई आपत्ति नहीं थी, लेकिन ऐसा नहीं किया गया.
एनडीए का प्रचार करेंगे भीम सिंह
पूर्व मंत्री डा. भीम सिंह फरवरी के बाद से सक्रिय राजनीति में कट से गये हैं. फरवरी में जीतन राम मांझी की सरकार के इस्तीफे के बाद से वे सक्रिय राजनीति से अलग से हो गये थे. मांझी खेमे में होने के कारण उन्हें नीतीश कुमार के नेतृत्व में बनी सरकार में मंत्री पद से भी हाथ धोना पड़ा. उन्होंने साफ कर दिया है कि वह हम और एनडीए के पक्ष में प्रचार करेंगे.