नयी दिल्ली : बिहार विधानसभा चुनाव के पहले चरण के मतदान से पहले चुनाव आयोग ने सभी दलों से घोषणापत्र तैयार करते समय दिशानिर्देशों का ठीक ढंग से पालन करने का निर्देश दिया है. साथ ही घोषणापत्र जारी होने के बाद उसकी एक प्रति आयोग को उपल्बध कराने को कहा है. आयोग के मुताबिक राजनीतिक दल या उम्मीदवार अपना घोषणापत्र जारी होने के बाद भारत के चुनाव आयोग या मुख्य चुनाव आयुक्त के कार्यालय में इसकी एक प्रति सौंपें. आयोग की ओर से जारी प्रेस नोट के मुताबिक कोई भी राजनीतिक दल जब भी घोषणापत्र जारी करता है उसकी एक हार्ड और एक साफ्ट कॉपी आयोग को उपल्बध कराए. आयोग के अनुसार अप्रैल में भी इससे संबंधित एक पत्र सभी राष्ट्रीय और राज्य स्तरीय दलों को दिया गया था.
चुनाव आयोग के अधिकारियों का कहना है कि ऐसे आरोप लगाए जाते हैं कि चुनाव के दौरान अक्सर घोषणापत्रों के जरिए मतदाताओं को प्रभावित किया जाता है. इसलिए अच्छा होगा कि संदर्भ देने के मकसद से उसके पास इसकी एक प्रति हो. चुनाव आयोग के बयान में राजनीतिक दलों को याद दिलाया गया है कि उसने जुलाई 2013 में उच्चतम न्यायालय के आदेश के बाद घोषणापत्र के संदर्भ में दिशानिर्देश जारी किया था. शीर्ष अदालत ने एस सुब्रमण्यम बालाजी बनाम तमिलनाडु सरकार एवं अन्य के मामले में सुनवाई करते हुए चुनाव आयोग को निर्देश दिया था कि वह सभी मान्यता प्राप्त राजनीतिक दलों से विचार विमर्श करके चुनाव घोषणापत्र की सामग्री के संदर्भ में दिशानिर्देश तैयार करे.
विचार विमर्श के दौरान कुछ राजनीतिक दलों का ऐसे दिशानिर्देश जारी करने का समर्थन किया था जबकि कुछ अन्य का मत था कि स्वस्थ लोकतांत्रिक राजनीति में ऐसी पेशकश और वादे करना मतदाताओं के प्रति उनका अधिकार और कर्तव्य है. आयोग ने कहा कि आयोग इस बात से सिद्धांत रुप में सहमत है कि चुनाव घोषणापत्र तैयार करना राजनीतिक दलों का अधिकार है, लेकिन वह स्वच्छ एवं निष्पक्ष चुनाव कराने और सभी राजनीतिक दलों एवं उम्मीदवारों को समान अवसर देने के संदर्भ में ऐसे कुछ वादों एवं पेशकश के अवांछित प्रभाव को नजरंदाज नहीं कर सकता है. चुनाव आयोग के दिशानिर्देशों में कहा गया है कि घोषणापत्र के दस्तावेजों में ऐसा कुछ भी नहीं होना चाहिए जो संविधान के आदर्शों एवं सिद्धांतों के खिलाफ हो और आदर्श चुनाव आचार संहिता के प्रावधानों के पूरी तरह से अनुरुप हो.