आरक्षण समर्थकों में प्रधानमंत्री की चुप्पी से बेचैनी : शिवानंद

पटना : पूर्व सांसद शिवानंद तिवारी ने शनिवार को कहा कि बांका की अपनी चुनावी सभा में आरक्षण पर उठे विवाद पर प्रधानंमत्री नरेंद्र मोदी की चुप्पी से आरक्षण समर्थकों की बेचैनी बढ़ गयी है. उन्होंने कहा कि आज चिंता सिर्फ आरक्षण को लेकर ही नहीं है. बल्कि, आज हमारी प्राचीन बहुरंगी संस्कृति पर ही […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | October 4, 2015 4:32 AM
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पटना : पूर्व सांसद शिवानंद तिवारी ने शनिवार को कहा कि बांका की अपनी चुनावी सभा में आरक्षण पर उठे विवाद पर प्रधानंमत्री नरेंद्र मोदी की चुप्पी से आरक्षण समर्थकों की बेचैनी बढ़ गयी है.
उन्होंने कहा कि आज चिंता सिर्फ आरक्षण को लेकर ही नहीं है. बल्कि, आज हमारी प्राचीन बहुरंगी संस्कृति पर ही दिल्ली सरकार की वजह से संकट उपस्थित हो गया है. निश्चित तौर पर बिहार का चुनाव साधारण चुनाव नहीं है. अमित शाह ने कहा है कि आरक्षण जस का तस रहेगा, उसमें कोई परिवर्तन नहीं होगा. लोग यह आश्वासन प्रधानमंत्री के मुंह से सुनना चाहते थे. आरक्षण सिर्फ पिछड़ों का मुद्दा नहीं है. पिछड़ा पावे सौ में
साठ, यह लोहियावादी समाजवादियों का प्रमुख नारा रहा है. इस नारा को रामानंद तिवारी, कपिलदेव सिंह, सभापति सिंह, रामदेव सिंह आदि नेता कर्पूरी ठाकुर तथा अन्य नेताओं के साथ कंधा से कंधा मिलाकर लगाते रहे थे.
समाजवादियों ने इसके लिये लंबी लडाई लड़ी है. लेकिन, मोहन भागवत आरक्षण की व्यवस्था पर विचार की बात करते हैं तो आरक्षण समर्थकों का चिंतित होना स्वाभाविक है. दरअसल वे जिस राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रमुख हैं, वह आरक्षण व्यवस्था में यकीन नहीं करता है.
वर्ण व्यवस्था को वह भारतीय समाज की विशिष्टता मानता है. संघ के नीतिकार गुरु गोलवलकर वर्ण व्यवस्था को सर्वशक्तिमान ईश्वर की चतुरंग अभिव्यक्ति मानते हैं. हमारे प्रधानमंत्री इसी संघ की उपज हैं. सरकार की नकेल संघ के हाथों में है, तो फिर जनता का चिंतित होना स्वाभाविक है.

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