पटना : बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से राष्ट्रपति के बयान का सहारा न लेकर दादरी में पीट-पीटकर एक व्यक्ति की हत्या मामले की भर्त्सना करने और उसको लेकर सफाई देने की हिम्मत दिखाने को कहा है. नीतीश ने ट्वीट में आज कहा कि प्रधानमंत्री हिम्मत दिखाये और देश की जनता से सीधे बात करते हुए दादरी में पीट-पीटकर एक व्यक्ति की हत्या मामले की भर्त्सना करें और उसको लेकर सफाई देनी चाहिए. अगर इसको लेकर उनकी अंतरात्मा साफ है तो वह राष्ट्रपति के संदेश का सहारा न लेकर इसकी स्पष्ट रुप से भर्त्सना करें और उस पर साफ तौर पर बोलें.
नवादा में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने देश में सांप्रदायिक सौहार्द और भाईचारे की वकालत करते हुए आज कहा था कि हिन्दुओं और मुसलमानों को गरीबी के साझा दुश्मन से लडने के लिए साथ काम करना चाहिए और नेताओं के गैरजिम्मेदाराना बयानों को नजरअंदाज कर देना चाहिए. अगर वह भी ऐसा कोई बयान दें तो वे उसे भी नजरअंदाज कर दें. प्रधानमंत्री ने राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी को उद्धृत करते हुए कहा कि देशवासियों को विविधता, सहिष्णुता और बहुलता के मूल सभ्यता मूल्यों के संरक्षण को लेकर कल दिए गए उनके संदेश का पालन करना चाहिए.
मोदी ने यहां एक चुनाव रैली को संबोधित करते हुए कहा मैंने ऐसा पहले भी कहा है. हिन्दुओं को फैसला करना चाहिए कि मुस्लिमों से लड़ें या गरीबी से. मुसलमानों को फैसला करना चाहिए कि हिन्दुओं से लड़ें या गरीबी से, दोनों को साथ मिलकर गरीबी से लडना चाहिए, इस देश को एकजुट रहना होगा. उन्होंने देश के लोगों को राष्ट्रपति के दिखाए रास्ते पर चलना चाहिए और तभी भारत दुनिया की अपेक्षाओं को पूरा कर सकती है और कहा एकता, सांप्रदायिक सौहार्द, भाईचारा और शांति ही देश को आगे ले जाएंगे.
मोदी ने लोगों से नेताओं के गैरजिम्मेदाराना बयानों को नजरअंदाज करने की अपील करते हुए कहा कि वे ऐसा राजनीतिक हितों के लिए कर रहे हैं और इसका अंत होना चाहिए. राष्ट्रपति के कल के बयान की ओर संकेत करते हुए मोदी ने कहा इससे बडा कोई मार्गदर्शन नहीं, कोई बडा संदेश नहीं है, कोई बडी दिशा नहीं है. नीतीश ने ट्वीट किया असल मोदी सामने आ गये हैं. बिहार चुनावों को सांप्रदायिक रुप देने का शर्मनाक प्रयास, लेकिन दादरी की निंदाजनक घटना पर कानफोडू चुप्पी. उन्होंने एक अन्य ट्वीट में कहा कि सभी को देखना चाहिए कि वाजपेयी जी को उन्हें मोदी यह क्यों याद दिलाना पडा कि राजधर्म का पालन करें, लेकिन आज सोचने वाली बात है कि वाजपेयी कौन बनेगा?