नयी दिल्ली : बिहार विधानसभा चुनाव को लेकर सियासी घमसान जारी है. और उसमें अब खुलकर जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष शरद यादव भी शामिल हो गए हैं. शरद यादव ने एनडीए और आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत पर निशाना साधते हुए कहा कि जब तक देश में जाति व्यवस्था कायम है, मौजूदा आरक्षण नीति की कोई समीक्षा नहीं कर सकता और न ही उसे हटा सकता है. इसके साथ ही जदयू ने एनडीए सरकार को जाति व्यवस्था हटाने पर चर्चा के लिए संसद का विशेष सत्र बुलाने की चुनौती दे डाली.
मंडल के विरोध में कमंडल बीजेपी ने निकाला
पार्टी अध्यक्ष शरद यादव ने भाजपा के आरक्षण नीति की समीक्षा के संबंध में भागवत की टिप्पणी से खुद को अलग करने के प्रयासों को खारिज कर दिया और याद दिलाया कि भगवा दल ने 1990 में मंडल के विरोध में कमंडल निकाला था. शरद यादव ने कहा कि जब मंडल रिपोर्ट लागू हुयी तो बीजेपी ने कमंडल निकाला. वीपी सिंह की सरकार ने नौकरियों और शिक्षा में ओबीसी के लिए 27 प्रतिशत आरक्षण मुहैया कराने वाली मंडल आयोग रिपोर्ट को लागू किए जाने की घोषणा के तुरंत बाद पार्टी ने राम मंदिर मुद्दे पर रथयात्रा निकाली. शरद यादव ने संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा कि यह कुछ नहीं बल्कि आरक्षण का विरोध करने का ढका छिपा प्रयास था. अब वे राजनीतिक वजहों से भागवत के बयान से अपने को अलग कर रहे हैं. लेकिन आरक्षण का विरोध भाजपा का इतिहास रहा है.
लालू ने नहीं पहले मोदी ने कहा
शरद यादव ने बिहार चुनाव प्रचार के दौरान लालू प्रसाद की जातिवादी टिपप्णी की आलोचना को खारिज करते हुए कहा कि सबसे पहले मोदी ने एक चुनावी सभा में यदुवंशी के बारे में बात कही थी लेकिन उस समय इसे किसी ने नहीं उठाया. यादव ने कहा कि यह भागवत थे जिन्होंने आरक्षण की समीक्षा की बात की, जिसके बारे में पिछले 68 साल से शीर्ष राजनीतिक दलों के नेताओं ने भी नहीं सोचा. उन्होंने आग में घी डालने का प्रयास किया. यहां तक की प्रधानमंत्री ने 25 जुलाई को मुजफ्फरपुर में अपनी पहली रैली में कहा कि पूर्ववर्ती सरकारों द्वारा राज्य में यदुवंशियों को जहर दिया गया है. शरद यादव ने कहा कि पीएम ने यह भी कहा था कि वह भगवान श्रीकृष्ण के भक्त हैं और यदुवंशियों के कदमों का अनुसरण करते हैं. लेकिन उस समय कुछ विवाद नहीं हुआ.
अब जब लालू यदुवंशियों की बात करते हैं तो विवाद पैदा किया जा रहा है. बिहार चुनाव में भाजपा ने जाति पर बहस शुरु की थी. उन्होंने कहा कि मंडल आयोग की रिपोर्ट के लागू होने के बाद 1991 में ही इस मुद्दे का निपटारा हो गया और इसे फिर से उठाने की कोई आवश्यक्ता नहीं थी. जदयू प्रमुख ने जोर दिया कि उनकी पार्टी के लिए विकास चुनावी मुद्दा है लेकिन उन्होंने इसका सीधा जवाब नहीं दिया कि क्या उनकी पार्टी राजद प्रमुख की टिप्पणी से असहमत है कि बिहार का चुनाव अगड़ों और पिछड़ों के बीच मुकाबला है. उन्होंने कहा कि लालू ने भागवत के बयान के संबंध में टिप्पणी की थी.
इस बार हम एकजुट हैं
यादव ने कहा कि आरक्षण का मुद्दा एक संवेदनशील मुद्दा है और भागवत के बयान के बाद आरक्षित वर्गों के लोगों में बेचैनी है. उन्होंने कहा कि जाति एक वास्तविकता है. यह कहना दिखावा है कि कोई जाति नहीं है जब राजनीतिक दलों द्वारा खास जातियों का प्रतिनिधित्व सुनिश्चित करने के लिए टिकटों का वितरण किया जाता है. उन्होंने आरोप लगाया कि देश के गरीबों की भावनाओं को भडकाने के लिए भाजपा आरक्षण के सुलझे हुए मुद्दे को उठाने से अपने को नहीं रोक सकी. उन्होंने कहा कि जबतक भाजपा आरक्षण नीति पर चर्चा को नहीं रोकती अन्य जातियां आरक्षण के लिए आंदोलन करती रहेंगी, खासकर हर चुनाव के पहले.
आरक्षण की मांग की तुलना बेरोजगारी से करते हुए यादव ने मोदी पर लोकसभा चुनावों के दौरान हर साल दो करोड युवाओं को रोजगार देने का अपना वादा पूरा नहीं करने का आरोप लगाया. उन्होंने कहा कि लोकसभा चुनावों में हम विभाजित थे, जिससे भाजपा को फायदा हुआ. अब हम एकसाथ हैं और मोदी को भारी हार का सामना करना पडेगा. हमारे मतदाता इस बार एकजुट हैं.
यादव ने दादरी में कथित तौर पर गोमांस खाने को लेकर भीड द्वारा एक व्यक्ति की पीट पीट कर हत्या को भयानक स्थिति बताया. उन्होंने कहा कि जब से यह सरकार :राजग: सत्ता में आयी है, ऐसी घटनाएं हो रही हैं. उन्होंने कहा कि ऐसी घटना की निंदा की जानी चाहिए.