8.63 करोड़ बहे पानी में, घाट तक नहीं आयी गंगा
8.63 करोड़ बहे पानी में, घाट तक नहीं आयी गंगा- गंगा नजदीक लाने के लिए निर्माण कराया गया नहर- नहर में गंगा के पानी के बदले बह रहा है गंदे नाले का पानी – 18 अप्रैल को शुरू हुआ था कार्य, 17 जुलाई को हुई थी पूरी प्रभात रंजन, पटना गंगा को कुर्जी से लेकर […]
8.63 करोड़ बहे पानी में, घाट तक नहीं आयी गंगा- गंगा नजदीक लाने के लिए निर्माण कराया गया नहर- नहर में गंगा के पानी के बदले बह रहा है गंदे नाले का पानी – 18 अप्रैल को शुरू हुआ था कार्य, 17 जुलाई को हुई थी पूरी प्रभात रंजन, पटना गंगा को कुर्जी से लेकर समाहरणालय घाट तक नजदीक लाने के लिए योजना बनी और 8.63 करोड़ रुपये खर्च भी हो गये. यहां तक कि सात किलोमीटर बने नहर में पानी को दिखा कर लोग वाहवाही भी लूटे, लेकिन अब उसकी पोल खुलने लगी है. दरअसल जिसे गंगा का पानी कह कर दिखाया गया था, वह बाढ़ का पानी था. लेकिन गंगा का जल स्तर घटते ही उसकी असलियत की पोल खुल गयी. वहां अब नाले का पानी बह रहा है. नहर में गंगा के पानी के बदले गंदे नाले के पानी का उलटा बहाव हो रहा है. कटाव की वजह से लगभग एक किलोमीटर दूर चली गयी गंगा की मुख्य धारा को नजदीक लाने के लिए हाइकोर्ट में पीआइएल दायर किया गया. इसकी सुनवाई के बाद कोर्ट ने सख्त आदेश दिया कि गंगा नदी को हर हाल में नजदीक लाया जाये. इस कार्य की निगरानी की जिम्मेवारी जिला प्रशासन को दी गयी. कोर्ट के निर्देश पर जल संसाधन विभाग ने आनन-फानन में 8.63 करोड़ की योजना बनायी और कार्य शुरू कर दिया गया. नहर में पानी का स्तर बढ़ा, तो विभाग से लेकर जिला प्रशासन के अधिकारियों ने खूब वाहवाही लूटी. इतना ही नहीं, हाइकोर्ट के तत्कालीन चीफ जस्टिस को भी भ्रमण कराया गया. सूत्रों की मानें तो गंगा के नजदीक लाने के नाम पर विभाग ने सबको धोखा दिया. नहर में गंगा के पानी के बदले गंदे नाले का पानी बह रहा है. सात किलोमीटर लंबा है नहर दीघा के समीप से नहर उड़ाही का काम शुरू किया गया और महेंद्रू घाट तक नहर का निर्माण कराया गया. इसकी दूरी सात किलोमीटर है. इस नहर की चौड़ाई 30 मीटर है. इन नहर निर्माण के लिए जल संसाधन विभाग ने 18 अप्रैल को कार्य शुरू किया और 17 जुलाई को कार्य पूरा कर गंगा का पानी भी इसमें प्रवाहित करा दिया. लेकिन जैसे-जैसे गंगा का जल स्तर कम होने लगा, वैसे-वैसे नहर का पानी भी सूखने लगा. अभी तो एक बूंद भी गंगा की पानी नहीं है. नहर में सिर्फ गंदे नाले का पानी प्रवाहित हो रहा है. इस स्थिति में नहर के घाटों पर छठ पूजा करना संभव नहीं है. नवनिर्मित नहर की चपेट में पांच प्रमुख घाट नहर के निर्माण होने से समाहरणाय व महेंद्रू घाट के अलावा बांस, पहलवान, एलसीटी और कुर्जी घाट चपेट में आ गया है. इन घाटों पर लाखों की संख्या में छठव्रतियों की भीड़ जुटती है. इसको लेकर बुधवार को नगर आवास विकास विभाग के प्रधान सचिव, जल संसाधन विभाग के प्रधान सचिव, नगर आयुक्त आदि पदाधिकारी ने गंगा घाटों का निरीक्षण किया, जिसमें खुलासा हुआ कि इनमें से किसी घाट के समीप छठ पूजा नहीं की जा सकती है. छठव्रतियों के लिए समाहरणालय व महेंद्रू घाट के अलावा चार और घाटों पर पुल बनाना होगा, तभी छठव्रतियों को कोई परेशानी नहीं होगी और आसानी से गंगा की मुख्यधारा तक छठव्रती पहुंच सकेंगे.कोटनवनिर्मित नहर में गंदा पानी प्रवाहित हो रहा है, जिसमें छठ पूजा संभव नहीं है. समाहरणालय व महेंद्रू घाट के साथ-साथ चार और घाटों पर पुल बनाया जायेगा. नहर में गंगा का पानी प्रवाहित नहीं किया जा सकता है. इसका कारण है कि गंगा का जल स्तर दिन-प्रतिदन घट रहा है. इस स्थिति में घाट पर पुल बनाना ही एक मात्र उपाय है. – जय सिंह, नगर आयुक्त, पटना नगर निगम