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दियारे में नहीं चलती पुलिस की

पटना: दानापुर से लेकर पटना सिटी तक के दियारे में पुलिस का जोर नहीं चलता है. अगर किसी प्रकार की घटना हो जाती है, तो पुलिस को वहां पहुंचने में कम-से-कम चार घंटे से अधिक का समय लग जाता है. दियारे में न तो गश्ती की व्यवस्था है और न ही वहां कोई पुलिस चौकी […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | September 30, 2015 7:18 AM
पटना: दानापुर से लेकर पटना सिटी तक के दियारे में पुलिस का जोर नहीं चलता है. अगर किसी प्रकार की घटना हो जाती है, तो पुलिस को वहां पहुंचने में कम-से-कम चार घंटे से अधिक का समय लग जाता है. दियारे में न तो गश्ती की व्यवस्था है और न ही वहां कोई पुलिस चौकी है. नतीजतन दियारे में आसानी से अपराधी घटना को अंजाम देकर निकल जाते हैं.

दियारे का आधा हिस्सा हाजीपुर व सारण जिलों में भी पड़ता है. इसके कारण इन जिलों की पुलिस के बीच सीमा विवाद में भी देरी होती है. पटना जिले के दियारा इलाकों के मामले दानापुर, दीघा, पाटलिपुत्र, बुद्धा कॉलोनी, पीरबहोर, सुल्तानगंज आदि थानों में दर्ज किये जाते हैं. ये सभी थाने पटना शहर में है और घटना की जानकारी मिलने पर पुलिस नाव की मदद से गंगा के उस पार जाते हैं और फिर पुलिस की कार्रवाई शुरू होती है.


दियारा में बालू व जमीन को लेकर वर्चस्व में गोलीबारी की घटना होती है और हत्या तक हो जाती है. इन इलाकों में पुलिस का प्रभाव नहीं होने के कारण अपराधी आसानी से हथियार चमकाते हैं और चोरी के वाहनों का इस्तेमाल करते हैं.
हथियारों के साये में कटती है फसल
दानापुर, कुर्जी, मैनपुरा, पहलवान घाट, दुजरा आदि के निवासी जहां गंगा के किनारे की जमीन को अपना मानते हैं, वहीं दियारा के लोग उसे अपनी जमीन होने का दावा करते हैं. वर्चस्व की लड़ाई में जो भारी पड़ता है, वह हथियारों के साये में उस जमीन पर खेती कराता है. हथियार के बल पर ही फसल को काटना भी पड़ता है. गंगा नदी से बालू की निकासी भी होती है, जिसके कारण कई गिरोह बन जाते हैं, जो बालू निकालने के लिए घाट पर हथियार के बल पर कब्जा करते हैं.

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