पटना : कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी का 56 दिन के लिए छुट्टी पर जाना एक बार फिर चर्चा का विषय बना हुआ है. आरएसएस ने इस मामले में राहुल गांधी पर आरोप लगाया है कि राहुल ने छुट्टी में होते हुए भी बिना काम किए 56 दिनों का वेतन और दैनिक भत्ता ले लिया है.
आरएसएस ने यह आरोप अपने मुख्यपत्र आर्गेनाइजर के जरिए लगाया है. रविवार को अर्गेनाइजर के ताजा अंक में एक्सपोज नाम से छपी रिपोर्ट में कहा है गया है कि राहुल ने बिना काम किए वेतन ले लिया. इस रिपोर्ट के साथ पत्र ने आधिकारिक दास्तावेजों का हवाला दिया है. जिससे यह पता चलता है कि राहुल ने छुट्टी के दिनों का वेतन भी ले लिया है.
अर्गेनाइजर के मुताबिक राहुल गांधी 23 फरवरी को बजट सत्र शुरू होने से पहले ही छुट्टी पर चले गए थे. और वह अप्रैल महीने में 16 अप्रैल को लौटे थे. रिपोर्ट में व्यंग्य करते हुए लिखा गया है कि यह एक गांधी होने का भुगतान है. पत्र कहता है कि राहुल गांधी से पूछिए, जो गांधी खानदान के 44 साल के वंशज हैं इसलिए उनका एक पैसा नहीं काटा है. अर्गेनाइजर ने लिखा है कि कांग्रेस उपाध्यक्ष जब छुट्टी पर थे तब संसद चल रही थी और पूरे देश में उनकी गैरहाजिरी को लेकर अटकलें लगायी जा रही थी. सदन में उसी वक्त भूमि विवाद पर बहस चल रही थी.
अर्गेनाइजर ने संसद के नियमावली का हवाला देते हुए लिखा है कि 1954 में बने सांसदों के वेतनमान के नियम में सेक्शन-3 तहत हर सांसद को 50,000 रुपये हर महीने वेतन दिया जाता है. इसके अलावा सदन की कार्रवायी चलने पर हर दिन संसद आने और उसकी बैठकों में हिस्सा लेने पर दो हजार रुपए का भत्ता भी दिया जाता है.
रिपोर्ट के मुताबिक कांग्रेस उपाध्यक्ष की छुट्टी का गवाह पूरा मीडिया है. उनके संसदीय क्षेत्र के लोगों को जानकारी है और रजिस्टर में उनकी अनुपस्थिति के कारण हस्ताक्षर भी नहीं है. बावजूद इसके कांग्रेस नेता को वेतन दिया गया बल्कि भत्ते का भी भुगतान किया गया. आरएसएस के इस पत्र में लिखा गया है कि राहुल गांधी ने न सिर्फ संसंदीय कार्यवाही में भाग नहीं लिया बल्कि अपने संसदीय क्षेत्र के लोगों को भी यह बताना जरूरी नहीं समझा कि वो कहां और कबतक के लिए जा रहे हैं. राहुल को एक सार्वजनिक व्यक्ति होने के नाते उन्हें सरकारी खजाने से भुगतान किया जाता है. इसके बाद भी जनता को यह जानकारी नहीं थी की वह गायब क्यों थे. उन्हें वेतन भत्ता देकर गायब होने का इनाम दिया गया है.