रालोसपा में 23 में से 12 पहली बार चुनाव लड़ने वाले प्रत्याशी
पटना : विधानसभा चुनाव में पहलीवार भाग्य आजमा रही रालोसपा एनडीए गंठबंधन से मिली हिस्से की अधिकतर सीटों पर ऐसे युवाओं को चुनाव मैदान में उतारा है, जो पहली बार चुनाव मैदान में हैं. सिर्फ एक पूर्व सांसद भूदेव चौधरी और और पूर्व विधायक ललन पासवान अनुभव वाले नेता चुनाव लड़ रहे हैं. रालोसपा को […]
पटना : विधानसभा चुनाव में पहलीवार भाग्य आजमा रही रालोसपा एनडीए गंठबंधन से मिली हिस्से की अधिकतर सीटों पर ऐसे युवाओं को चुनाव मैदान में उतारा है, जो पहली बार चुनाव मैदान में हैं.
सिर्फ एक पूर्व सांसद भूदेव चौधरी और और पूर्व विधायक ललन पासवान अनुभव वाले नेता चुनाव लड़ रहे हैं. रालोसपा को 243 विधासभा सीटवाली बिहार विधानसभा के चुनाव में कुल 23 सीटें मिली है़ं इसमें पार्टी 12 युवा चेहरा का मैदान में उतारा है़ इन 12 उम्मीदवारों को पहली बार चुनाव लड़ रहे हैं. इसमें जगदीशपुर से संजय मेहता, महिषी से चंदन बागची, धमदाहा से शंकर झा आजाद, नवादा से इंद्रदेव कुशवाहा, जहानाबाद से प्रवीण कुमार, सुलतानगंज से हिमांशु पटेल, उजियारपुर से अनंत कुशवाहा, वाल्मीकिनगर से सुरेंद्र सिंह, रुन्नीसैदपुर से पंकज मिश्रा, हसनपुर से विनोद चौधरी निषाद, बरबीघा से शिव कुमार शर्मा, नरकटिया से संत सिंह कुशवाहा पहली वर चुनाव लड़ रहे हैं.
बिस्फी से चुनाव लड़ रहे मनोज कुमार यादव पूर्व में जदयू से चुनाव लड़ रहे हैं. डुमरांव से चुनाव लड़ रहे राम बिहार सिंह पूर्व में राजद-जदयू से चुनाव लड़ रहे हैं. हरलाखी से चुनाव मैदान मे आये बसंत कुशवहा, बायसी से अजीजुर्र रहमान, कुर्था से चुनाव मैदान में आये अशोक वर्मा पूर्व में निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में चुनाव लड़ चुके हैं.
पार्टी नेताओं का कहना है कि उपेंद्र कुशवाहा इस चुनाव को एक रणनीति केतहत संगठन विस्तार के लिए उपयोग कर रहे हैं. लोकसभा चुनाव के पूर्व से अब तक जिसने पार्टी के लिए मेहनत किया है, उसे ही टिकट देकर कुशवाहा ने यह संदेश देने की कोशिश की है कि उनकी पार्टी में कार्यकर्ताओं को ही जगह मिलेगी़ बाहर से आनेवालों के लिए कोई स्थान नहीं है़ कुशवाहा की इस रणनीति से राजनीति करने वालों में रालोसपा के प्रति आकर्षण बढ़ने की उम्मीद की जा रही है़
इसलिए ही वे युवा और कभी चुनाव नहीं लड़नेवाले कार्यकर्ता को चुनाव मैदान में उतारने का निर्णय लिया़
अब तो आने वाला वक्त ही बतायेगा कि कुशवाहा की रणनीति उनकी पार्टी के लिए कितना लाभदायक साबित होता है़