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बिहार चुनाव : नारों के शोर पर भारी सन्नाटा

बृजेंद्र दुबे चुनाव की तारीख करीब आती जा रही है, लेकिन माहौल में चुनाव को लेकर कोई गहमागहमी नहीं है. सड़कों पर अपने नेता के पक्ष में नारेबाजी करती भीड़ भी कहीं नहीं दिखती. हां, वाहनों की चेकिंग व बाइक पर सवार सफेद कपड़े पहने युवकों-कार्यकर्ताओं के जोश को देख यह जरूर लगने लगा है […]

बृजेंद्र दुबे

चुनाव की तारीख करीब आती जा रही है, लेकिन माहौल में चुनाव को लेकर कोई गहमागहमी नहीं है. सड़कों पर अपने नेता के पक्ष में नारेबाजी करती भीड़ भी कहीं नहीं दिखती. हां, वाहनों की चेकिंग व बाइक पर सवार सफेद कपड़े पहने युवकों-कार्यकर्ताओं के जोश को देख यह जरूर लगने लगा है कि बिहार की चुनावी जंग का खुमार सीमावर्ती जमुई, लखीसराय और मुंगेर पर भी चढ़ने लगा है. योद्धा मैदान में उतर चुके हैं. सब तरफ समर्थकों में रणनीति बनाने की होड़ है तो अपनों से बिछड़े (बागियों) साथियों को अपनी ओर खींचने की भी कोशिश लगातार जारी है. हर दल के स्टार प्रचारकों का दौरा भी शुरू होने वाला है.

अब मतदाताओं को प्रत्याशियों के वाकयुद्ध के साथ-साथ उनकी वाकपटुता की कला से कुछ दिनों तक दो-चार होना पड़ेगा. मुंगेर, लखीसराय, जमुई जिलों की नौ विधानसभा सीटों पर मतदान पहले चरण यानी आगामी 12 अक्तूबर को ही होना है. तीनों जिले घोर नक्सल प्रभावित हैं. यहां तक कि इन इलाकों को नक्सलियों का चंबल भी कहा जाता है. यहां पर कई दिग्गजों की प्रतिष्ठा भी दावं पर है. मंत्री दामोदर रावत झाझा से मैदान में हैं तो हम के प्रदेश अध्यक्ष शकुनी चौधरी एक बार फिर तारापुर सीट से चुनावी अखाड़े में ताल ठोंक रहे हैं. नरेंद्र सिंह तो मैदान में नहीं हैं लेकिन उनके दोनों पुत्र मैदान में हैं.

उनकी प्रतिष्ठा इसलिए भी दावं पर है क्योंकि गंठबंधन होने के बाद भी उनके एक पुत्र चकाई के विधायक सुमित निर्दलीय चुनाव मैदान में हैं. इसके साथ ही जमुई के सांसद चिराग पासवान, मुंगेर की वीणा देवी की प्रतिष्ठा भी जुड़ी है. मुंगेर, लखीसराय हो या जमुई जिले की सीटें. हर जगह बागी अपने ही दलों के लिए मुसीबत बन गये हैं. गंठबंधन हो या महागंठबंधन, हर जगह तसवीर एक ही है. कुछ खुल कर सामने आ गये हैं तो अंदर ही अंदर विरोध में जुटे हैं. कुछ सीटों पर तो नजारा और भी अलग है. नये उम्मीदवार को उनकी ही पार्टी के कार्यकर्ता पचा नहीं पा रहे हैं. डैमेज कंट्रोल का प्रयास भी विफल होता दिख रहा है.

हम या लोजपा भारी, होगी परीक्षा

जमुई जिले की चारों सीटों पर मुकाबला दिलचस्प होगा. लोकसभा चुनाव में एनडीए को मिली कामयाबी से इस खेमे में उत्साह तो है, पर बागियों के मैदान में आ जाने से परेशानी भी कम नहीं है.जिले की राजनीति के केंद्र बिंदु नरेंद्र सिंह व जयप्रकाश यादव रहे हैं. इस बार चिराग पासवान भी केंद्र में हैं. तीनों नेताओं की परीक्षा यहां होनी है. नरेंद्र सिंह के दो पुत्र मैदान में हैं, तो जयप्रकाश के भाई.जमुई की चार सीटों में दो चकाई और सिंकदरा में एनडीए की ओर से लोजपा प्रत्याशी हैं तो दो जमुई व झाझा सीट से भाजपा प्रत्याशी. जमुई सीट को लेकर तो लोजपा मान गयी लेकिन चकाई में बात नहीं बनी. भाजपा ने सुमित को दूसरी जगह से लड़ने का ऑफर भी दिया लेकिन निवर्तमान विधायक सुमित सिंह ने निर्दलीय परचा भरा. ऐसे में यहां का मुकाबला दिलचस्प हो गया है. फिलहाल यहां भी हर सीट पर बागी मैदान में उतरे हैं. यही कारण है कि हर कोई बेचैन है. सिकंदरा में लोजपा के टिकट के दो दावेदार थे. सुभाष चंद्र बोस व रविशंकर पासवान. सुभाष को टिकट मिला तो रविशंकर निर्दलीय मैदान में आ गये. जमुई सीट पर भी अजय को टिकट मिला तो विकास सिंह बागी हो गये. राजद से विजय प्रकाश को मिला तो रविंद मंडल ताल ठोंकने लगे. चकाई सीट पर भाजपा के विधायक रहे स्व फाल्गुनी यादव की पत्नी सावित्री देवी इस बार राजद के टिकट पर मैदान में हैं. झाझा में पिछले चार बार से दामोदर राव जीतते रहे हैं. इस बार यहां से भाजपा ने पूर्व विधायक रवींद यादव को मैदान में उतारा है. यहां भी मुकाबला कांटे का हो गया है.

