नीतीश के एजेंडे में सुशासन-विकास नहीं : सुशील मोदी

पटना.पूर्व उपमुख्यमंत्री सुशील मोदी ने कहा है कि लालू के 15 साल के कार्यकाल को आतंक राज मानने से इनकार कर नीतीश कुमार ने यह साफ कर दिया है कि अब उनके एजेंडे में सुशासन और विकास नहीं रहा. भाजपा से गंठबंधन टूटने के बाद के 26 महीनों में जिस तरह से बिहार में अपराध […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | October 4, 2015 4:45 AM
पटना.पूर्व उपमुख्यमंत्री सुशील मोदी ने कहा है कि लालू के 15 साल के कार्यकाल को आतंक राज मानने से इनकार कर नीतीश कुमार ने यह साफ कर दिया है कि अब उनके एजेंडे में सुशासन और विकास नहीं रहा. भाजपा से गंठबंधन टूटने के बाद के 26 महीनों में जिस तरह से बिहार में अपराध का ग्राफ बढ़ा है, उससे आम लोगों में भय व दहशत का माहौल है. लालू प्रसाद से नीतीश कुमार के हाथ मिलाने के बाद जंगल राज पार्ट–2 की आहट से आम लोग सहमने लगे हैं.
हत्या, डकैती, लूट व बलात्कार की बढ़ती घटनाओं के बावजूद नीतीश कुमार यह मानने के लिए तैयार नहीं है कि उनका कानून का राज कब का खत्म हो चुका है. भाजपा के सरकार से अलग होने के बाद अपराध नियंत्रण और कानून का राज स्थापित करने को लेकर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के तमाम दावे लफ्फाजी साबित हुए हैं.
प्रदेश में 2005 की तुलना में संज्ञेय अपराधों में 2014 में करीब दोगुना वृद्धि हुई. हत्या की घटनाएं भी 2005 में जहां 3423 थी वहीं में 2013 में बढ़ कर 3441 हो गईं. 2005 में बलात्कार की 973 घटनाएं दर्ज हुई थी जबकि 2013 में 1128 और 2014 में 1127 घटनाएं प्रतिवेदित हुई. सड़क डकैती की घटनाएं भी 2005 की 224 की तुलना में 2014 में बढ़ कर 264 हो गई. नीतीश कुमार बतायें कि अपराध के इन्हीं आंकड़ों के आधार पर अगर 2005 के पहले वाला शासनकाल आतंक राज था तो आज कौन सा राज है.
अनंत सिंह और सुनील पांडे जैसे कुछ चुनिंदा लोगों पर चुनाव के समय कार्रवाई कर पीठ थपथपाने वाले नीतीश कुमार बतायें कि 10 वर्षों तक ये किसके विधायक थे और इन पर कार्रवाई क्यों नहीं हुई.
नीतीश कुमार को यह मान लेना चाहिए कि लालू प्रसाद के साथ रह कर कतई वे कानून का राज कायम नहीं कर सकते हैं. बिहार की जनता को भरमाने की उनकी कोई भी कोशिश सफल नहीं होने वाली है. जनता तय कर चुकी है कि किसी भी कीमत पर वह पुराने दिनों को वापस नहीं आने देने वाली है।

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