राष्ट्र-भाषा के सच्चे अनुरागी हैं नृपेन्द्र नाथ गुप्त
राष्ट्र-भाषा के सच्चे अनुरागी हैं नृपेन्द्र नाथ गुप्त- साहित्य-मंडल सम्मान से विभूषित होने पर साहित्य सम्मेलन ने किया अभिनंदन पटना. भाषा-भारती के संपादक तथा हिंदी साहित्य सम्मेलन के उपाध्यक्ष नृपेन्द्रनाथ गुप्त का गुरुवार को सम्मेलन सभागार में अभिनंदन किया गया. यह समारोह राजस्थान के श्रीनाथद्वारा में स्थित प्रतिष्ठित संस्था ‘साहित्य-मंडल’ द्वारा उन्हें ‘हिंदी प्रचारक शताब्दी […]
राष्ट्र-भाषा के सच्चे अनुरागी हैं नृपेन्द्र नाथ गुप्त- साहित्य-मंडल सम्मान से विभूषित होने पर साहित्य सम्मेलन ने किया अभिनंदन पटना. भाषा-भारती के संपादक तथा हिंदी साहित्य सम्मेलन के उपाध्यक्ष नृपेन्द्रनाथ गुप्त का गुरुवार को सम्मेलन सभागार में अभिनंदन किया गया. यह समारोह राजस्थान के श्रीनाथद्वारा में स्थित प्रतिष्ठित संस्था ‘साहित्य-मंडल’ द्वारा उन्हें ‘हिंदी प्रचारक शताब्दी सम्मान-2015’ दिये जाने के उपलक्ष्य में आयोजित किया गया था. सम्मान स्वरूप श्री गुप्त को आकर्षक प्रतीक-चिन्ह और प्रशस्ति-पत्र के साथ 11 हजार रुपये की राशि भी प्रदान की गयी थी. अंग-वस्त्रम और पुष्प-हार से सम्मानित करने के पश्चात अपने अध्यक्षीय उद्बोधन में सम्मेलन अध्यक्ष डॉ अनिल सुलभ ने श्री गुप्त को सच्चे अर्थों में राष्ट्रभाषा-प्रहरी बताते हुए कहा कि यह सम्मान उन सबका सम्मान है, जो राष्ट्र-भाषा हिंदी के लिए मन-प्राण से प्रयत्न-शील हैं. हिंदी साहित्य सम्मेलन भी आज अपने को गौरवान्वित अनुभव करता है कि उसके एक उपाध्यक्ष को यह प्रतिष्ठित सम्मान प्राप्त हुआ है. अतिथियों का स्वागत करते हुए सम्मेलन के प्रधानमंत्री आचार्य श्रीरंजन सूरिदेव ने कहा कि गुप्त जी का मूल्य बिहार के बाहर अधिक समझा गया है. वैसे भी यह देखा गया है कि पहले व्यक्ति अन्यत्र सम्मान पाता है, बाद में अपने घर में. किंतु हमें अपने बीच के लोगों का मूल्य भी समझना चाहिए. इस अवसर पर अपना विचार व्यक्त करते हुए, समारोह के उद्घाटन-कर्ता और वरिष्ठ साहित्यकार जियालाल आर्य ने कहा कि गुप्त जी ने यह सम्मान अर्जित कर बिहार का मान बढ़ाया है. विशिष्ठ अतिथि के रूप में उपस्थित युवा साहित्य-सेवी डॉ कुमार अरुणोदय ने बधाई के स्वर में कहा कि बाहर में सम्मानित होने पर व्यक्ति का मस्तक ऊंचा होता है, किंतु घर में सम्मानित होने पर हृदय ऊंचा होता है. सम्मान समारोह में सम्मेलन के उपाध्यक्ष पं शिवदत्त मिश्र, डॉ शंकर प्रसाद, राजीव कुमार सिंह ‘परिमलेन्दु, बलभद्र कल्याण, डॉ मधु वर्मा, डॉ कल्याणी कुसुम सिंह, डॉ नरेश पाण्डेय चकोर, डॉ शांति ओझा, जनार्दन प्रसाद द्विवेदी, डॉ मो सुलेमान, आरपी घायल, डॉ उपेन्द्र राय, डॉ विनय कुमार विष्णुपुरी, पं गणेश झा, कृष्णकांत शर्मा, रवि घोष, डॉ शंकरशरण मधुकर, जगदीश राय, कृष्ण कन्हैया, राज कुमार प्रेमी, केदार प्रसाद सिंह, बच्चा ठाकुर, डॉ मेहता नगेन्द्र सिंह, कमलेन्द्र झा ‘कमल’, अमियनाथ चटर्जी, प्रो सुखित वर्मा, कुमारी स्मृति, विश्वमोहन चौधरी संत, आर प्रवेश, डा कुमार उत्पल, प्रभात धवन, वीणा अम्बष्ठ तथा विष्णु पाण्डेय प्रभाकर ने भी अपनी शुभकामनाएं व्यक्त दी. मंच का संचालन योगेन्द्र प्रसाद मिश्र ने तथा ध्नयवाद-ज्ञापन आचार्य आनंद किशोर शास्त्री ने किया.