दोनों सीटों पर होगा तिकोना संघर्ष

लखीसराय जिले की दोनों सीटों पर भी इस बार मुकाबला दिलचस्प हो गया है. भाजपा का यहां की दोनों सीटों पर कब्जा बरकरार रखने की चुनौती है. लखीसराय सीट से भाजपा के टिकट पर एक बार फिर विजय सिन्हा मैदान में हैं तो महागंठबंधन में यह सीट जदयू के खाते में चली गयी है. जदयू ने रामानंद मंडल को प्रत्याशी बनाया है. भाजपा के टिकट के दावेदार सुजीत निर्दलीय मैदान में आ गये हैं. फुलेना राजद के टिकट के दावेदार थे. वह इस बार मैदान में नहीं हैं. फिलहाल वे खुल कर सामने नहीं आये हैं. सूर्यगढ़ा सीट से महागंठबंधन से राष्ट्रीय जनता दल के टिकट पर पूर्व विधायक प्रह्लाद यादव हैं तो एनडीए में भारतीय जनता पार्टी के टिकट पर प्रेमरंजन पटेल. सीपीआइ के प्रमोद शर्मा यहां लड़ाई को तिकोना बनाने में जुटे हैं. पूर्व विधायक प्रह्लाद की पत्नी सुदामा देवी जिप अध्यक्ष हैं.

अपनों का ही खेल बिगाड़ेंगे निर्दलीय

मुंगेर जिले की तीन विधानसभा क्षेत्रों में भी मुकाबला दिलचस्प हो गया है. आमने-सामने की टक्कर में बागी और निर्दलीय यहां किसी का भी खेल बिगाड़ने में सक्षम हैं. मुंगेर विस सीट से एनडीए से भाजपा के प्रणव कुमार तो महागंठबंधन से राजद के विजय कुमार विजय मैदान में हैं. सुबोध वर्मा हिंदुस्तानी अवाम मोरचा के जिला संयोजक थे और एनडीए के टिकट के प्रबल दावेदार थे. किंतु यह सीट भाजपा के खाते में गयी और पार्टी ने प्रणव कुमार को उम्मीदवार बनाया. फलत: सुबोध वर्मा बागी उम्मीदवार के रूप में मैदान में उतरे हैं. जमालपुर विधानसभा सीट पर महागठबंधन की ओर से शैलेश कुमार के सामने लोजपा ने हिमांशु कुंवर को उतारा है. शैलेश फिर जीत का दावा कर रहे हैं तो हिमांशु उनके जीत के रथ को इस बार रोकने का दवा कर रहे हैं. मुंगेर सांसद वीणा देवी का विरोध उस समय थमा जब लोजपा प्रत्याशी हिमांशु यहां से उम्मीदवार बने. ऐसे में सूरजभान की प्रतिष्ठा भी इस जुड़ी है. वहीं बागी के रूप में राजद के जिला उपाध्यक्ष पद से इस्तीफा देकर संजय कुमार सिंह शिवसेना से व कांग्रेस के जिला उपाध्यक्ष पद से इस्तीफा देकर संजय सिंह यादव निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में उतर गये हैं. इस सीट से सपा के पप्पू यादव, बसपा के कपिलदेव दास आदि शामिल हैं. तारापुर विधानसभा क्षेत्र से यूं तो कुल 15 उम्मीदवार ने नामांकन किया था. किंतु संवीक्षा में एक उम्मीदवार का नामांकन रद्द हो गया. हम के प्रदेश संयोजक शकुनी चौधरी, जदयू के डॉ मेवालाल चौधरी, शिवसेना के गोपाल कृष्ण वर्मा, सीपीआइ के सागर कुमार सिंह शामिल हैं. यहां से कांग्रेस के संजय कुमार बागी प्रत्याशी के रूप में झामुमो से नामांकन किया है.

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