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साहित्य सम्मेलन का विवाद बढ़ा

पटना: बिहार हिंदी साहित्य सम्मेलन के एक पक्ष से निर्वाचित अध्यक्ष अजय सिंह ने कहा कि स्थायी कार्यसमिति ने उन्हें निर्विरोध अध्यक्ष चुना है. मनोनीत निर्वाचन अधिकारी डॉ सुधाकर प्रसाद सिंह ने नियमावली की धारा 35 के तहत संपूर्ण चुनावी प्रक्रिया के बाद पांच सितंबर को स्थायी कार्यसमिति की बैठक में मेरे निर्विरोध निर्वाचन की […]

पटना: बिहार हिंदी साहित्य सम्मेलन के एक पक्ष से निर्वाचित अध्यक्ष अजय सिंह ने कहा कि स्थायी कार्यसमिति ने उन्हें निर्विरोध अध्यक्ष चुना है. मनोनीत निर्वाचन अधिकारी डॉ सुधाकर प्रसाद सिंह ने नियमावली की धारा 35 के तहत संपूर्ण चुनावी प्रक्रिया के बाद पांच सितंबर को स्थायी कार्यसमिति की बैठक में मेरे निर्विरोध निर्वाचन की घोषणा की थी.

17 सितंबर को कार्यसमिति के सदस्यों के समक्ष कार्यभार संभाला. अनिल सुलभ अब अध्यक्ष नहीं हैं. साहित्य सम्मेलन में धारा 144 लगा होने के बावजूद जाली मतदाता सूची के आधार पर अध्यक्ष पद के लिए चुनाव कराया गया, जो वैध नहीं है. उन्होंने कहा कि मामला अब सरकार व प्रशासन के पास है. वे लोग जो भी निर्णय लेंगे, वह मान्य होगा. मुङो साहित्य सम्मेलन के अध्यक्ष की कुरसी का कोई लालच नहीं है. मैं साहित्यकारों की इज्जत व सम्मान के लिए लड़ाई लड़ रहा हूं.

ये बातें उन्होंने गुरुवार को पटना यूथ हॉस्टल में आयोजित संवाददाता सम्मेलन में कहीं. उन्होंने कहा कि एक जुलाई, 2012 को असंवैधानिक तरीके से घोषित चुनाव परिणाम के तहत अनिल सुलभ निर्वाचित हुए थे. खुद तत्कालीन चुनाव अधिकारी ने उपाध्यक्ष हरिद्वार पांडेय द्वारा प्रेषित पत्रों के जवाब में मतपत्रों को त्रुटिपूर्ण बताया था. कार्यसमिति ने चुनाव की प्रक्रिया को रोक दिया था और प्रस्ताव को स्थायी समिति के पास अग्रसारित किया था. फिर भी चुनाव अधिकारी ने चुनाव कराया और मतों की गिनती उसी दिन कर दी.

उस समय अध्यक्ष पद के दूसरे प्रत्याशी डॉ राम विनोद सिंह के बेटे का छपरा में बहुभोज हो रहा था. कार्यसमिति एवं प्रधानमंत्री को बिना सूचित किये और दूसरे प्रत्याशी की अनुपस्थिति में तथाकथित लोगों के समक्ष नियमावली की धज्जियां उड़ाते हुए मतगणना हुई और अनिल सुलभ को निर्वाचित घोषित किया गया. इसके विरुद्ध कार्यसमिति के सदस्य विनय कुमार सिंह वरुण ने व्यवहार न्यायालय में एक वाद दायर किया, जो अभी तक लंबित है. अगर उनका निर्वाचन सही भी था, तो वह शेष काल के लिए यानी 22 अप्रैल, 2013 तक के लिए ही था. एक कार्यसमिति पूर्व से ही कार्य कर रही थी, तब फिर समानांतर कार्यसमिति का गठन क्यों किया गया?

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